DD Full Form in Hindi




DD Full Form in Hindi - DD की पूरी जानकारी?

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DD Full form in Hindi

DD की फुल फॉर्म “Demand Draft” होती है. DD को हिंदी में “मांग मसौदा” कहते है. डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) मांग पर देय एक वित्तीय मसौदा है. इसका उपयोग व्यक्तियों द्वारा एक बैंक खाते से दूसरे बैंक में स्थानांतरण भुगतान करने के लिए किया जाता है. डिमांड ड्राफ्ट और सामान्य चेक के बीच मुख्य अंतर यह है कि डिमांड ड्राफ्ट को कैश करने के लिए हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है.

DD का फुलफॉर्म Demand Draft और हिंदी में डीडी का मतलब मांग पत्र है. डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) मांग पर देय एक वित्तीय मसौदा है. इसका उपयोग व्यक्तियों द्वारा एक बैंक खाते से दूसरे बैंक में स्थानांतरण भुगतान करने के लिए किया जाता है. डिमांड ड्राफ्ट और सामान्य चेक के बीच मुख्य अंतर यह है कि डिमांड ड्राफ्ट को कैश करने के लिए हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है.

What Is DD In Hindi

डिमांड ड्राफ्ट को शार्ट फॉर्म में DD कहते है. ऑनलाइन भुगतान करने की बात आती है. तो चेक या ऑनलाइन भुगतान आदि दिमाग में आता है. इसके अलावा भी एक ऐसा माध्यम है. जिससे किसी को सुरक्षित भुक्तान किया जा सकता है. जिसे DD कहते है. किसी भी बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने का सबसे पुराना व सुरक्षित माध्यम है. वर्तमान समय में ऑनलाइन भुक्तान करने के लिए RTGS, NEFT, IMPS, UPI, तथा मोबाइल बैंकिंग का ज्यादातर लोग प्रयोग करने लगे है मगर फिर भी बहुत सी ऐसी सरकारी संस्थाए है जहा पे डिमांड ड्राफ्ट का ही प्रयोग किया जाता है डिमांड ड्राफ्ट से पैसे भेजने तथा रिसीव करने में कोई धोकाधड़ी या फ्रॉड नहीं होता है इसलिए सभी सरकारी संसथान या कार्यालय में डिमांड ड्राफ्ट Demand Draft का प्रयोग करते है. Demand Draft एक कागज का टुकड़ा होता है इसे बनवाने के लिए हमे बैंक जाना पड़ता है और इसे बनवाने के लिए बैंक में खाता होना ज़रूरी नहीं है यदि आपका उस बैंक में खाता नहीं है तो भी आसानी से डिमांड ड्राफ्ट बनवा सकते है.

