FPO का फुल फॉर्म क्या होता है?




FPO का फुल फॉर्म क्या होता है? - FPO की पूरी जानकारी?

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FPO Full Form in Hindi

FPO की फुल फॉर्म “Farmer Producer Organization” होती है, FPO की फुल फॉर्म का हिंदी में अर्थ “किसान उत्पादक संगठन” है. जिसका काम होता है किसानों द्वारा उत्पादित फसल का सही मूल्य लगा कर farmers का फायदा पहुँचाने वाला संगठन है ये.

FPO के गठन के लिए भारत Government के केन्द्रीय कृषि एवं Farmers Welfare Minister Narendra Singh Tomar के द्वारा नए दिशा-निर्देशों की बुकलेट जारी की गयी है. इस योजना की शुरुआत Prime Minister Narendra Modi जी के द्वारा पहले ही की जा चुकी है. एफपीओ के गठन से Farmers को बहुत ही अधिक लाभ प्राप्त होगा. वर्ष 2023-24 तक कुल 10,000 FPO का गठन किया जायेगा. इस पर Indian government के द्वारा कुल 6,866.00 करोड़ रुपये का खर्च किया जायेगा. इस पेज पर FPO क्या है, FPO का फुल फॉर्म, FPO की आवश्यकता, FPO से farmers को कैसे लाभ प्राप्त होगा, FPO की समस्याएं, के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की जा रही है.

What is FPO in Hindi

Farmers के लाभ के लिए FPO का गठन किया गया है . इसमें सभी Farmer इसके सदस्य होंगे . यह Farmer मिलकर FPO के नेता का चुनाव करेंगे . नेता के द्वारा अपने FPO (FPO) संगठन के प्रति जवाबदेह होगा. एक FPO में सहकारी संगठन, सहयोग सोसायटी, न्यास, सोसायटी, Farmer उत्पादक कंपनियों को सम्मिलित किया जाता है . कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत इसका पंजीकृत कराया जा सकता है. एसएफएबी, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के द्वारा FPO की स्थापना व प्रचार किया जायेगा . राज्य सरकार के द्वारा कृषि सहकारी और Farmer कल्याण (DACFW) से परामर्श के पश्चात अपनी एजेंसी को नियुक्त किया जा सकता है. कृषि सहकारी और Farmer कल्याण (DACFW) के द्वारा राज्य और क्लस्टर का निर्धारण किया जायेगा . इस प्रक्रिया के पश्चात क्ल्स्टर स्तर पर व्यापार संगठन की स्थापना की जाती है. इस संगठन में फसल, कृषि बाज़ार, मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण, सामाजिक सक्रियता, विधि एवं खाता और सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों को सम्मिलित किया जाता है, यह सभी विशेषज्ञों अपने स्तर पर प्रत्येक समस्या का निवारण करते है.

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FPO की आवश्यकता (FPO Need)

भारत सरकार Farmers की आय को दोगुनी करने के प्रयास में लगी हुई है . FPO भी इन्ही प्रयासों में से एक है . इसके पूर्व घोषणा में 2022 तक 7,000 FPO स्थापित किया जाना था अब इसे बढ़ा कर वर्ष 2023-24 तक 10,000 FPO कर दिया गया है .

छोटे और सीमांत Farmer के द्वारा उत्पादन तकनीक, सेवाएँ, बाज़ारीकरण और मूल्यवर्धन हेतु आर्थिक क्षमता नहीं होती है . इनकी क्षमता वृद्धि के लिए FPO का गठन किया गया है .

FPO के द्वारा Farmers को बेहतर इनपुट गुणवत्ता, तकनीक, मशीनीकरण, ऋण और बाज़ार तक पहुँच प्रदान की जाएगी .

एक FPO के द्वारा अपने सदस्य Farmer के लिए सामूहिक रूप से मोल-भाव करके उसकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जाता है .

FPO को एक जिला, एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत सम्मिलित किया गया है . इसके द्वारा एक क्लस्टर में किसी एक उत्पाद की विशेषज्ञता, प्रसंस्करण, बाज़ारीकरण, ब्रांडिंग और निर्यात के उचित कदम उठाये जायेंगे .

