IPv6 Full Form in Hindi




IPv6 Full Form in Hindi - IPv6 की पूरी जानकारी?

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IPv6 Full form in Hindi

IPv6 की फुल फॉर्म “internet protocol version 6” होती है. IPv6 को हिंदी में “इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6” कहते है. IPv6 का पूरा नाम internet protocol version 6 है. यह internet protocol (IP) का सबसे नया version है तथा इसमें IPv4 से ज्यादा बेहतर तथा advanced विशेषताएं (features) है. इसे IETF (internet engineering task force) ने 1998 में विकसित किया था.

IPv6 का पूरा नाम Internet Protocol Version 6 है. यह एक network layer प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग एक network में communication के लिए किया जाता है. इसका साइज़ 128 bits का होता है. IPv4 की problems को solve करने के लिए IETF (internet engineering task force) ने IPv6 को विकसित किया था. इसे 1998 में विकसित किया गया था. यह internet protocol (IP) का सबसे नया version है तथा इसमें IPv4 से ज्यादा बेहतर तथा advanced विशेषताएं (features) है. यह भविष्य में IPv4 की जगह कार्य करेगा. इस समय यह IPv4 के साथ मिलकर कार्य करता है. यदि आप अपने computer में network center खोले तो दोनों protocols को एक साथ काम करते हुए देख सकते है. जैसा कि आप नीचे चित्र में देख सकते है.

What Is IPv6 In Hindi

IPv4 की इन्ही खामियों को पूरा करने के लिए एक नए Internet addressing system को लाया गया है और जिसे Internet Protocol version 6 (IPv6) के नाम से जाना जाता है और ये Internet addresses की कमी को पूरा करने में मददगार साबित हो सकता है. IPv6 (Internet Protocol Version 6) को IPng (Internet Protocol next generation) भी कहा जाता है और ये नया version है Internet Protocol (IP) का. इसे review करने के लिए IETF standards committees का इस्तमाल किया गया है ताकि ये पूरी तरीके से IPv4 (Internet Protocol Version 4) को replace कर सके.

IPv6 को Internet Protocol Version 4 (IPv4) का successor माना जाता है. इसे ख़ास तोर से मेह्जुदा Internet Protocol का upgraded version के रूप में तैयार किया गया है ताकि ये कुछ समय तक IPv4 के साथ coexist कर सके. IPv6 का design कुछ इसप्रकार से किया गया है ताकि Internet को steadily बढ़ने में मदद करे, दोनों number of hosts connected और पूरी मात्रा की data traffic transmitted को सही रूप से बढ़ने में मदद करे. IPv6 को “next generation” Internet standard के नाम से भी जाना जाता है और ये मध्य 1990 से under development था. IPv6 को इसलिए बनाया गया क्यूंकि लोगों को लगा की जिस प्रकार से IP address की डिमांड बढती जा रही है, तो वो दिन दूर नहीं जब IP addresses पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी.

निचे IPV6 के कुछ feature आपको दिए गए है जो IPV6 को IPV4 से बेहतर बनाते है -

IPV6 में address space बहुत ही बड़ा है तो ऐसे माना जाता है की इस दुनिया के हर इंसान को 20000 IP address दिए जा सकते है इसलिए नजदीकी future में IP address की कमी की कोई problem नहीं होगी IPV6 का address space future की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है.

IPV6 security के लिए IPSec(internet protocols security) का प्रयोग करता है IPV6 की header में IPSec के लिए field को provide किया गया है शुरू में ये IPV6 के साथ ही built in था लेकिन बाद में इसे optional बना दिया गया.

IPV6 packets को priority के base पर efficiently forward करने में सक्षम है इसके लिए IPV6 header में flow label field को provide किया गया है ये एक 20 bit field होता है इसके बारे में और future में IPV6 header को explanation होगा.

IPV6 आपको auto configuration के feature provide करता है यदि DHCP server available न हो तो भी communication में कोई problem नहीं आती है साथ ही IPV6 में state full और stateless दोनों तरह के configuration संभव है.

IPV6 की header simple है इसमे सिर्फ 8 fields ही include किये गए है simple header की वजह से IPV6 packets IPV4 packets की तुलना में fast forward होते है इसका reason ये है की राऊटर को IPV4 की तरह बड़ी header process करने से time बच जाता है और packets बहुत ही fast forward किये जाते है.

IPV6 broadcast को सपोर्ट नहीं करता है एक से ज्यादा hosts को packets send करने के लिए ये multicast का प्रयोग करता है.

IPV6 के पूरी तरह लागु होने पर हर system के pass एक globally unique IP address होगा इससे हर host internet पर किसी दुसरे host से directly communicate कर सकता है IPV6 के लागू होने पर आपको NAT(network address translation ) की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

IPV6 के द्वारा device जैसे की mobile phones किसी दूसरी location पर जाकर भी उसी IP address के साथ network से connected रहा सकते है.

IPV6 की full form Internet Protocol Version 6 होती है. ये Internet Protocol का सबसे latest version है. यह IETF (Internet Engineering Task Force) द्वारा बनाया गया है. ये IPV4 का upgraded version है और इसे भविष्य में IPV4 को replace करने के लिए बनाया गया है. इस समय ये IPV4 के साथ ही मिलकर काम करता है. यदि आप अपने computer में network center खोले तो दोनों protocols को एक साथ काम करते हुए देख सकते है. जैसे की निचे show किया गया है.

IPV4 को 80 के दशक में बनाया गया था. तब से लेकर अब तक internet की दुनिया में बहुत ज्यादा बदलाव आ गए है. शुरुआत में internet कुछ limited organizations तक ही सिमित था लेकिन अब यह पूरी दुनिया में फैल चूका है. दिनों दिन internet के users बढ़ते जा रहे है. इसलिए ऐसी कुछ limitations है जिनकी वजह से IPV4 भविष्य में internet की जरूरतों को पूरा नहीं कर पायेगा. आइये इन limitations के बारे में जानने का प्रयास करते है.

निचे IPV6 के कुछ features दिए गए है जो IPV6 को IPV4 से बेहतर बनाते है. IPV6 में address space बहुत ही बड़ा है. ऐसा माना जाता है की इस दुनिया के हर इंसान को 20,000 IP address दिए जा सकते है. इसलिए नजदीकी भविष्य में IP address की कमी की कोई problem नहीं होगी. IPV6 का address space भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.