DD की फुल फॉर्म Demand Draft होती है जिसे देवनागरी में डिमांड ड्राफ्ट लिखा जाता है तथा इसका हिन्दी अनुवाद होता है मांग पत्र. डिमांड ड्राफ्ट बैंकों द्वारा जारी किया जाने वाला लिखित प्रपत्र होता है जिस पर बैंक की स्टाम्प, बनाने वाले अफसर के हस्ताक्षर तथा लाभार्थी की जानकारी अंकित होती है. यह पैसों के लेन देन को सुरक्षित व सुगम बनाने का एक तरीका है. उदाहरण के तौर पर यदि आप किसी को एक लाख रुपए देते हैं तो इसे सुरक्षा पूर्वक ले जाना उस व्यक्ति के लिए मुश्किल हो सकता है और यदि पैसा किसी ऐसे व्यक्ति को देना है जो मीलों दूर रहता हो तब तो पैसों को लाने ले जाने का यह काम जोखिम भरा हो सकता है. अब इस परिस्थिति में आपकी सहायता बैंक करते हैं क्योंकि उनके पास पहले से ही पैसे की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध होते हैं तथा देश भर में शाखाएँ होने के कारण बैंकों को पैसों को इधर-उधर करने की आवश्यकता कम ही पड़ती है क्योंकि एक शाखा में पैसे जमा करवाने पर दूसरी शाखा या एटीएम के प्रयोग से इन्हें कहीं भी निकाला जा सकता है. डीडी अर्थात डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए ऑनलाइन सुविधा होती है जिसके जरिए आप इसे ऑनलाइन बनवा सकते हैं परन्तु यदि आप नगदी का डिमांड ड्राफ्ट बनवाना चाहते हैं तो आपको नगदी लेकर बैंक जाना होगा तथा वहां आपको एक डिमांड ड्राफ्ट आवेदन पत्र दिया जाएगा. यह आवेदन पत्र भरकर आपको अपने आवश्यक दस्तावेजों जैसे कि पैन कार्ड, पहचान पत्र इत्यादि की कॉपी के साथ 1 लाख या जितना पैसा आप किसी को देना चाहते हैं वह रकम आवेदन पत्र में भर कर बैंक में जमा करवानी होती है बैंक उस पैसे को लेकर आपको एक प्रपत्र देता है जिस पर कुल राशि, लाभार्थी का नाम व जानकारी, बैंक मैनेजर के हस्ताक्षर तथा बैंक की स्टाम्प अंकित होती है. अब आपके पैसे बैंक में हैं तथा उसका डीडी व जमा पर्ची आपके पास. आप इस डिमांड ड्राफ्ट को उस व्यक्ति को दे सकते है अथवा पोस्ट द्वारा भेज सकते हैं जिसके नाम पर आपने यह बनवाया है. इसे प्राप्त करने के पश्चात वह व्यक्ति सुगमता से उस बैंक विशेष की नजदीकी शाखा में जाकर वहाँ डिमांड ड्राफ्ट जमा कर पैसा प्राप्त कर सकता है. इस प्रकार आपके पैसा सुरक्षा पूर्वक लाभार्थी तक पहुँच जाता है. डिमांड ड्राफ्ट की इस सेवा के लिए बैंक आपसे नाम मात्र शुल्क लेते हैं जो 1 लाख की रकम के लिए 100 रुपए के आसपास होता है. डीडी सेवा का शुल्क सभी बैंकों में अलग-अलग हो सकता है. डिमांड ड्राफ्ट आमतौर पर बहुतयात में प्रयोग की जाने वाली सेवा है जिस कारण यह संक्षिप्त नाम प्रचलित हो चुका है.

DD की दूसरी फुल फॉर्म Doordashan है. देवनागरी में इसे दूरदर्शन लिखा जाता है. जैसा कि नाम से ही जाना जा सकता है कि यह दूर के दृश्यों को आपके समक्ष लाने की एक सेवा है. इसे इंग्लिश में "टेलिविज़न" कहा जाता है. दूरदर्शन नाम का जन्म वर्ष 1975 में उस समय हुआ जब भारत के राष्ट्रीय टीवी चैनल को दूरदर्शन नाम दिया गया था. सरकारी माध्यमों व शुरुआत में प्रसारण मीडिया पर भारत सरकार के अकेले स्वामित्व के चलते यह चैनल देश भर में प्रचलित हो चुका है. DD के नाम से बहुत से चैनल देखे जा सकते हैं जिनमें DD नेशनल, DD भारती, DD न्यूज़ राष्ट्रीय चैनल के उदाहरण हैं तथा DD पंजाबी, DD मलयालम, DD गुजराती इत्यादि क्षेत्रीय चैनल के उदाहरण हैं.

DD का इस्‍तेमाल भी किसी बैंक अकाउंट में पैसे भेजने के लिए होता है. किसी भी बैंक से इसे बनवाया जा सकता है. जिस इन्‍सान या कंपनी के नाम पर इसे बनवाया जाता है, इसका पैसा सीधा उसी के अकाउंट में ट्रान्‍सफर होता है. सबसे खास बात यह कि DD बनवाने के लिए आपका बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं है. DD बनवाने वाला या तो कैश देकर इसे बनवा सकता है या फिर अपने अकाउंट की मौजूदगी वाले बैंक से बनवाने पर अपने अकाउंट से पैसा कटवा सकता है.

