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ASG की फुल फॉर्म “Additional Solicitor General” होती है. ASG को हिंदी में “अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल” कहते है.
भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएसजी के रूप में संक्षिप्त रूप से भारत के एक कानून अधिकारी हैं और भारत सरकार के तीसरे रैंकिंग वाले वकील हैं. अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल का मुख्यालय नई दिल्ली या मुंबई या चेन्नई या इलाहाबाद में हो सकता है जैसा कि भारत सरकार समय-समय पर निर्दिष्ट कर सकती है. ASG विधि अधिकारी (सेवा की शर्तें) नियम, 1987 द्वारा शासित है.
भारत का सॉलिसिटर जनरल भारत के महान्यायवादी के अधीन होता है. वे देश के दूसरे कानून अधिकारी हैं, अटॉर्नी जनरल की सहायता करते हैं, और भारत के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल द्वारा सहायता प्रदान की जाती है. वर्तमान में, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता हैं. भारत के महान्यायवादी की तरह, सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सरकार को सलाह देते हैं और विधि अधिकारी (नियम और शर्तें) नियम, 1972 के अनुसार भारत संघ की ओर से पेश होते हैं. हालांकि, भारत के लिए अटॉर्नी जनरल के पद के विपरीत, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत एक संवैधानिक पद है, सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद केवल वैधानिक हैं. कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) नियुक्ति की सिफारिश करती है और आधिकारिक तौर पर सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति करती है. सॉलिसिटर जनरल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति का प्रस्ताव आम तौर पर कानूनी मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव / कानून सचिव के स्तर पर पेश किया जाता है और कानून और न्याय मंत्री की मंजूरी प्राप्त करने के बाद, प्रस्ताव एसीसी के पास जाता है और फिर राष्ट्रपति को.
भारत के सॉलिसिटर जनरल और अन्य कानून अधिकारियों के कर्तव्य विधि अधिकारी (सेवा की शर्तें) नियम, 1987 में निर्धारित हैं:
ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना, और कानूनी चरित्र के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना, जो समय-समय पर, भारत सरकार द्वारा उन्हें निर्दिष्ट या सौंपे जा सकते हैं.
जब भी आवश्यक हो, सर्वोच्च न्यायालय या भारत सरकार की ओर से किसी भी उच्च न्यायालय में उन मामलों (मुकदमों, रिट याचिकाओं, अपील और अन्य कार्यवाही सहित) में उपस्थित होने के लिए, जिसमें भारत सरकार एक पक्ष के रूप में संबंधित है या अन्यथा है इच्छुक;
संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में किए गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए; तथा
ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करने के लिए जो किसी विधि अधिकारी को संविधान या तत्समय लागू किसी अन्य कानून के तहत प्रदान किए जाते हैं.
भारत के महान्यायवादी के तहत सॉलिसिटर जनरल काम करता है सॉलिसिटर जनरल के कर्तव्य कानून अधिकारी (सेवा की शर्तें) नियम, 1987 में निर्धारित किए गए हैं. ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना, और कानूनी चरित्र के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना, जो समय-समय पर, भारत सरकार द्वारा उन्हें निर्दिष्ट या सौंपे जा सकते हैं. जब भी आवश्यक हो, सर्वोच्च न्यायालय या भारत सरकार की ओर से किसी भी उच्च न्यायालय में उन मामलों (मुकदमों, रिट याचिकाओं, अपील और अन्य कार्यवाही सहित) में उपस्थित होने के लिए, जिसमें भारत सरकार एक पक्ष के रूप में संबंधित है या अन्यथा है इच्छुक, संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में किए गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए; तथा ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करने के लिए जो किसी विधि अधिकारी को संविधान या तत्समय लागू किसी अन्य कानून के तहत प्रदान किए जाते हैं.