IPV6 security के लिए IPSec (Internet Protocol Security) को यूज़ करता है. IPV6 की header में IPSec के लिए field provide किया गया है. शुरू में ये IPV6 के साथ ही built in था लेकिन बाद में इसे optional बना दिया गया. IPV6 packets को priority के base पर efficiently forward करने में सक्षम है. इसके लिए IPV6 header में flow label field provide किया गया है. ये एक 20 bit field होता है इसके बारे में और अधिक आप IPV6 header explanation में जानेंगे.

IPV6 आपको auto configuration feature provide करता है. इससे यदि DHCP server available ना हो तो भी communication में कोई problem नहीं आती है. साथ ही IPV6 में state-full और stateless दोनों तरह के configuration संभव है. IPV6 की header simple है इसमें सिर्फ 8 fields ही include किये गए है. Simple header की वजह से IPV6 packets IPV4 packets की तुलना में fast forward होते है. इसका reason ये है की router को IPV4 की तरह बड़ी header process करने से time बच जाता है और packets बहुत ही fast forward किये जाते है.

IPV6 broadcast को support नहीं करता है. एक से ज्यादा hosts को packets send करने के लिए ये multicast यूज़ करता है. IPV6 के पूरी तरह लागू होने पर हर system के pass एक globally unique IP address होगा. इससे हर host internet पर किसी दूसरे host से directly communicate कर सकता है. IPV6 के लागू होने पर आपको NAT (Network Address Translation) की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी. IPV6 के द्वारा devices जैसे की mobile phones किसी दूसरी location पर जाकर भी उसी IP address के साथ network से connected रह सकते है.

IPV6 Addressing ?

IPV6 address 128 bits का होता है. जँहा IPV4 decimal numbers के 4 groups द्वारा represent किया जाता है वँही IPV6 hexadecimal numbers के 8 groups के द्वारा represent किया जाता है. IPV6 address का example निचे दिया जा रहा है.

कैसे IPv6 इस समस्या को solve करेगा?

जैसे की मैंने पहले भी कहा है की IPv6 128-bit Internet addresses का इस्तमाल करता है. इसलिए ये लगभग 2^128 Internet addresses — 340, 282, 366, 920, 938, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000 को support कर सकता है यदि हम इसके exact value की बात करें तब. और ये वाकई बहुत सारे addresses हैं IPv4 की तुलना में. ये इतने सारे addresses हैं की हमें इन addresses को display करने के लिए hexadecimal system का इस्तमाल करना पड़ता है. या यूँ कहे की IPv6 में इतने addresses हैं की जिससे Internet को बहुत समय तक Operational रखा जा सकता है.

तो हम क्यूँ directly switch नहीं कर सकते?

ऐसा है की IPv4 addresses की ख़त्म होने की बात सालों पहले predict किया जा चूका था, जिस कारण switching की progress को पिछले दशक से ही आरम्भ कर दिया गया था. लेकिन इस काम में जल्दबाजी नहीं की जा सकती इसलिए ये काम धीरे धीरे चल रहा है. इसके साथ IPv4 और IPv6 दोनों एक साथ Parallel networks में चलते हैं — और दोनों के बिच में data exchange करने के लिए special gateway की जरुरत पड़ती है. और ऐसे switch करने के लिए software और routers को भी change करना होगा ताकि ये more advanced network को support कर सकें. इसमें समय और पैसे दोनों की जरुरत है. इसलिए ये Process को directly नहीं किया जा सकता बल्कि धीरे धीरे ही इन्हें बदला जा सकता है.

इस बदलाव से आप पर क्या आसार पड़ेगा?

शुरुवात में ये हमारे जीवन में ज्यादा बड़ा impact नहीं डाल सकते. क्यूंकि आजकल प्राय सभी modern devices और Operating Systems actually IPv6 को support करते हैं. लेकिन अब भी बहुत सारे ऐसे routers और servers मेह्जुद हैं जो की इन्हें support नहीं करते, जिससे की device और Internet में connection कर पाना बहुत ही मुस्किल बात है. अभी भी IPv6 अपने शुरुवाती stage में है, जिसमें बहुत सारे Bugs और security issue मेह्जुद हैं. और पुरे अच्छे तरीके से function करने के लिए इन समस्याओं को Fix करना पड़ेगा नहीं तो भविष्य में बड़ी दिक्कत आ सकती है. किसी को इस बदलाव में होने वाली खर्चे और समय के बारे में कुछ भी आभास नहीं है लेकिन Scientists का कहना है की इस बदलाव में अब थोडा और समय लग सकता है.

IPv6 का भविष्य ?

IPv6 के बदलाव से आने वाले समय में काफी changes देखने को मिल सकती है. क्यूंकि IP addresses की समस्या, ये network security की अगर बात करें तो सभी जगहों में IP और भी बेहतर होने को जा रहा है. ज्यादा address के मदद से और भी बहुत devices को आपस में जोड़ा जा सकता है. Mobility और MultiHoming की सुविधा भी देखने को मिल सकती है. Mobility का मतलब है की एक network से दुसरे network को जाना पर बिना Ip address को बदले. वैसे MultiHoming का मतलब है की एक समय में के से ज्यादा ISP के साथ Connected रहना जिससे की अगर किसी connection में कुछ परेशानी भी आये तो बड़ी आसानी से वो दुसरे connection में transfer हो सकता है. ऐसे बहुत से बदलाव आने वाले समय में देखने को मिल सकता है.

IPv6 क्या है, और गोद लेने में इतना समय क्यों लग रहा है?

IPv6 1998 के बाद से IPv4 के तहत उपलब्ध IP पते की कमी को दूर करने के लिए काम कर रहा है, फिर भी इसकी दक्षता और सुरक्षा लाभों के बावजूद, उद्यम तेज धीमा है. अधिकांश भाग के लिए, इंटरनेट पते से बाहर निकलने के बारे में सख्त चेतावनी बंद हो गई है क्योंकि, धीरे -धीरे लेकिन निश्चित रूप से, इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 4 (IPv4) की दुनिया से IPv6 में माइग्रेशन शुरू हो गया है, और सॉफ्टवेयर को पता है कि Apocalypse को रोकने के लिए कई भविष्यवाणी कर रहे थे. लेकिन इससे पहले कि हम देखें कि हम कहां हैं और हम IPv6 के साथ कहां जा रहे हैं, आइए इंटरनेट एड्रेसिंग के शुरुआती दिनों में वापस जाएं.