डिमांड ड्राफ्ट कैसे बनता है?

डिमांड ड्राफ्ट एक चेक Cheque की तरह कागज का टुकड़ा होता है डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए बैंक में जाकर एक फॉर्म लेना होता है जिसे बैंक ड्राफ्ट फॉर्म कहते है उस फॉर्म को भरकर बैंक में जमा करना होता है उसके कुछ देर बाद बैंक आपको उस ड्राफ्ट को प्रिंट करके दे देता है. DD फॉर्म में आपको उनका डिटेल्स भरना होता है जिस व्यक्ति या संस्था के नाम भुक्तानं करना चाहते है उसका नाम तथा कितने रूपए भुक्तान करना है लिखना होता है जिस भी अमाउंट का आप डिमांड ड्राफ्ट बनवाते है उतना पैसा आपके अकाउंट में होना जरूरी है या उतना पैसा आप कॅश दे सकते है तथा जितने रूपये का DD बनता उतना पैसा और बैंक अपना कुछ चार्ज को जोड़कर आपके बैंक अकाउंट से पैसे काट लेता है और DD बनाकर कस्टमर को बैंक दे देता है अब उसका वो यूज़ कर सकता है.

बैंक से ड्राफ्ट बनवाने के लिए आप से बैंक कमीशन भी लेता है वो आप कितने का ड्राफ्ट बनवाते इस पर निर्भर करता है हर बैंक अपना कुछ चार्जेज ऐड कर लेता है जितने रूपये का DD बनता उतना तो ले ही लेता है लेकिन बैंक कुछ अपना चार्ज भी जोड़ लेता है.

ऑनलाइन डीडी कैसे बनाएं?

कई लोग सोचते है बैंक न जाना पड़े ऑनलाइन डिमांड ड्राफ्ट बनवा ले तो मैं आपको बता दू ऐसा बिलकुल भी नहीं होता है आपको बैंक जाना ही पड़ेगा इसके लिए आपको बैंक जाकर एक फॉर्म भरना पड़ेगा उसके बाद बैंक आपको एक डिमांड ड्राफ्ट बनाकर देगा इसमें थोड़ा समय लगता है कम से कम 3 से 4 घंटे का बैंक ग्राहक से समय मांगता है उसके बाद उसे रेडी करके देता है.

डिमांड ड्राफ्ट फॉर्म ?

DD क्या है जानने के बाद अब जानते है फॉर्म कहा मिलता है डिमांड ड्राफ्ट बनवाने के लिए एक फॉर्म भरना पड़ता है जिसमे दोनों पक्ष का डिटेल्स होगा जो डिमांड ड्राफ्ट बनवा रहा है उसका भी डिटेल्स होगा उसके साथ जिसके नाम से डिमांड ड्राफ्ट को बनवाया जा रहा है उसका भी पूरा डिटेल्स भरना होगा. यह फॉर्म आपको बैंक में मिल जाता है इसका बैंक आपसे कोई चार्ज नहीं लेता है सभी बैंक के यह फॉर्म अलग अलग होते है एक दूसरे बैंक का फॉर्म किसी दूसरे बैंक में मान्य नहीं होगा इस लिए आप उसी बैंक से फॉर्म ले जिस बैंक से आप डिमांड ड्राफ्ट बनवा रहे है उसे भरकर बैंक में जमा करे कुछ ही समय में आपका डीडी रेडी करके दे दिया जायेगा.

Demand Draft कैसे काम करता है?