FPO को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सरकार इक्विटी ग्रांट को सम्मिलित कर रही है . नाबार्ड के द्वारा 1,000 करोड़ रुपये का ऋण गारंटी कोष की स्थापना की गयी है . इसमें नाबार्ड और DACFW का 50 – 50 प्रतिशत योगदान किया जाता है . एनसीडीसी में भी 500 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण किया जाता है . इसका लाभ यह होगा कि FPO को ऋण देने वाली वित्तीय संस्थाओं को मजबूती प्राप्त होगी .

राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश भी एग्री-मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के अंतर्गत ऋण प्राप्त कर सकते है . FPO और क्लस्टर स्तर के संगठनों की सहायता के लिए सरकार के द्वारा प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है .

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Farmers को कैसे लाभ प्राप्त होगा -

FPO के द्वारा बीज, कीटनाशक और ऊर्वरर्कों को थोक में खरीदा जाता है . खुदाई, बुआई और कटाई के लिए उपकरणों को भी थोक में किराए पर लिया जाता है . इसी मूल्य पर सभी Farmers को वितरित कर दिया जाता है . इससे Farmer के धन की बचत होती है .

एक मेकैनिकल हार्वेसटर को प्रति घंटे के हिसाब से किराया पर लिया जाता है . FPO के द्वारा इसे किराये पर लिया जायेगा . FPO प्रति घंटे अधिक से अधिक farmers को इसका लाभ पहुँचायेगा . इस प्रकार से छोटे Farmer भी इसका प्रयोग कर सकेंगे . इससे Farmer को इसका किराया कम देना पड़ेगा .

FPO के द्वारा बेहतर Storage सुविधाओं को प्रदान किया जाता है. इससे जब फसल की कटाई हो जाती है, तो Farmer अपनी फसल को वहां पर रख सकता है. इसका लाभ यह होगा जब फसल का मूल्य कम होगा, तो Farmer उसको नहीं बेचेगा क्योंकि उसके पास Storage करने की क्षमता होगी और जब फसल का मूल्य अधिक होगा, तब Farmer अपनी फसल को बेच सकता है. FPO अनुबंधित खेती में भी किसाओं को लाभ देगा. जब Farmer फसल की बुआई करना चाहेगा तब उसके पास पहले ही एक निश्चित आय होगी. यहाँ से वहां मूल्य व माँग-आपूर्ति के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है. Farmer FPO के द्वारा अपने उत्पाद पर ऋण भी प्राप्त कर सकता है. जब बाजार में फसल की कम आपूर्ति होती है उस समय वह अपनी फसल या उत्पाद को बेच का अधिक धन को प्राप्त कर सकता है. FPO इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-नाम) के द्वारा उत्पादों को बेच सकता है. अपने सदस्य farmers के लिए वह उत्पाद के बदले में दूसरे उत्पाद भी खरीद सकता है. FPO विकसित देशों से डिस्काउंट पर farmers को वस्तुएँ उपलब्ध करवाते हैं , इससे farmers के धन की बचत होती है.