IPv6 क्या है, और यह महत्वपूर्ण क्यों है?

IPv6 इंटरनेट प्रोटोकॉल का नवीनतम संस्करण है, जो इंटरनेट पर उपकरणों की पहचान करता है ताकि वे स्थित हो सकें. इंटरनेट का उपयोग करने वाले प्रत्येक उपकरण को अपने स्वयं के आईपी पते के माध्यम से इंटरनेट संचार के लिए काम करने के लिए पहचाना जाता है. उस संबंध में, यह सड़क के पते और ज़िप कोड की तरह है जिसे आपको एक पत्र मेल करने के लिए जानना होगा. पिछला संस्करण, IPv4, 4.3 बिलियन उपकरणों का समर्थन करने के लिए 32-बिट एड्रेसिंग स्कीम का उपयोग करता है, जिसे लागू किए जाने के समय पर्याप्त माना जाता था. हालांकि, इंटरनेट, व्यक्तिगत कंप्यूटर, स्मार्टफोन और अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स के विकास के साथ, यह स्पष्ट हो गया कि दुनिया को अधिक पते की आवश्यकता थी. सौभाग्य से, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) ने इसे लगभग 25 साल पहले मान्यता दी थी. 1998 में, इसने IPv6 बनाया, जो इसके बजाय लगभग 340 ट्रिलियन ट्रिलियन (या 2 से 128 वीं पावर) का समर्थन करने के लिए 128-बिट एड्रेस का उपयोग करता है. एक से तीन अंकों के नंबरों के चार सेटों के IPv4 एड्रेस विधि के बजाय, IPv6 चार हेक्साडेसिमल अंकों के आठ समूहों का उपयोग करता है, जिसे कॉलन द्वारा अलग किया जाता है.

IPv6 के क्या लाभ हैं?

अपने काम में, IETF ने न केवल अधिक पता स्थान जोड़ा, इसमें IPv4 की तुलना में IPv6 में वृद्धि शामिल थी. IPv6 प्रोटोकॉल पैकेट को अधिक कुशलता से संभाल सकता है, प्रदर्शन में सुधार कर सकता है और सुरक्षा बढ़ा सकता है. यह इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को उनके रूटिंग टेबल के आकार को कम करने में सक्षम बनाता है जो उन्हें अधिक पदानुक्रमित बनाकर.

IPv6 पते क्या दिखते हैं ?

आप शायद IPv4 पते से परिचित हैं, जो इस तरह से डॉट्स द्वारा अलग किए गए चार भागों में लिखे गए हैं: 45.48.241.198. पारंपरिक आधार 10 अंकों में लिखा गया प्रत्येक भाग 0 से 255 (000000 से 1111111, बाइनरी में लिखा गया) तक आठ-बिट बाइनरी नंबर का प्रतिनिधित्व करता है. एक IPv6 पता इस तरह दिखता है: 2620: CC: 8000: 1C82: 544C: CC2E: F2FA: 5A9B. चार संख्याओं के बजाय, आठ हैं, और वे कॉमों के बजाय कोलन द्वारा अलग किए जाते हैं. और हां, वे सभी नंबर हैं. वहाँ पत्र हैं क्योंकि IPv6 पते हेक्साडेसिमल (आधार 16) संकेतन में लिखे गए हैं, जिसका अर्थ है कि 16 अलग-अलग प्रतीकों को विशिष्ट रूप से आधार 10 नंबर 1-16 का प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है. उपयोग किए गए लोग 0-9 प्लस अक्षर ए-एफ हैं. इनमें से प्रत्येक संख्या 000000000000 से 11111111111111 तक 16-बिट बाइनरी नंबर का प्रतिनिधित्व करती है.

नेटवर्क पता अनुवाद (NAT) और IPv6 ?

नेटवर्क एड्रेस ट्रांसलेशन (NAT) के कारण IPv6 को अपनाने में देरी हुई है, जो निजी IP पते लेता है और उन्हें सार्वजनिक IP पते में बदल देता है. इस तरह एक निजी आईपी पते वाली एक कॉर्पोरेट मशीन निजी नेटवर्क के बाहर स्थित मशीनों से पैकेट भेज और प्राप्त कर सकती है जिसमें सार्वजनिक आईपी पते हैं. NAT के बिना, हजारों या दसियों हज़ार कंप्यूटर वाले बड़े निगम सार्वजनिक IPv4 पते की भारी मात्रा में जमा करेंगे यदि वे बाहरी दुनिया के साथ संवाद करना चाहते थे. लेकिन उन IPv4 पते सीमित हैं और रावण होने के बिंदु तक थकावट के करीब हैं. NAT समस्या को कम करने में मदद करता है. NAT के साथ, हजारों निजी तौर पर संबोधित कंप्यूटर को सार्वजनिक इंटरनेट पर NAT मशीन जैसे फ़ायरवॉल या राउटर द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है. जिस तरह से NAT काम करता है वह तब होता है जब एक निजी IP पते वाला कॉर्पोरेट कंप्यूटर कॉर्पोरेट नेटवर्क के बाहर एक सार्वजनिक IP पते पर एक पैकेट भेजता है, यह पहले NAT डिवाइस पर जाता है. NAT एक अनुवाद तालिका में पैकेट के स्रोत और गंतव्य पते को नोट करता है. NAT पैकेट के स्रोत पते को NAT डिवाइस के सार्वजनिक-सामना करने वाले पते पर बदलता है और इसे बाहरी गंतव्य के साथ भेजता है. जब कोई पैकेट जवाब देता है, तो NAT संचार की शुरुआत करने वाले कंप्यूटर के निजी IP पते पर गंतव्य पते का अनुवाद करता है. यह किया जा सकता है ताकि एक एकल सार्वजनिक आईपी पता कई निजी तौर पर संबोधित कंप्यूटरों का प्रतिनिधित्व कर सके.

IPv6 को कौन तैनात कर रहा है?