आपके पास बैंक खाता है या नहीं इन दोनों परिस्तिथियों में आप बैंक ड्राफ्ट बनवा सकते है डिमांड ड्राफ्ट की राशि को बैंक में नकद या अपने खाते के साथं जमा करना होता है इसमें बैंक खाताधारी का नाम होता है जिसे धनराशि जमा करनी है तथा धन होता है जितना धन देना होता है और जमाकर्त्ता के हस्ताक्षण होते है. बैंक के द्वारा डिमांड ड्राफ्ट जारी करने के बाद आप इसे उस संस्थान में जमा कर सकते है जिस संस्थान या नाम से जारी किया गया है इसे वही विथड्राल कर सकते है जिसके नाम पर इसे जारी कराया गया है डिमांड ड्राफ्ट को आपने मुताबिक दिनांक डालकर विथड्रॉवल कराया जा सकता है. डिमांड ड्राफ्ट कभी ख़ारिज नहीं होता है जैसे चेक ख़ारिज हो जाता है जब खाता में पैसा नहीं होता है तो चेक ख़ारिज कर दिया जाता है लेकिन डिमांड ड्राफ्ट कभी ख़ारिज नहीं होता है.

Demand Draft का उपयोग ?

Demand ड्राफ्ट का उपयोग वे लोग करते है जो कॉलेज की फीस ,वेतन ,सरकारी संस्थान को भुक्तान करने के लिए या किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जिसपे भरोसा ना हो इन सभी जगह पर बैंक ड्रॉफ्ट का अधिकतर उपयोग होता है ऐसे फ्रॉड होने के शुन्य प्रतिशत चांस होते है इसलिए DD अभी तक इतना पॉपुलर है. अधिकतर इसे पेमेंट करने के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है इस माध्यम से पेमेंट करना बहुत आसान है जिसे पेमेंट करना चाहते है उसके नाम से जारी करवाकर उसे मेल कर सकते है और उसके द्वारा इसे विथड्रावल करवाया जा सकता है.

डिमांड ड्राफ्ट विनिमय के बिल के समान एक परक्राम्य लिखत है. एक बैंक एक ग्राहक (दराज) को डिमांड ड्राफ्ट जारी करता है, दूसरे बैंक (आहरणकर्ता) या उसकी अपनी शाखाओं में से एक को निर्दिष्ट पार्टी (प्राप्तकर्ता) को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है. डिमांड ड्राफ्ट की तुलना चेक से भी की जा सकती है. हालांकि, डिमांड ड्राफ्ट को काउंटरमांड करना मुश्किल है. डिमांड ड्राफ्ट केवल एक निर्दिष्ट पार्टी को देय किया जा सकता है, जिसे पे टू ऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है. लेकिन, चेक धारक को देय भी किया जा सकता है. डिमांड ड्राफ्ट एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक को भुगतान के आदेश हैं, जबकि चेक एक खाताधारक से बैंक को भुगतान के आदेश हैं. एक दराज को बैंक की शाखा का दौरा करना होगा और डीडी फॉर्म भरना होगा और राशि का भुगतान नकद या किसी अन्य तरीके से करना होगा, और बैंक डीडी [डिमांड ड्राफ्ट] जारी करेगा. डिमांड ड्राफ्ट की वैधता डीडी जारी होने की तारीख से तीन महीने की होती है. उदाहरण के लिए, कॉलेज में प्रवेश के लिए प्रवेश शुल्क की आवश्यकता होती है और कॉलेज नकद या डीडी द्वारा राशि जमा कर सकता है. अधिकांश कॉलेज चेक स्वीकार नहीं करेंगे, यही कारण है. डीडी चेक की तुलना में अधिक सुरक्षित है क्योंकि भुगतानकर्ता को बैंक के हाथ से डीडी प्राप्त करने से पहले राशि का भुगतान करना पड़ता है, जबकि चेक नकली हो सकता है क्योंकि भुगतानकर्ता को यह नहीं पता होता है कि क्या आहरणकर्ता बैंक खाता उस राशि का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है. दराज का बैंक का ग्राहक होना जरूरी नहीं है. डीडी पर मुहर

What Is a Demand Draft?