भारत में Farmer धीरे-धीरे खेती करना छोड़ रहे हैं, जिससे farmers की संख्या कम होती जा रही है. जिसका मुख्य कारण farmers को उचित लाभ न मिलना है. खेती में farmers को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मार्च 2016 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की कृषि-नीति में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने की घोषणा की थी| इस घोषणा के अनुसार भारत की कृषि-नीति का मुख्य लक्ष्य 2022 तक अनाज का Production बढ़ाकर farmers की double the income करना है. मोदी Government इलैक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय मंडी (eNAM) स्थापित करने पर काम कर रही है, और इस योजना के अंतर्गत देश की One-third regulated wholesale markets को सूचीबद्ध कर लिया गया है. इसे और अधिक संभव बनाने के लिए स्थानीय या क्षेत्रीय स्तर पर कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन की आवश्यकता है, ताकि एक हज़ार से भी अधिक किसान, मंडियों तक अपनी पहुँच बना सकें और बेहतर दाम प्राप्त कर सके. FPO (FPO) क्या है? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नें farmers की आय दोगुनी करने हेतु मार्च तक प्रदेश में 60 हजार कृषक उत्पादक संगठन (FPO) बनाए जानें की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि हर विकास खंड से कम से कम एक FPO को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा. Government द्वारा इन संगठनों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएँगी. इन केंद्रों के माध्यम से कृषको के उपज की ब्रांडिंग भी होगी और उपज को बाजार मिलेगा. इससे farmers की आय बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आयोजित सम्मेलन में योगी ने कहा कि प्रदेश में 90 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत जोत वाले हैं. ऐसे में farmers को संगठित कर उन्हें सुविधाओं के साथ उनके उत्पाद को बाजार मुहैया कराया जाएगा. इसके लिए मौजूदा वित्त वर्ष में प्रदेश की सभी 60 हजार ग्राम पंचायतों में कम से कम एक FPO गठित करने का लक्ष्य है. उन्होंने FPO को पशुपालन, डेयरी और पोल्ट्री फॉर्मिंग से जोड़ने की बात कही.

FPO की समस्याएं ?

FPO को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जिसमें की farmers को सक्रिय करना, अच्छा प्रबंधन सीमित सदस्यता, नीतियाँ, स्वायत्तता और ऋण बाधाएँ होती है.

इस समय देश में 5,000 FPO का संचालन सही रूप से किया जा रहा है. इसमें 30 प्रतिशत में कार्य सही है तथा 20 प्रतिशत में condition pathetic बनी हुई है, बचे हुए 50 प्रतिशत इस समय अपने शुरुआती स्तर पर है.

Farmers को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए FPO का गठन किया गया है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकेगी. किसान के पास अधिक धन होने से वह अपने आवश्यकता की कई चीजों को खरीद सकता है. इससे उसके जीवन स्तर में सुधार हो सकता है.

FPO से किसान को लाभ -

  • यह एक सशक्तिशील संगठन होने के कारण FPO के सदस्य के रूप में किसनों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति देगी जिसे उन्हें जिंशो को प्रतिस्पर्धा मूल्यों पर खरीदने या बेचने का उचित लाभ मिल सकेगा.

  • बेहतर marketing opportunities के लिए कृषि उत्पादों का एकत्रीकरण. बहुलता में व्यापार करने से प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन इत्यादि मदों में होने वाले संयूक्त खर्चों से किसानों को बचत.

  • FPO मूल्य संवर्धन के लिए Sorting/Grading, Packing, Primary Processing इत्यादि जैसे activities शुरू कर सकता है जिससे किसनों के उत्पादन को उच्चतर मूल्य मिल सकता है.

  • FPO के गठन से ग्रीन हाउस, कृषि मशीनीकरण, शीत भण्डारण, कृषि प्रसंस्करण इत्यादि जैसे harvesting पूर्व और कटाई पश्चात संसाधनों के उपयोग में सुविधा.

  • FPO आदान भंडारों, कस्टम केन्द्रों इत्यादि को शुरू कर अपनी business activities को विस्तारित कर सकते हैं. जिससे इसके सदस्य किसान आदानों और सेवाओं का उपयोग रियायती दरों पर ले सकते हैं.

किसान उत्पादक संगठन के उद्देश्य -

  • यह लघु स्तर के उत्पादकों विशेष रूप से छोटे एवं marginal farmers के समूहीकरण के उद्देश्य से बनाया गया ताकि किसानों के हितों का संरक्षण किया जा सके.

  • Farmers को बीज, उर्वरक, मशीनों की आपूर्ति, मार्केट लिंकेजेज के संदर्भ में परामर्श एवं तकनीकी सहायता देना.

  • Farmers को प्रशिक्षण, नेटवर्किंग, वित्तीय एवं तकनीकी परामर्श देना.