मार्च 2022 तक, Google के अनुसार, विश्व स्तर पर IPv6 गोद लेने की दर लगभग 34%है, लेकिन अमेरिका में यह लगभग 46%है. कैरियर नेटवर्क और आईएसपी अपने नेटवर्क पर IPv6 को तैनात करना शुरू करने वाले पहले समूह रहे हैं, जिसमें मोबाइल नेटवर्क चार्ज का नेतृत्व करते हैं. उदाहरण के लिए, टी-मोबाइल यूएसए के पास मार्च 2002 तक IPv6 पर 90% से अधिक ट्रैफ़िक है, वेरिजोन वायरलेस 82.63% के पीछे बंद है. उद्योग समूह वर्ल्ड IPv6 लॉन्च के अनुसार, Comcast और At & T के पास क्रमशः 70% और 73% पर अपने नेटवर्क हैं. पिछले कुछ वर्षों में एशिया और दक्षिण अमेरिका में व्यापक आईपीवी 6 गोद लेना देखा गया है, भारत में वर्तमान में लगभग 62% और भारतीय वायरलेस कैरियर रिलायंस जियो इन्फोकॉम टॉपिंग वर्ल्ड आईपीवी 6 लॉन्च के नेटवर्क गोद लेने के चार्ट 93% से अधिक है. एलेक्सा के शीर्ष 1000 वेबसाइटों में से 30% के तहत वर्तमान में IPv6 पर उपलब्ध हैं, वर्ल्ड IPv6 लॉन्च का कहना है, एक संख्या जो हाल के वर्षों में कठोर रूप से स्थिर रही है. उद्यम तैनाती में अनुगामी हैं. उदाहरण के लिए, IPv6 दत्तक ग्रहण पर एक पका हुआ लैब्स रिपोर्ट में कहा गया है कि IPv6 का अमेरिकी उपयोग वास्तव में 2020 से 2021 तक गिरा, और अनुमान लगाया कि इसका कारण यह हो सकता है कि जिन लोगों ने कोविड -19 महामारी में घर पर काम किया था, वे कार्यालय में लौट रहे थे और कार्यालय में लौट रहे थे और IPv4- आधारित कॉर्पोरेट नेटवर्क. एक संक्रमण को पूरा करने के लिए आवश्यक जटिलता, लागत और समय सभी कारण हैं कि कॉर्पोरेट यह प्रवासन परियोजनाओं पर बंदूक-शर्मीला है. इसके अलावा, कई मध्यम आकार के और छोटे उद्यम अपने नेटवर्किंग को सेवा प्रदाताओं के लिए आउटसोर्स करते हैं, जो खुद को अपने ग्राहकों से एक धक्का की अनुपस्थिति में पलायन करने के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन नहीं देते हैं.

अधिक तैनाती कब होगी?

बड़े पैमाने पर IPv6 माइग्रेशन के लिए उद्यम प्रतिरोध समग्र रूप से गोद लेने को धीमा कर रहा है. पैट्रिक हंटर, चार्टर कम्युनिकेशंस के आईटी एंटरप्राइज नेटवर्क और टेलीकॉम के निदेशक, खेल में कई कारकों को छोड़ देते हैं, यह देखते हुए कि अधिकांश नेटवर्क प्रशासक जानते हैं कि प्रवासन अपरिहार्य है, कोई भी आवश्यक रूप से एक अग्रणी नहीं होना चाहता है यदि जोखिम के लिए समस्या पैदा कर रहा है. अपने स्वयं के नेटवर्क और अनुप्रयोग. जैसा कि वह कहते हैं, एडमिन्स का रवैया है "मैं चीजों को तोड़ने और जीवन को मुश्किल नहीं बनाने जा रहा हूं क्योंकि कुछ लोग सभी को नए प्रोटोकॉल में जल्दी करना चाहिए." सभी कंपनियां विरोध नहीं कर रही हैं - Amazon अपने सर्वर रहित और कंटेनर AWS वर्कलोड को IPv6 में माइग्रेट कर रही है. लेकिन जड़ता, साथ ही तथ्य यह है कि, जैसा कि उल्लेख किया गया है, व्यापक NAT के उपयोग ने IPv4 सर्वनाश को बंद कर दिया है, इस कदम को कम करने के लिए प्रोत्साहन को कम कर दिया है. संक्रमण 2030 या बाद में पूरा नहीं हो सकता है. फिर भी, जैसे -जैसे IPv4 पते की कीमत गिरना शुरू होती है, इंटरनेट सोसाइटी का सुझाव है कि एंटरप्राइजेज अपने मौजूदा IPv4 पते को फंड IPv6 परिनियोजन में मदद करने के लिए बेचते हैं. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने ऐसा किया है, जो कि GitHub पर पोस्ट किए गए एक नोट के अनुसार है. विश्वविद्यालय ने निष्कर्ष निकाला कि इसके IPv4 पते के 8 मिलियन "अतिरिक्त" थे और इसे वर्तमान या भविष्य की जरूरतों को प्रभावित किए बिना बेचा जा सकता है क्योंकि यह 20 गैर -आईपीवी 6 पते भी रखता है. (एक नॉनिलियन एक अंक है जिसके बाद 30 शून्य हैं.) इसके अलावा, जैसे -जैसे अधिक तैनाती होती है, अधिक कंपनियां IPv4 पते के उपयोग के लिए चार्ज करना शुरू कर देंगी, जबकि IPv6 सेवाएं मुफ्त में प्रदान करती हैं. यूके स्थित आईएसपी मिथक बीस्ट्स कहते हैं, "आईपीवी 6 कनेक्टिविटी मानक के रूप में आती है," जबकि "आईपीवी 4 कनेक्टिविटी एक वैकल्पिक अतिरिक्त है." तेजी से संक्रमण के लिए धक्का देने से सरकारी कार्रवाई होगी, हालांकि कई पश्चिमी सरकारों के पास उनकी टू-डू सूची में यह नहीं है. एक बड़े तरीके से IPv6 में जाने वाला एक देश चीन है. 2021 में, चीन के साइबरस्पेस प्रशासन ने एक महत्वाकांक्षी रोडमैप का अनावरण किया, जिसका लक्ष्य 2025 के अंत तक 800 मिलियन सक्रिय IPv6 उपयोगकर्ताओं का था.

IPv4 "बंद" कब होगा?

2011 और 2018 के बीच नए IPv4 पते के अधिकांश दुनिया "बाहर" भाग गई-लेकिन हम पूरी तरह से उनसे बाहर नहीं होंगे क्योंकि IPv4 पते बेचे और फिर से उपयोग किए जाते हैं, और किसी भी बचे हुए पते का उपयोग IPv6 संक्रमणों के लिए किया जाएगा. कोई आधिकारिक स्विच-ऑफ की तारीख नहीं है, इसलिए लोगों को चिंतित नहीं होना चाहिए कि उनकी इंटरनेट का उपयोग अचानक एक दिन दूर हो जाएगा. अधिक नेटवर्क संक्रमण के रूप में, अधिक सामग्री साइटें IPv6 का समर्थन करती हैं और अधिक अंत उपयोगकर्ता IPv6 क्षमताओं के लिए अपने उपकरणों को अपग्रेड करते हैं, दुनिया धीरे -धीरे IPv4 से दूर चले जाएगी.