डिमांड ड्राफ्ट एक ऐसी विधि है जिसका उपयोग एक व्यक्ति द्वारा एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में स्थानांतरण भुगतान करने के लिए किया जाता है. डिमांड ड्राफ्ट नियमित सामान्य चेक से इस मायने में भिन्न होते हैं कि उन्हें भुनाने के लिए हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है. 2005 में, डिमांड ड्राफ्ट के बढ़ते कपटपूर्ण उपयोग के कारण, फेडरल रिजर्व ने नए नियमों का प्रस्ताव रखा, जिससे पीड़ितों के रिफंड का दावा करने का अधिकार बढ़ गया और धोखाधड़ी वाले चेक को भुनाने के लिए बैंकों को अधिक जवाबदेह ठहराया गया. डिमांड ड्राफ्ट एक बैंक हस्तांतरण शुरू करने का एक तरीका है जिसमें हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है, जैसा कि चेक के मामले में होता है. डिमांड ड्राफ्ट एक प्रीपेड लिखत है; इसलिए, आप धोखाधड़ी या गलत प्राप्तकर्ता के मामले में इस पर भुगतान रोक नहीं सकते हैं. क्योंकि डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल लोगों को धोखा देने के लिए किया जा सकता है, अब ऐसे नियम हैं जो पीड़ितों को होल्डिंग बैंक से धन की वसूली करने की अनुमति देते हैं.

जब कोई बैंक डिमांड ड्राफ्ट तैयार करता है, तो ड्राफ्ट का अनुरोध करने वाले ग्राहक के खाते से ड्राफ्ट की राशि ली जाती है और दूसरे बैंक के खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है. दराज डिमांड ड्राफ्ट का अनुरोध करने वाला व्यक्ति है; पैसे का भुगतान करने वाला बैंक अदाकर्ता है; धन प्राप्त करने वाला पक्ष आदाता है. डिमांड ड्राफ्ट मूल रूप से वैध टेलीमार्केटर्स को लाभान्वित करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे, जिन्हें अपने बैंक खाता नंबरों और बैंक रूटिंग नंबरों का उपयोग करके ग्राहक चेकिंग खातों से धन निकालने की आवश्यकता थी. उदाहरण के लिए, यदि कोई छोटा व्यवसाय स्वामी किसी अन्य कंपनी से क्रेडिट पर उत्पाद खरीदता है, तो छोटा व्यवसाय स्वामी अपने बैंक से उत्पादों के भुगतान के लिए कंपनी को डिमांड ड्राफ्ट भेजने के लिए कहता है, जिससे वह ड्रॉअर बन जाता है. बैंक ड्राफ्ट जारी करता है, इसे अदाकर्ता बनाता है. ड्राफ्ट के परिपक्व होने के बाद, दूसरी कंपनी का मालिक अपने बैंक में डिमांड ड्राफ्ट लाता है और उसका भुगतान जमा करता है, जिससे वह भुगतानकर्ता बन जाता है.