चूंकि कानून अधिकारी भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, कुछ प्रतिबंध हैं जो उनके निजी अभ्यास पर लगाए जाते हैं. एक कानून अधिकारी को इसकी अनुमति नहीं है. भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार या किसी विश्वविद्यालय, सरकारी स्कूल या कॉलेज, स्थानीय प्राधिकरण, लोक सेवा आयोग, पोर्ट ट्रस्ट, पोर्ट कमिश्नर, सरकारी सहायता प्राप्त या सरकारी प्रबंधित अस्पतालों को छोड़कर, किसी भी पक्ष के लिए किसी भी अदालत में संक्षिप्त जानकारी रखें, ए सरकारी कंपनी, राज्य के स्वामित्व या नियंत्रण वाला कोई निगम, कोई निकाय या संस्था जिसमें सरकार का प्रमुख हित है; भारत सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के खिलाफ किसी भी पार्टी को सलाह देना, या उन मामलों में जहां उसे भारत सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को सलाह देने या पेश होने के लिए बुलाया जा सकता है;. भारत सरकार की अनुमति के बिना, एक आपराधिक अभियोजन में आरोपी व्यक्ति की रक्षा करना; या भारत सरकार की अनुमति के बिना किसी भी कंपनी या निगम में किसी भी कार्यालय में नियुक्ति स्वीकार करना; भारत सरकार के किसी मंत्रालय या विभाग या किसी वैधानिक संगठन या किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को तब तक सलाह देना जब तक कि इस संबंध में प्रस्ताव या संदर्भ विधि और न्याय मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग के माध्यम से प्राप्त न हो जाए.
ASG के एक से अधिक अर्थ हो सकते हैं, इसलिए ASG के सभी अर्थों के लिए एक-एक करके देखें.
ASG की परिभाषा ऊपर दी गई है इसलिए इससे संबंधित जानकारी देखें.
ASG का अर्थ भी पहले समझाया गया है. अब तक आपको ASG के संक्षिप्त रूप, संक्षिप्त नाम या अर्थ के बारे में कुछ जानकारी हो गई होगी, ASG का क्या मतलब है? पहले समझाया गया है. इसके बारे में अधिक जानने के लिए आपको ASG से संबंधित कुछ समान शब्द भी पसंद आ सकते हैं. इस साइट में बैंक, बीमा कंपनियों, ऑटोमोबाइल, वित्त, मोबाइल फोन, सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर, यात्रा, स्कूल, कॉलेज, अध्ययन, स्वास्थ्य और अन्य शर्तों से संबंधित विभिन्न शब्द शामिल हैं.
क्या आपको पता है कि सॉलिसिटर जनरल कौन होता है और उनका काम क्या होता है. चलिए हम आपको बताते हैं कि सॉलिसिटर जनरल प्रधान पब्लिक प्रोसेक्यूटर होता है. सॉलिसिटर जनरल केंद्र सरकार का दूसरा सबसे बड़ा विधि अधिकारी होता है. वह विभिन्न मामलों में अदालत में केंद्र सरकार का पक्ष रखता है. साधारण भाषा में कहें तो सॉलिसिटर जनरल कानूनी नुमाइंदा होता है जो अदालत और कानूनी मामलों में सरकार की तरफ से पेश होता है और सरकार का पक्ष रखता है. अब आप सोच रहे होंगे सॉलिसिटर जनरल जब केंद्र सरकार का दूसरा सबसे बड़ा विधि अधिकारी होता है तो सबसे बड़ा विधि अधिकारी कौन होता है. केंद्र सरकार का सबसे बड़ा विधि अधिकारी अटॉर्नी जनरल यानि महान्यायवादी होता है. अटॉर्नी जनरल केंद्र सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है जो केंद्र सरकार को कानूनी मामलों की राय देता है. अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है.