  • Farmers को ऋण की उपलब्धता एवं बाछाार तक पहुँच सुनिश्चित करने के संदर्भ में उन challenges के समाधान का प्रयास करना जिनका सामना छोटे और सीमांत किसान करते हैं.

FPO (FPO) का मतलब

FPO (FPO) किसानों का एक समहू होता है, यह farmers का ऐसा समूह होता है, जिसे कृषि उत्पादन का कार्य करने वाला किसान और कृषि व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में एक जैसी धारणा रखने वाला किसान, एक गांव या फिर कई गांवों के किसान मिलकर इस समूह का गठन स्वयं से कर सकते हैं. ऐसा करने से किसान संगत कंपनी अधिनियम के तहत एक किसान उत्पादक कंपनी के तौर पर Registration के लिए application कर सकते हैं. application करने के बाद FPO (FPO) जरिये किसान को अपनी पैदावार के सही दाम प्राप्त हो जाते है, तो वहीं खरीदार को भी उचित कीमत पर वस्तु प्राप्त होती है. इसके अतिरिक्त जो उत्पादक अपनी पैदावार अकेले ही बेचने के लिए जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को प्राप्त हो जाता है. FPO (FPO) के लिए आवेदन करने से farmers को अधिक लाभ प्राप्त होता है.

इसकी वजह से ग्रीन हाउस, कृषि प्रसंस्करण, कृषि मशीनीकरण, शीत भण्डारण इत्यादि जैसे कटाई पूर्व और कटाई पश्चात सभी प्रकार के संसाधनो मे सुविधा प्रदान होता है. FPO Organization मूल्य संवर्धन के लिए छंटाई या primary processing आदि जैसे कार्य शुरु करता है. जिससे Organization के farmers को उच्च मूल्य मिल सके. यह farmers के लिए बहुत अच्छा संगठन है. अगर Farmer को अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिलता है तो वह इस Organization से जुड़ कर अधिक धन कमा सकता है. इससे बहुलता मे व्यापार करने से भंडारन, प्रसंस्करण, परिवहन आदि सभी खर्च को बचाने का काम करता है. FPO कस्टम केन्द्रों, आदान भंडारों आदि को शुरू कर अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को विस्तारित कर सकता है.

पीएम Farmer FPO योजना में पात्रता के नियम ?

  • इस योजना का फायदा किसी भी निजी Farmer को नहीं दिया जाएगा अतः इसका फायदा लेने के लिए कम से कम 11 farmers को मिलकर अपना एक संगठन तैयार करना होगा.

  • इस योजना में चयनित कमिटी द्वारा इन Farmer संगठनों का निरीक्षण किया जाएगा और इनके कार्यो का Observation किया जाएगा और इनकि रिपोर्ट सही पाई जाने पर ही इन्हे सहायता राशि 15 लाख रुपए दी जाएगी.

  • अगर यह संगठन पहाड़ी क्षेत्रों पर रहने वाले farmers के लिए है तो इसमें 100 farmers का जुड़ा होना जरूरी है तभी उन्हे इस योजना का फायदा दिया जाएगा.

  • अगर यह संगठन मैदानी क्षेत्रों में काम कर रही है तो इसमें 300 farmers का जुड़ा होना mandatory है और यदि इसमे 10 लोगों को बोर्ड मेम्बर बनाया गया है तो एक बोर्ड मेम्बर के अंदर 30 Farmer समूह होना आवश्यक है. इसके अतिरिक्त इससे जुड़ी अन्य घोषनाए मैदानी स्टार पर कि जाएगी.

पीएम किसान FPO योजना दस्तावेज़ ?

पीएम Farmer एफ़पीओ योजना में लाग्ने वाले दस्तावेज़ निम्न है -

  • प्रत्येक Farmer के पास स्वयं का फोटो आईडी कार्ड और फोटो होना mandatory है.

  • Farmer के पास स्वयं कि जमीन से संबन्धित सभी दस्तावेज़ होना भी आवश्यक है.

  • इसके अलावा Farmer के पास स्वयं के वर्तमान पते का प्रूफ होना भी mandatory है.