डिमांड ड्राफ्ट या डीडी एक व्यक्ति या बैंक द्वारा एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में धन हस्तांतरित करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक विधि है. डिमांड ड्राफ्ट चेक से बहुत भिन्न होते हैं, क्योंकि उन्हें कैश कराने के लिए खाताधारक के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है. साथ ही डिमांड ड्राफ्ट केवल बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं और आप उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर जारी नहीं कर सकते. ये अधिक सुरक्षित भी हैं और चेक की तुलना में धोखाधड़ी का कम जोखिम उठाते हैं क्योंकि डिमांड ड्राफ्ट केवल बैंक द्वारा जारी किया जाता है यदि ड्रॉअर के खाते में पर्याप्त धनराशि हो; जो चेक के मामले में नहीं है. डिमांड ड्राफ्ट केवल मांग पर देय होते हैं और उन्हें केवल बैंक में जमा किया जा सकता है, चेक के विपरीत डिमांड ड्राफ्ट का भुगतान वाहक को नहीं किया जा सकता है. डिमांड ड्राफ्ट आमतौर पर तब जारी किए जाते हैं जब बड़ी राशि का सवाल हो या पार्टियों के भीतर जो एक-दूसरे से अनजान हों और इस तरह विश्वास की कमी हो. डिमांड ड्राफ्ट का अनुरोध करने वाले ग्राहक के खाते से पैसे के साथ बैंक द्वारा एक डिमांड ड्राफ्ट जारी किया जाता है. यह व्यक्ति या ग्राहक जो डिमांड ड्राफ्ट का अनुरोध करता है उसे दराज कहा जाता है जबकि बैंक जो पैसे का भुगतान करता है उसे अदाकर्ता कहा जाता है. उस व्यक्ति या पार्टी का नाम जिसे डिमांड ड्राफ्ट का भुगतान किया जाना है, डीडी पर उल्लेख किया गया है. डिमांड ड्राफ्ट प्राप्त करने वाले इस व्यक्ति या पार्टी को आदाता कहा जाता है. इस डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से धन केवल प्राप्तकर्ता को हस्तांतरित किया जा सकता है और कोई अन्य व्यक्ति यह डीडी प्राप्त नहीं कर सकता है.

डिमांड ड्राफ्ट बनाम चेक

डिमांड ड्राफ्ट बैंक द्वारा जारी किया जाता है जबकि चेक एक व्यक्ति द्वारा जारी किया जाता है. इसके अलावा, एक बैंक के एक कर्मचारी द्वारा एक डिमांड ड्राफ्ट तैयार किया जाता है, जबकि एक बैंक के एक ग्राहक द्वारा एक चेक निकाला जाता है. डिमांड ड्राफ्ट का भुगतान ड्रॉअर द्वारा रोका नहीं जा सकता जैसा कि चेक के साथ हो सकता है. हालांकि चेक हाथ से दिया जा सकता है, लेकिन डिमांड ड्राफ्ट के मामले में ऐसा नहीं है. इस बात पर ध्यान दिए बिना कि किसी व्यक्ति का बैंक में खाता है या नहीं, ड्राफ्ट निकाला जा सकता है, जबकि चेक केवल खाताधारक द्वारा ही लिखा जा सकता है.

डिमांड ड्राफ्ट या डीडी बैंक द्वारा जारी किया जाने वाला एक परक्राम्य लिखत है. परक्राम्य लिखत का अर्थ यह है कि यह भुगतानकर्ता के नाम का उल्लेख करते हुए एक निश्चित राशि की गारंटी देता है. इसे किसी भी स्थिति में किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है. बैंक एक ग्राहक (दराज) को ड्राफ्ट जारी करता है जो किसी अन्य बैंक या अपनी शाखा को आदाता को विशिष्ट राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है. डिमांड ड्राफ्ट की तुलना चेक से की जा सकती है लेकिन ये नकली और अधिक सुरक्षित हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि ड्रॉअर को बैंक को डिमांड ड्राफ्ट जारी करने से पहले भुगतान करना पड़ता है जबकि आपके बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित किए बिना चेक जारी किया जा सकता है. इसलिए, चेक बाउंस हो सकते हैं लेकिन ड्राफ्ट सुरक्षित और समय पर भुगतान का आश्वासन देते हैं. ड्राफ्ट मांग पर देय हैं. इसका भुगतान वाहक को नहीं किया जा सकता है लेकिन लाभार्थी को सीधे शाखा में लिखत प्रस्तुत करना होगा. इसे बैंक के समाशोधन तंत्र द्वारा भी एकत्र किया जा सकता है. ज्यादातर, डिमांड ड्राफ्ट उन स्थितियों में जारी किए जाते हैं जहां पार्टियां एक-दूसरे से अनजान होती हैं और उनमें विश्वास की कमी होती है. यह ऐसी स्थितियों में काम आता है क्योंकि धोखाधड़ी और जालसाजी की लगभग कोई संभावना नहीं होती है

डिमांड ड्राफ्ट कैसे काम करता है?