राष्ट्रपति ऐसे कानूनविद को अटॉर्नी जनरल यानि महान्यायवाद चुनते हैं जो उच्चतम न्यायालय यानि सुप्रीम कोर्ट के जज बनने की काबिलयत रखते हों. अटॉर्नी जनरल दोनों सदनों (लोकसभा, राज्यसभा) की कार्यवाही में भाग ले सकता है. लकिन, वोट देने का अधिकार उनके पास नहीं होता है. क्योंकि उनकी सीधी नियुक्ति होती है, जबकि सदन के सदस्य चुनाव प्रक्रिया के तहत यानि चुनकर आते हैं. राष्ट्रपति जब तक चाहें सॉलिस्टर जनरल को अपने पद पर रख सकते हैं. यह अधिकार पूर्ण रूप से महामहिम के पास होता है. लेकिन अटॉर्नी जनरल की निुयक्ति में केंद्र सरकार की सलाह जरूर ली जाती है. अटॉर्नी जनरल के लिए सॉलिसिटर जनरल सहायक की भूमिका निभाते हैं. विधि से जुड़े कागज या कोई कार्यवाही में सॉलिसिटर जनरल, अटॉनी जनरल की पूरी मदद करते हैं. इसक अलावा सॉलिसिटर जनरल किसी भी अदालत में सरकार की तरफ से पेश हो सकता है और सरकार का पक्ष रख सकता है. देश के पहले अटॉर्नी जनरल एमसी सीतलवाड़ थे. जबकि देश के पहले सॉलिसिटर जनरल सीके दफ्तरी थे.
भारत सरकार के प्रमुख कानूनी सलाहकार के रूप में अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया (AG) की नियुक्ति होती है. केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति इनकी नियुक्ति करते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76(1) में अटॉर्नी जनरल का जिक्र है. अटॉर्नी जनरल का कार्यकाल तीन साल का होता है. केके वेणुगोपाल भारत के 15वें अटॉर्नी जनरल हैं, उन्हें पिछले साल एक्सटेंशन दिया गया था.
भारत का अटॉर्नी जनरल बनने के लिए वही योग्यताएं चाहिए तो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए जरूरी होती हैं. यानी वे किसी हाई कोर्ट में पांच साल तक जज रहे हों या 10 साल तक वकालत की हो या राष्ट्रपति की नजर में दिग्गज न्यायवादी हों. भारत का अटॉर्नी जनरल बनने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है.
मुख्य रूप से अटॉर्नी जनरल भारत सरकार को कानूनी मसलों पर सलाह देते हैं. मगर इसके लिए उस मामले का बेहद अहम होना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार से जुड़े सभी मसलों में अटॉर्नी जनरल ही सरकार का पक्ष रखते हैं. वह राष्ट्रपति से मिले अन्य न्यायिक काम भी पूरे करते हैं. अटॉर्नी जनरल को मिला एक प्रमुख अधिकार यह है कि वे संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं, हालांकि वोटिंग का अधिकार उन्हें नहीं है. इसके अलावा वह भारत की किसी भी अदालत के सामने पेश हो सकते हैं, मगर सरकार के खिलाफ नहीं.
सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (SG) दरअसल अटॉर्नी जनरल के मातहत आते हैं. यानी एक तरह से वह देश के दूसरे सबसे बड़े कानूनी अधिकारी होते हैं. वह न्यायिक मामलों में अटॉर्नी जनरल की मदद करते हैं. सॉलिसिटर जनरल की मदद के लिए चार ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी होते हैं. वर्तमान में तुषार मेहता भारत के सॉलिसिटर जनरल हैं. वेणुगोपाल की तरह उन्हें भी पिछले साल एक्सटेंशन दिया गया था.
सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करते हैं. योग्यता का पैमाना वही जो अटॉर्नी जनरल के लिए होता है.
सॉलिसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट या किसी भी हाई कोर्ट में भारत सरकार की तरफ से पेश हो सकते हैं. अगर राष्ट्रपति की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कोई संदर्भ उठता है तो संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल, दोनों में से कोई भी सरकार का प्रतिनिधित्व कर सकता है.
काम के लिहाज से देखें तो अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल में कोई अंतर नहीं है. हां, अटॉर्नी जनरल का पद संवैधानिक है मगर सॉलिसिटर जनरल और ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद महज वैधानिक. अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल दोनों की निजी प्रैक्टिस पर रोक होती है. इसके अलावा वह सरकार या सरकारी उपक्रमों के खिलाफ किसी को सलाह भी नहीं दे सकते. दोनों अधिकारियों की फीस प्रति दिन और प्रति केस के हिसाब से निर्धारित है.