पीएम Farmer FPO Plan पंजीयन प्रक्रिया ?

अगर आप इस Plan का फायदा लेना चाहते है तो आपको following procedure का पालन करना होगा- इसके लिए आपको सर्वप्रथम इसकी ऑफिशियल वैबसाइट पर जाना होगा. जब आप इसमे सीधे हाथ के साइड देखेंगे तो आपको फॉर्मर कोर्नर टैब दिखाई देगा. इसी में नीचे आपको new former registration करके एक टैब दिखाई देगा आपको उसी पर Click करना है. आप जैसे ही वहाँ Click करते है आपको अगले पेज पर आपका आधार नंबर एंटर करने के लिए कहाँ जाएगा. यहाँ आपको अपना आधार नंबर भरकर नीचे दिया केपेचा कोड भरकर नीचे दिये Click हियर टु कंटिन्यू ऑप्शन पर Click करना होगा. आप जैसे ही यह प्रोसैस पूरी करते है आपके सामने एक form उपलब्ध होगा अब आपको इस form को पूरी तरह से अच्छे से भरकर और पुनः चेक करके सबमिट के ऑप्शन पर Click करना होगा. इस तरह से इस पूरी प्रक्रिया का पालन कर आप स्वयं को इसमें register कर सकेंगे. इस योजना का फायदा लेकर farmers को आर्थिक सहायता तो मिलेगी ही साथ ही Farmer समूह सीधे अपनी फसल बाजार तक पंहुचा सकेंगे और इन्हे अपना profit intermediaries के साथ बाटना नहीं पड़ेगा. इस योजना संबन्धित अन्य जानकारी के लिए आप हमे comment box में मैसेज करके पुछ सकते है हम आपके सवालों का जवाब देने का प्रयत्न जल्द से जल्द करेंगे.

एफपीओ क्या है और यह किसानों के लिए कैसे सहायक है?

FPO का मतलब किसान उत्पादक संगठन है. एफपीओ एक ऐसा संगठन है, जिसके सदस्य स्वयं किसान होते हैं. किसान उत्पादक संगठन छोटे किसानों को शुरू से अंत तक समर्थन और सेवाएं प्रदान करता है, और तकनीकी सेवाओं, विपणन, प्रसंस्करण, और खेती के इनपुट के अन्य पहलुओं को कवर करता है. किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के पीछे का विचार यह था कि "किसान, जो अपने कृषि उत्पादों के उत्पादक हैं, समूह बना सकते हैं और भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत खुद को पंजीकृत कर सकते हैं".

प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ (SFAC) को अनिवार्य किया गया था. भारत सरकार, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन में राज्य सरकार का समर्थन करने के लिए. लक्ष्य किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और बाजार के अवसरों को उभरने में उनका लाभ बढ़ाना है. किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के प्रमुख कार्यों में बीज, मशीनरी, बाजार संपर्क और उर्वरक, प्रशिक्षण, नेटवर्किंग, वित्तीय और तकनीकी सलाह की आपूर्ति शामिल है.

किसान उत्पादक संगठन का मुख्य उद्देश्य उत्पादकों के लिए अपने स्वयं के एक संगठन के माध्यम से बेहतर आय सुनिश्चित करना है. पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए छोटे उत्पादकों के पास व्यक्तिगत रूप से मात्रा नहीं होती है. कृषि विपणन में, बिचौलियों की एक श्रृंखला होती है, जो अक्सर गैर-पारदर्शी रूप से काम करते हैं, जिससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जहां उत्पादक को मूल्य का केवल एक छोटा हिस्सा प्राप्त होता है, जिसका भुगतान अंतिम उपभोक्ता करता है. इसको दूर किया जाएगा. संचय के माध्यम से, प्राथमिक उत्पादक पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठा सकते हैं. किसान उत्पादकों के पास उपज के थोक खरीदारों और आदानों के थोक आपूर्तिकर्ताओं के रूप में बेहतर सौदेबाजी की शक्ति होती है.