कोई IPv5 क्यों नहीं है?

एक IPv5 था जिसे इंटरनेट स्ट्रीम प्रोटोकॉल के रूप में भी जाना जाता था, जिसे केवल ST के रूप में संक्षिप्त किया गया था. यह सहायक आवाज और वीडियो के इरादे से आईपी नेटवर्क में कनेक्शन-उन्मुख संचार के लिए डिज़ाइन किया गया था. यह उस कार्य में सफल रहा, और प्रयोगात्मक रूप से उपयोग किया गया. एक कमी यह है कि इसके लोकप्रिय उपयोग को कम करके इसकी 32-बिट पता योजना थी-आईपीवी 4 द्वारा उपयोग की जाने वाली एक ही योजना. नतीजतन, यह वही समस्या थी जो IPv4 में थी - सीमित संख्या में संभावित IP पते. जिसके कारण IPv6 के विकास और अंतिम रूप से अपनाने का कारण बना. भले ही IPv5 को सार्वजनिक रूप से कभी नहीं अपनाया गया था, लेकिन इसने IPv5 नाम का उपयोग किया था.

What is IPv6?

इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6 (IPv6) एक नेटवर्क लेयर प्रोटोकॉल है जो एक पैकेट स्विच किए गए नेटवर्क पर डेटा संचार को सक्षम करता है. पैकेट स्विचिंग में एक नेटवर्क में दो नोड्स के बीच पैकेट में डेटा भेजना और प्राप्त करना शामिल है. IPv6 प्रोटोकॉल के लिए कार्य मानक 1998 में इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) द्वारा प्रकाशित किया गया था. IPv6 के लिए IETF विनिर्देश RFC 2460 है. IPv6 का उद्देश्य व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 4 (IPv4) को बदलने के लिए था जिसे बैकबोन माना जाता है आधुनिक इंटरनेट की. IPv6 को अक्सर अपनी विस्तारित क्षमताओं और हाल के बड़े पैमाने पर तैनाती के माध्यम से इसकी वृद्धि के कारण "अगली पीढ़ी के इंटरनेट" के रूप में जाना जाता है. 2004 में, जापान और कोरिया को IPv6 की पहली सार्वजनिक तैनाती के रूप में स्वीकार किया गया था.

मोबाइल फोन, नोटबुक कंप्यूटर और वायरलेस हैंडहेल्ड डिवाइस सहित मोबाइल उपकरणों में विस्फोटक वृद्धि ने आईपी पते के अतिरिक्त ब्लॉक की आवश्यकता पैदा कर दी है. IPv4 वर्तमान में लगभग 4.3 बिलियन अद्वितीय IP पते का अधिकतम समर्थन करता है. IPv6 एक सैद्धांतिक अधिकतम 2128 पते (340,282,366,920,938,463,463,463,374,607,431,768,211,456 का समर्थन करता है!). नेटवर्क एड्रेस ट्रांसलेशन (NAT) सहित नेटवर्क प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति ने नए IP पते के लिए अस्थायी रूप से आग्रह को कम कर दिया है, हालांकि, हाल के अनुमानों से संकेत मिलता है कि IPv4 पते 2012 के रूप में जल्द ही समाप्त हो सकते हैं.

IPv6 और IPv4 एक समान वास्तुकला साझा करते हैं. IPV4 के साथ कार्य करने वाले अधिकांश परिवहन परत प्रोटोकॉल IPv6 प्रोटोकॉल के साथ भी कार्य करेंगे. अधिकांश एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल फ़ाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ़टीपी) के उल्लेखनीय अपवाद के साथ IPv6 के साथ -साथ इंटरऑपरेबल होने की उम्मीद है. FTP डेटा ट्रांसमिशन को सुविधाजनक बनाने के लिए एम्बेडेड नेटवर्क लेयर पते का उपयोग करता है. एक IPv6 पते में चार हेक्साडेसिमल अंकों के आठ समूह होते हैं. यदि एक समूह में चार शून्य होते हैं, तो शून्य को बदलने के लिए एक बृहदान्त्र का उपयोग करके संकेतन को छोटा किया जा सकता है.

IPv6 का एक मुख्य लाभ पता स्थान बढ़ा है. IPv6 पते की 128-बिट लंबाई IPv4 पते की 32-बिट लंबाई पर एक महत्वपूर्ण लाभ है, जो लगभग असीम संख्या में अद्वितीय आईपी पते की अनुमति देता है. IPv6 एड्रेस स्पेस का आकार इसे आईपी स्कैनिंग जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए कम कमजोर बनाता है. IPv6 पैकेट IPv4 पैकेटों की तुलना में एक बड़े पेलोड का समर्थन कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप थ्रूपुट और परिवहन दक्षता में वृद्धि होती है. IPv4 पर एक प्रमुख वृद्धि मोबाइल उपकरणों के लिए देशी समर्थन है. IPv6 मोबाइल IPv6 (MIPV6) प्रोटोकॉल का समर्थन करता है जो मोबाइल उपकरणों को नेटवर्क के बीच स्विच करने और भौतिक स्थान की परवाह किए बिना एक रोमिंग अधिसूचना प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. MIPV6 प्रोटोकॉल की एक पहचान है और इसे IPv6 के डिजाइन के दौरान एक फर्म आवश्यकता के रूप में निर्दिष्ट किया गया था. IETF में MIPV6 के लिए अलग -अलग विनिर्देश हैं जो डेटा संरचना, संदेश और सुरक्षा आवश्यकताओं को विस्तार से विस्तारित करते हैं.