ड्राफ्ट सुविधा लोगों के लिए उपलब्ध है, भले ही उनके पास बैंक खाता हो या न हो. कोई भी व्यक्ति जो किसी संस्था को या भुगतान के प्रमाण के साथ एक निश्चित राशि का भुगतान करना चाहता है, वह डिमांड ड्राफ्ट जारी कर सकता है. व्यक्ति बैंक जा सकते हैं और ड्राफ्ट फॉर्म मांग सकते हैं या वे फॉर्म ऑनलाइन भी भर सकते हैं.

डिमांड ड्राफ्ट कैसे बनाएं?

डिमांड ड्राफ्ट के लिए फॉर्म बैंक से प्राप्त किया जा सकता है या ऑनलाइन भरा जा सकता है. आपको कुछ महत्वपूर्ण विवरण दर्ज करने की आवश्यकता है जैसे कि ड्राफ्ट के लिए आपके भुगतान का तरीका (चेक या नकद), लाभार्थी का नाम, ड्राफ्ट को भुनाने का स्थान, चेक नंबर, आपका बैंक खाता नंबर, हस्ताक्षर, आदि. आप यह भी करेंगे यदि आप रुपये से अधिक का भुगतान कर रहे हैं तो आपको अपना पैन कार्ड विवरण प्रदान करना होगा. 50,000 चेक से. ड्राफ्ट के लिए आपको कुछ शुल्कों का भुगतान करना होगा जो बैंक की नीतियों के अधीन हैं. शुल्क भिन्न हो सकते हैं लेकिन हमेशा एक निश्चित मानदंड बना रहता है. यहां देश के लोकप्रिय बैंकों द्वारा लगाए गए शुल्कों की सूची दी गई है.

डिमांड ड्राफ्ट कैसे रद्द करें?

ड्राफ्ट जारी करने के लिए आप जो राशि देते हैं वह बैंक द्वारा तुरंत स्वीकार कर ली जाती है चाहे वह नकद हो या चेक और आपको डीडी रद्द करने के लिए बैंक जाना होगा क्योंकि इसके लिए कोई ऑनलाइन प्रावधान नहीं है. भुगतान विधियों के अनुसार, दो मामले हो सकते हैं जिनमें आपको डीडी रद्द करना पड़ सकता है. आपने नकद के माध्यम से भुगतान किया: धनवापसी प्राप्त करने के लिए आपको रसीद के साथ मूल ड्राफ्ट बैंक को जमा करना होगा. बैंक करीब रुपये काटेगा. 100 से रु. 150. आपने चेक के माध्यम से भुगतान किया: यदि आपने चेक के माध्यम से राशि का भुगतान किया है और राशि आपके बैंक खाते से काट ली गई है, तो आपको विधिवत भरे हुए रद्दीकरण फॉर्म के साथ मूल ड्राफ्ट जमा करना होगा और राशि आपके खाते में वापस जमा कर दी जाएगी. . 150. किसी भी मामले में, यदि आपने डीडी खो दिया है या डाक सेवा में चूक गए हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक लिखत जारी करने का प्रमाण मांगेगा. हालांकि, बैंक के कुछ अनुरोध और सहयोग के साथ, आपको बैंक में ड्राफ्ट रसीद की प्रति मिल सकती है और रद्दीकरण से पहले हो सकती है.

डिमांड ड्राफ्ट की समय सीमा समाप्त होने पर क्या करें?