एफपीओ के प्रमुख बिंदु -

प्रारंभ में, किसान उत्पादक संगठन में न्यूनतम सदस्य उत्तर पूर्व और पहाड़ी क्षेत्रों में 100 और मैदानी क्षेत्रों में 300 हैं. किसान उत्पादक संगठन क्लस्टर-आधारित व्यावसायिक संगठनों के माध्यम से गठित और प्रचारित होते हैं और एजेंसियों को लागू करके राज्य या क्लस्टर स्तर पर लगे होते हैं. एफपीओ द्वारा विशेषज्ञता और बेहतर ब्रांडिंग, विपणन, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसान उत्पादक संगठन को "एक जिला एक उत्पाद" के तहत बढ़ावा दिया जाता है. किसान उत्पादक संगठन पर्याप्त प्रशिक्षण और सहयोग प्रदान करता है और सीबीबीओ प्रारंभिक प्रशिक्षण प्रदान करता है. आकांक्षी जिलों के प्रत्येक प्रखंड में कम से कम एक एफपीओ के साथ आकांक्षी जिलों में किसान उत्पादक संगठन के गठन को प्राथमिकता दी जाती है.

एफपीओ (कृषि में पूर्ण रूप) एक किसान उत्पादक कंपनी है. यह कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) में एक पंजीकृत भारतीय कंपनी है.

एफपीओ की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -

1. एफपीओ के शेयरधारक सदस्य मुख्य रूप से किसानों से बने होते हैं. एफपीओ की शेयर पूंजी का योगदान इन सदस्य किसानों द्वारा किया जाता है.

2. एफपीओ के सदस्य किसान भौगोलिक रूप से नजदीकी गांवों में और आमतौर पर एक जिले के भीतर होते हैं. वे समान/समान कृषि उत्पाद उगाते हैं. एफपीओ उत्पाद को बेहतर तरीके से एकत्रित कर सकता है. भारत सरकार भी इसे 'एक जिला एक फसल' के लक्ष्य से प्रोत्साहित कर रही है.

3. एफपीओ सामूहिकों की यह संरचना भारतीय किसानों के लिए बेहतर व्यावसायिक प्रथाओं, बेहतर एकत्रीकरण, बेहतर सौदेबाजी की शक्ति, बेहतर मूल्य और अधिक आय को बनाए रखने के लिए है.

4. इन कृषि व्यवसायों से एफपीओ से व्यावसायिक लाभ किसानों के बीच उनके योगदान के अनुसार उचित रूप से वितरित किया जाता है.

5. एफपीओ के पास सदस्यों का विश्वास बनाए रखने के साथ-साथ सही खरीदार खोजने की चुनौती होती है. वेब और मोबाइल पर आधुनिक डिजिटल टूल का उपयोग करते हुए, कई एफपीओ सीजन पर एफपीओ बिजनेस सीजन को स्थिर और विकसित करने में सक्षम हैं.

6. चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) एफपीओ के गठन और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए समानता अनुदान और क्रेडिट गारंटी सहायता प्रदान करते हैं.

7. एफपीओ डिजिटल उपकरण सफलता की कुंजी हैं. क्या आप एफपीओ शुरू कर रहे हैं या आप एफपीओ का प्रचार कर रहे हैं? समुद्र नेटवर्क ने शेयरधारक जानकारी रिकॉर्ड करने, शेयर प्रमाणपत्र जारी करने, हार्वेस्ट विवरण कैप्चर करने और एकत्रीकरण के लिए खरीदारों से जुड़ने में मदद करने के लिए एफपीओ डिजिटलीकरण उपकरण बनाए हैं - सभी एफपीओ को सफल बनाने के लिए तैयार हैं. हमें एक व्हाट्सएप संदेश भेजें - 9483166546

8. खरीदार अब किसान के करीब से खरीद सकते हैं. उन्हें मूल, गांवों के बारे में आश्वस्त किया जा सकता है जहां से वे सोर्सिंग कर रहे हैं. मूल्य अस्थिरता को कम करने और भरोसेमंद व्यावसायिक भागीदारी बनाने के लिए खरीदार एफपीओ के साथ मिलकर काम कर सकते हैं. डिजिटल उपकरण एसिंक्रोनस कार्य को आसान बनाते हैं और साथ ही उत्पाद डैशबोर्ड के साथ अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं. यदि आप एक खरीदार हैं, तो हमें एक व्हाट्सएप संदेश भेजें -8310215380 अधिक जानने के लिए और हमारे एफपीओ से स्रोत.