ऑटो-कॉन्फ़िगरेशन एक और IPv6 वृद्धि है जिसे नेटवर्क प्रशासकों के लिए एक बड़ा लाभ माना जाता है. IPv6 डिवाइस अन्य IPv6 उपकरणों के साथ जुड़े होने पर स्वतंत्र रूप से खुद को ऑटो-कॉन्फ़िगर कर सकते हैं. कॉन्फ़िगरेशन कार्यों को जो स्वचालित रूप से किए जा सकते हैं, उनमें आईपी पता असाइनमेंट और डिवाइस नंबरिंग शामिल हैं. एक IPv6 राउटर में डेटा लिंक लेयर एड्रेसिंग मापदंडों का उपयोग करके अपना IPv6 पता निर्धारित करने की क्षमता है. IETF ने IPv6 ऑटो-कॉन्फ़िगरेशन के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए RFC 2462 जारी किया है. IPv6 प्रोटोकॉल IPv4 पर बढ़े हुए प्रमाणीकरण और गोपनीयता उपायों के साथ सुधार करता है. IPSEC सुरक्षा मेजबान के बीच एन्क्रिप्शन और प्रमाणीकरण का प्रबंधन करने के लिए IPv6 विनिर्देश में एम्बेडेड है. यह सुरक्षा ढांचे में बनाया गया यह मेजबान के बीच सुरक्षित डेटा ट्रैफ़िक को सक्षम बनाता है जो किसी भी एप्लिकेशन से स्वतंत्र है या तो मेजबान पर. इस तरह, IPv6 होस्ट या नेटवर्क स्तर पर डेटा ट्रांसफर के लिए सुरक्षा ढांचे को समाप्त करने के लिए एक कुशल अंत प्रदान करता है.

IPv6 नेटवर्क की तैनाती दुनिया भर में बढ़ रही है. IPv4 के पूर्ण प्रतिस्थापन में कुछ समय लगने की उम्मीद है, क्योंकि यह सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले इंटरनेट प्रोटोकॉल बने हुए हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत आईपीवी 6 प्रोटोकॉल की हालिया तैनाती का नेतृत्व कर रहे हैं और आईपीवी 6 नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़े निवेश हैं. संयुक्त राज्य सरकार ने कहा है कि संघीय एजेंसियों को 2008 के बाद एक IPv6 बुनियादी ढांचे में संक्रमण को पूरा करना होगा. सॉफ्टवेयर कंपनियां ऑपरेटिंग सिस्टम भी जारी कर रही हैं जो IPv6 मानक का समर्थन करती हैं. 1997 में, IBM अपने AIX 4.3 ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से IPv6 का समर्थन करने वाला पहला वाणिज्यिक विक्रेता बन गया. Microsoft के Windows ऑपरेटिंग सिस्टम, Windows Vista के नवीनतम संस्करण में डिफ़ॉल्ट रूप से पूर्ण IPv6 समर्थन सक्षम है.

एक IPv6 पता एक 128-बिट अल्फ़ान्यूमेरिक मान है जो इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6 (IPv6) नेटवर्क में एक समापन बिंदु डिवाइस की पहचान करता है. IPv6 एक पिछले संबोधन बुनियादी ढांचे, IPv4 के उत्तराधिकारी है, जिसमें सीमाएँ थीं जो IPv6 को पार करने के लिए डिज़ाइन की गई थी. विशेष रूप से, IPv6 की तुलना में IPv6 में काफी वृद्धि हुई है. इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एक ऐसी विधि है जिसमें डेटा को इंटरनेट पर विभिन्न कंप्यूटरों को भेजा जाता है. इंटरनेट पर प्रत्येक नेटवर्क इंटरफ़ेस, या कंप्यूटर में कम से कम एक आईपी पता होगा जिसका उपयोग उस कंप्यूटर की विशिष्ट पहचान करने के लिए किया जाता है. इंटरनेट से जुड़ने वाला प्रत्येक डिवाइस एक आईपी पता सौंपा जाता है. यही कारण है कि IPv4 में IP पते की संख्या के साथ एक चिंता थी, और क्यों इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) ने नए IPv6 मानक को परिभाषित किया. ऑपरेटिंग सिस्टम (OSE) जैसे विंडोज 10, मैकओएस और उबंटू समर्थन IPv6 का समर्थन करते हैं. वर्तमान में, पता प्रकारों का उपयोग मिश्रित है. अब उपयोग में होने वाले उपकरण या तो IPv6 या IPv4 का उपयोग करेंगे. डोमेन नेम सिस्टम (DNSES) ने 2008 से IPv6 का समर्थन किया है. यह कुछ समय के लिए एक चिंता का विषय रहा है कि IPv4 पता योजना संभावित पते से बाहर चल रही थी. IPv6 प्रारूप नए आईपी पते के खरबों को सक्षम करने के लिए बनाया गया था ताकि कम्प्यूटिंग उपकरणों की एक-बड़ी संख्या और एम्बेडेड कनेक्टिविटी के साथ आइटमों की तेजी से विस्तार करने वाली संख्या को जोड़ने के लिए, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के लिए धन्यवाद. संभावित IPv6 पते की संख्या की गणना 340 undcillion (या 340 ट्रिलियन ट्रिलियन ट्रिलियन) से अधिक होने के लिए की गई है. कंप्यूटर हिस्ट्री म्यूजियम डिक डिक गर्टिन के अनुसार, यह संख्या ग्रह की सतह पर प्रत्येक परमाणु के लिए एक IPv6 पते की अनुमति देती है, जिसमें 100 से अधिक समान ग्रहों के लिए पर्याप्त बचा है.

IPv6 (इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6) इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) से विनिर्देशों का एक सेट है जो अनिवार्य रूप से IPv4- आधारित रूटिंग में IP पते की एक श्रेणी IP संस्करण 4 (IPv4) का अपग्रेड है. IPv6 की मूल बातें IPv4 के समान हैं - डिवाइस एक नेटवर्क पर पैकेट पास करने के लिए IPv6 को स्रोत और गंतव्य पते के रूप में उपयोग कर सकते हैं, और नेटवर्क परीक्षण के लिए पिंग काम जैसे उपकरण जैसे कि वे IPv4 में कुछ मामूली बदलाव के साथ करते हैं. IPv6 के लिए विनिर्देश (RFC8200) 2017 में प्रकाशित किया गया था और इसे इंटरनेट मानक (STD86) में ऊंचा किया गया था.

IPv4 और IPv6 के बीच अंतर

IPv4 पर IPv6 में सबसे स्पष्ट सुधार यह है कि IP पते 32 बिट्स से 128 बिट्स तक लंबा हो जाते हैं. यह एक्सटेंशन इंटरनेट के भविष्य के विकास का अनुमान लगाता है और नेटवर्क पते की आसन्न कमी के रूप में जो माना जाता था, उसके लिए राहत प्रदान करता है. IPv6 संस्करण 4 में अधिकांश कमियों को ठीक करने में मदद करने के लिए ऑटो-कॉन्फ़िगरेशन का भी समर्थन करता है, और इसमें एकीकृत सुरक्षा और गतिशीलता सुविधाएँ हैं.