ड्राफ्ट जारी होने की तारीख से 3 महीने की अवधि के लिए वैध है. ड्राफ्ट उस अवधि के बाद समाप्त हो जाएगा यदि बैंक को प्रस्तुत नहीं किया जाता है. हालांकि, समाप्त होने के बावजूद, ड्रॉअर के खाते में पैसा वापस नहीं किया जाएगा. ड्रॉअर को ड्राफ्ट को फिर से वैलिडेट करने के लिए बैंक से संपर्क करना पड़ता है. यहां एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि आदाता या कोई अन्य व्यक्ति किसी भी हालत में डीडी को फिर से वैलिडेट करने के लिए बैंक से संपर्क नहीं कर सकता है. बैंक ड्राफ्ट को फिर से मान्य करने से पहले मूल विवरण की पुष्टि करता है और इसकी उपयोगिता को 3 महीने के लिए बढ़ा देता है. हालाँकि, एक पुनर्वैध मसौदे को आगे पुन: सत्यापित नहीं किया जा सकता है.

डिमांड ड्राफ्ट धोखाधड़ी क्या है?

मनी ट्रांसफर के सबसे सुरक्षित माध्यमों में से एक होने के बावजूद, डिमांड ड्राफ्ट धोखाधड़ी एक आम बात है. डिजिटल जानकारी का दुरुपयोग और परिष्कृत उपकरणों की आसान उपलब्धता भी ऐसे अपराधों का एक संभावित कारण है. डिमांड ड्राफ्ट धोखाधड़ी एक ऐसा परिदृश्य है जब कोई प्राप्तकर्ता के नाम पर नकली डीडी जारी करता है. ऐसी स्थितियों में, बैंक से ड्राफ्ट जारी करने वाले व्यक्ति का पता लगाना कठिन हो जाता है और प्राप्तकर्ता को कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बैंक को नकली डीडी प्रस्तुत करने के मामले में, बैंक आदाता के नाम पर प्राथमिकी दर्ज कर सकता है और उसे कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है. यह किसी को गंभीर संकट में डाल सकता है और इस प्रकार इस तरह की धोखाधड़ी से बचने और उससे निपटने के लिए नियमों के एक सेट का पालन करना महत्वपूर्ण है.

दराज की उचित जानकारी रखें: हमेशा दराज की उचित संपर्क जानकारी निकालें और इसे सत्यापित करना न भूलें. यह एक पूर्ण प्रमाण कदम नहीं है, लेकिन यह आपको अपने खोज क्षेत्र को कम करने और जालसाज को ट्रैक करने में मदद करेगा. अपनी बातचीत का उचित विवरण रखें या दराज से निपटें ताकि आप हमेशा संदेह के घेरे से बाहर रहें.

ड्राफ्ट की एक कॉपी हमेशा अपने पास रखें: ड्राफ्ट की रंगीन फोटोकॉपी बनाएं और उसे सुरक्षित रखें. इससे आपको मसौदा तैयार करने में उपयोग की जाने वाली विधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी, खासकर उन परिस्थितियों में जहां मसौदा उनके साथ एक महत्वपूर्ण राशि रखता .

तुरंत कानूनी कार्रवाई करें: नकली ड्राफ्ट प्रस्तुत करने पर बैंक आमतौर पर प्राप्तकर्ता के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे नियमों से बंधे हैं और उनके कार्यों को किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए निर्देशित किया जाता है. एक काउंटर एफआईआर शुरू करें और गंभीर कानूनी सलाह लें क्योंकि आपको अभी तीन मोर्चों पर लड़ना है. एक कानूनी प्रक्रिया का सामना करना है, दूसरा धोखेबाज को ट्रैक करना है और तीसरा है अपने नुकसान को ठीक करने का प्रयास करना. इसके अलावा, दराज की शाखा से संपर्क करना भी एक अच्छा विचार है क्योंकि वे आपको दराज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जैसे सीसीटीवी फुटेज, संपर्क जानकारी आदि प्रदान कर सकते हैं.