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एफपीओ के लिए आवेदन कैसे करें ?

जैसा कि हम जानते हैं कि एफपीओ और आईपीओ के बीच बहुत कम अंतर है, एफपीओ के लिए आवेदन करना आईपीओ के समान है.

एलिसब्लू के माध्यम से आप आसानी से एफपीओ के लिए आवेदन कर सकते हैं. यहां आपको पालन करने की आवश्यकता है.

चरण 1: केवल 15 मिनट में एलिसब्लू के साथ अपना निःशुल्क डीमैट खाता खोलें. क्या आपके पास पहले से एक खाता मौजूद है, फिर बस ऐलिस आईपीओ में लॉगिन करें.

चरण 2: उस एफपीओ में से चुनें जिसे आप लागू करना चाहते हैं और अपनी बोली लगाएं.

चरण 3: एक बार जब यूपीआई के माध्यम से बोली लगाई जाती है, तो यूपीआई ऐप आपके बैंक खाते में बोली के अनुपात में (आवंटन तिथि तक) धनराशि को ब्लॉक कर देगा. यदि आपको शेयर आवंटित किए जाते हैं, तो आपके खाते से पैसा डेबिट कर दिया जाएगा, यदि नहीं, तो पैसा अनब्लॉक हो जाएगा.

आईपीओ और एफपीओ के बीच मुख्य अंतर -

एक आईपीओ में, एक कंपनी पहली बार जनता को अपने शेयरों की पेशकश करके अपना धन जुटाने का फैसला करती है. दूसरी ओर, एक एफपीओ में, एक कंपनी आईपीओ के बाद अपने शेयरों को कम करके या नए शेयरों की पेशकश करके धन जुटाने का फैसला करती है. आमतौर पर एफपीओ में, कंपनी अधिक ग्राहक प्राप्त करने के लिए बाजार मूल्य की तुलना में कम कीमत पर शेयर जारी करती है.

एफपीओ के प्रकार -

एफपीओ के दो मुख्य प्रकार हैं:

डाइल्यूटिव फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर:

डाइल्यूटिव एफपीओ में, कंपनी जनता को नए शेयर प्रदान करती है. इस प्रकार के FPO का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त धन जुटाना है. यहां शेयरों की संख्या बढ़ने पर कंपनी की प्रति शेयर आय (EPS) घटती है.

नॉन-डिल्यूटिव फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर:

गैर-विघटनकारी एफपीओ में, कंपनी के प्रवर्तकों या निदेशकों जैसे बहुसंख्यक शेयरधारक अपने शेयर जनता को बेचने का निर्णय लेते हैं. यहां कोई नया शेयर जारी नहीं किया जाता है, इस प्रकार कंपनी की आय प्रति शेयर (ईपीएस) समान रहती है. नॉन-डिल्यूटिव एफपीओ कंपनी की पूंजी में वृद्धि नहीं करता है, क्योंकि शेयर से होने वाली कमाई शेयरधारकों की होती है.

निष्कर्ष ?

FPO,फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर के लिए खड़ा है. एक कंपनी अधिक शेयर जारी करके अतिरिक्त धन जुटाने के लिए एफपीओ का विकल्प चुनती है. नॉन-डिल्यूटिव एफपीओ के माध्यम से कंपनी के शुरुआती निवेशक अपने निजी तौर पर रखे शेयरों को बेच सकते हैं. एफपीओ का निर्गम मूल्य आमतौर पर मौजूदा बाजार मूल्य से कम होता है.