IPv6 के लाभ

IPv6 लाभों में शामिल हैं: -

स्रोत और गंतव्य पते का समर्थन करता है जो 128 बिट्स (16 बाइट्स) लंबे हैं

एक लिंक-लोकल स्कोप ऑल-नोड्स मल्टीकास्ट एड्रेस का उपयोग करता है

मैनुअल कॉन्फ़िगरेशन या डीएचसीपी की आवश्यकता नहीं है.

IPv6 पते पर होस्ट नामों को मैप करने के लिए DNS में होस्ट एड्रेस (AAAA) संसाधन रिकॉर्ड का उपयोग करता है.

IP6.ARPA DNS डोमेन में पॉइंटर रिसोर्स रिकॉर्ड्स का उपयोग करता है ताकि IPv6 पते को होस्ट करने के लिए मैप करने के लिए.

1280-बाइट पैकेट आकार (विखंडन के बिना) का समर्थन करता है.

राउटर द्वारा सेवा की गुणवत्ता (क्यूओएस) हैंडलिंग के लिए पैकेट प्रवाह की पहचान करने के लिए फ्लो लेबल फ़ील्ड का उपयोग करता है.

इंटरनेट कंट्रोल मैसेज प्रोटोकॉल संस्करण 6 (ICMPV6) राउटर सॉलिसिटेशन और राउटर विज्ञापन संदेशों का उपयोग करता है ताकि सर्वश्रेष्ठ डिफ़ॉल्ट गेटवे के आईपी पते को निर्धारित किया जा सके.

लिंक-लेयर पते के लिए आईपी पते को हल करने के लिए मल्टीकास्ट पड़ोसी सॉलिसिटेशन मैसेज का उपयोग करता है.

स्थानीय सबनेट में सदस्यता का प्रबंधन करने के लिए मल्टीकास्ट श्रोता खोज (MLD) संदेशों का उपयोग करता है

IPv6 क्या है?

इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6 (IPv6) इंटरनेट प्रोटोकॉल की नवीनतम पीढ़ी है जिसे आईपी पते के एक घटते पूल की बढ़ती समस्या को हल करने के लिए विकसित किया गया था. इसकी संरचना के लिए धन्यवाद, IPv6 2128 पते (232 की तुलना में, या चार बिलियन से अधिक, सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले आजकल IPv4 संस्करण में उपलब्ध है) को घर दे सकता है. यह देखते हुए कि हमारे पास इस संख्या के लिए एक नाम भी नहीं है, हम मान सकते हैं कि यह भविष्य के लिए आईपी पते की वैश्विक आवश्यकता को सुरक्षित करना चाहिए.

IPv6 पता कैसे दिखता है

IPv6 पते में 128 बिट्स होते हैं. सुसंगत और अस्पष्ट संकेतन के उद्देश्य से, इन्हें कोलोन द्वारा अलग किए गए हेक्साडेसिमल अंकों के आठ हेक्सटेट में आयोजित किया जाता है. वे कुछ इस तरह दिखते हैं: FD1A: C625: DE37: 5B3D: 0000: 0000: 0000: 0000. यदि इनमें से कोई भी आपको कुछ भी नहीं बताता है, तो इसे तोड़ दें. एक हेक्सटेट एक 16-बिट (या 4-निबल) ब्लॉक है जिसे हेक्साडेसिमल प्रारूप में नोट किया गया है. हेक्साडेसिमल (या संक्षेप में हेक्स) का उपयोग अधिक पठनीय प्रारूप में बाइनरी अनुक्रमों को नोट करने के लिए किया जाता है. यह 16 अंकों में से एक को 0 से 9 तक या ए से एफ के लिए 4 बिट्स का मान प्रदान करता है.

हमें IPv6 पर स्विच करने की आवश्यकता क्यों है?

भले ही IPv4 को पहली बार 1980 के दशक में अपनाया गया था, पहले से ही 90 के दशक में यह बहुतायत से स्पष्ट था कि उपलब्ध आईपी पते की संख्या इंटरनेट की बढ़ती जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं होगी. इंटरनेट के लगातार बढ़ते अपनाने के साथ, कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन, और अब IoT डिवाइस की बढ़ती संख्या, जिनमें से सभी को नेटवर्क पर होने के लिए एक आईपी पते की आवश्यकता है, उपलब्ध चार बिलियन पते कहीं नहीं हैं जो हमें चाहिए . उसके शीर्ष पर, पूल का एक हिस्सा निजी नेटवर्क के लिए आरक्षित है, और चूंकि आईपी एड्रेस आवंटन को वैश्विक और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर खराब तरीके से प्रबंधित किया जाता है, इसलिए दुनिया भर में इस बहुत सीमित संसाधन का असमान वितरण है. IPv6 समस्या को हल करने वाला है - लेकिन इसमें कुछ समय लगने वाला है.

इतना समय क्यों लग रहा है?

जबकि IPv6 अपने पूर्ववर्ती पर कई फायदे प्रदान करता है, यह पिछड़े-संगत नहीं है और इसलिए इसके लिए कुछ तकनीकी समायोजन की आवश्यकता होती है, जो इसके गोद लेने पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है. नेटवर्क के मालिक - विशेष रूप से वाहक, सेवा प्रदाताओं और उद्यमों में - को IPv6 संबोधित करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर परिप्रेक्ष्य से अपने नेटवर्क को आधुनिकीकरण करना होगा, और एक सफल तैनाती के लिए नेटवर्क प्रबंधन में अपने कर्मचारियों को फिर से शुरू करना होगा. जबकि गोद लेना बढ़ता है और अब अपरिहार्य माना जाता है, फिर भी बहुत सारे उपकरण बने हुए हैं जो IPv6-सक्षम नहीं हैं. इसके लिए नेटवर्क मालिकों को सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (जैसे DNS और DHCP सर्वर, IPAM, गेटवे और अन्य नेटवर्क प्रबंधन सॉफ़्टवेयर) को बनाए रखने की आवश्यकता होती है जो एक ही समय में IPv6 और IPv4 दोनों का समर्थन कर सकते हैं. उन्हें उन मेजबानों को बनाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का निवेश करने की आवश्यकता है जो IPv6 और IPv4-सक्षम दोनों हैं जो इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए अपने नेटवर्क के भीतर या बाहर हैं. यह नेटवर्क संचालन की समग्र जटिलता में महत्वपूर्ण रूप से जोड़ता है. Google के अनुसार, इसके 35% से अधिक उपयोगकर्ता केवल IPv6 पते के माध्यम से इसे एक्सेस करते हैं - एक संख्या जो 2015 के अंत के बाद से 25 प्रतिशत अंक तक बढ़ गई है. Google का डेटा भी बड़े पैमाने पर प्रोटोकॉल गोद लेने में एक महत्वपूर्ण अनुपात को दर्शाता है, बड़े हिस्से के साथ बड़े हिस्से के साथ. अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और दक्षिण एशिया आरोप का नेतृत्व करते हैं. दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अच्छी तरह से विकसित देशों में व्यापक गोद लेने की उम्मीद की जानी है, क्योंकि उन्नयन के लिए समग्र रूप से एक महत्वपूर्ण तकनीकी और वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है. इसी समय, IPv4 एड्रेस ब्लॉक की बढ़ती कीमतें और बाजार पर इस संसाधन की सामान्य कमी सभी हितधारकों को स्विच को जल्द या बाद में बनाने के लिए मजबूर करेगी.

IPv6 जटिलताएं

IPv6 जटिलताओं में शामिल हैं:

हेडर में एक चेकसम शामिल नहीं है. IPv6 में अब IP हेडर की सुरक्षा के लिए हेडर चेकसम नहीं है, जिसका अर्थ है कि जब एक पैकेट हेडर ट्रांसमिशन त्रुटियों द्वारा दूषित होता है, तो पैकेट को गलत तरीके से वितरित किया जा सकता है.

IPv4 और IPv6 मशीनें सीधे एक दूसरे से संवाद नहीं कर सकती हैं.

IPv4 से IPv6 पर स्विच करने की प्रक्रिया धीमी और थकाऊ है.

IPv6 सबनेटिंग को समझना अपने आप में मुश्किल हो सकता है.

क्योंकि हेडर IPv6 में निश्चित लंबाई का है, विकल्प IP हेडर पर IPv4 के रूप में टैग नहीं किए जा सकते हैं.

IPSEC की आवश्यकता है

राउटर द्वारा क्यूओएस हैंडलिंग के लिए पैकेट प्रवाह की पहचान करने के लिए फ्लो लेबल फ़ील्ड का उपयोग करता है. होस्ट को टुकड़े पैकेट भेजने की अनुमति देता है लेकिन राउटर नहीं.

IPv6 को कौन रखता है?

Google ने अगस्त 2019 में बताया, कि Google पर खोज करने वाले लगभग 29 प्रतिशत IPv6 पर ऐसा कर रहे थे. फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) नोट करता है कि संक्रमण वर्षों तक लंबा होगा. संक्रमण के दौरान, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, सामग्री और एप्लिकेशन प्रदाताओं द्वारा कदम उठाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि IPv4 पते का समर्थन किया जाएगा. हालांकि, संक्रमण के दौरान, एफसीसी चेतावनी देता है, ऑनलाइन सेवाओं को बिगड़ा या अपमानित किया जा सकता है, और आईपीवी 4 पते के विभाजन और स्थानांतरण के कारण गोपनीयता से समझौता किया जा सकता है. अगस्त 2019 तक, अधिकांश वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) प्रदाता अभी तक IPv6 का समर्थन नहीं कर रहे थे.

IPv6 security

IPv6 एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) चला सकता है. इसलिए IPv6 का व्यापक रूप से अपनाने से मैन-इन-द-मिडिल अटैक (MITM) काफी मुश्किल होगा. नेटवर्क सिक्योरिटी फर्म SOHPOS के अनुसार, IPv6 का सुरक्षित पड़ोसी डिस्कवरी (SEND) प्रोटोकॉल का समर्थन एड्रेस रोलिंग प्रोटोकॉल (ARP) पॉइज़निंग और अन्य नामकरण-आधारित हमलों को और अधिक कठिन है. IPv4 के साथ, यह एक हमलावर के लिए काफी आसान है. IPv6 हमलावरों के लिए दो वैध मेजबानों के बीच यातायात को पुनर्निर्देशित करना और बातचीत में हेरफेर करना मुश्किल बनाता है. यह जोड़ा सुरक्षा पूरी तरह से उचित डिजाइन और कार्यान्वयन पर निर्भर करती है, और IPv6 का अधिक जटिल और लचीला बुनियादी ढांचा अधिक काम के लिए बनाता है. यदि, उदाहरण के लिए, एक सर्वर डिफ़ॉल्ट रूप से IPv6 को सक्षम करता है, लेकिन फ़ायरवॉल नहीं करता है, तो नेटवर्क हमला करने के लिए अधिक प्रवण है. एक नेटवर्क का संचालन जिसमें दो इंटरनेट प्रोटोकॉल - IPv4 और IPv6 - को तैनात किया जाता है, आमतौर पर इसका मतलब है कि नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन को IPv6 के लिए दोहराया जाना चाहिए - अर्थात, नेटवर्क को कॉन्फ़िगर किया जाना चाहिए ताकि IPv6 IPv4 की तरह काम कर सके. इस नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन में न केवल IPv6 रूटिंग को सक्षम करने और डोमेन नाम सिस्टम में IPv6 जानकारी को शामिल करने जैसे पहलू शामिल हैं, बल्कि पैकेट फ़िल्टरिंग के माध्यम से नेटवर्क सुरक्षा नीतियों के प्रवर्तन को भी शामिल करते हैं.

तैयार कर

आपकी कंपनी में उन्नत IPv6 प्रगति कितनी भी है, इस मानक में रुचि रखने और वैश्विक कार्यान्वयन के लिए योजना बनाने के लिए उच्च समय है. IPv4 पूल दुनिया के सभी क्षेत्रों में समाप्त हो गए और बरामद आईपी पते की कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं, यह एकमात्र रास्ता है. हालांकि, इसके लिए कुछ सावधानीपूर्वक योजना, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में निवेश, और आपकी कंपनी के लिए कुशल निष्पादन की आवश्यकता होती है जो इस परिवर्तन से नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं होते हैं, इसलिए इसे देखने के लिए उच्च समय है.