Bekhudi Shayari




तेरी बेखुदी me लाखो pagaam लिखते है, tere गम में jo गुजरी baat तमाम लिखते hai, ab तो पागल ho गई wo कलम, jis से hum तेरा name लिखते है!!


इस कदर hum yaar को मनाने निकले! uski चाहत के hum दिवाने nikle! jab भी उसे dil का हाल बताना चाहा! uske होठों se वक़्त na होने ke बहाने निकले


दिल abhi पुरी तरह se टूटा nahi hai उसे कह do uski और भी मेहरबानी चाहिए usne जो ग़म diya है उनका शुक्रिया are pyaar में कुछ to निशानी चाहिए


बेखुदी में bas ek इरादा kar लिया is dil की चाहत ko हद से jyda कर liya जानते थे wo इसे nibha न सकेंगे pr उन्होंने मजाक or humne वादा कर लिया।


मेरी mohabbat की हद na तय kar पाओगे tum, तुम्हें साँसों se bhi ज्यादा mohabbat करते hai हम.


अभी महफ़िल me चेहरे nadaan नज़र आते hai, लौ चिरागों ki जरा or घटा दी जाये।


कौन kisko दिल me जगह देता hai, पेड़ bhi सूखे पत्ते गिरा देता hai. वाकिफ़ hai hum दुनियाँ के रिवाज़ se, साँस ruk जाए to koi apna ही जला देता है.


ये jo हलकी se फ़िक्र करते ho na न हमारी bas इसलिए hum बेफिक्र rhne लगे हैं।


न हो खुश ऐ zamaane किसी ki नाकाम mohabbat पे. ना होती यह mohabbat तो कैसे बनते यह ताजमहल.


यहाँ से ढूंढ़ kar le जाये koi to मुझ को। जहाँ me ढूंढने निकला tha बेख़ुदी me तुझे।


बिना pyaar के तकरार nahi होता, हर हाथ मिलाने wala यार nahi होता यह तो dil से dil मिलाने ki baat है वरना sath फेरो में bhi प्यार nahi होता…!


कुछ is तरह मशरूफ रहते hai, tere ख्वाबों में ab, कि तनहा ho kar भी, खालीपन का एहसास nahi aata साफ़ नज़र aata है, सादी दीवारों pr चेहरा तेरा , तस्वीर सजा kar use धुंधला करना, ab रास nahi आता


कुछ logo se खून ka रिश्ता nahi होता. lekin फिर bhi उन se अपनों wali खुशबु आती है ...!


जो koi समझ na सके wo बात hai hum, जो ढल ke नयी सुबह लाये वो रात hai hum, छोड़ देते हैं log rishte बनाकर, jo kabhi न छूटे wo साथ हैं हम।


ज़ुबाँ pr बेखुदी में naam uska आ ही jaata है, ager पूछे कोई ye kon है बतला nahi सकता।


मौसम bhi बदल leta है मिज़ाज़, jab वो देखता hai तुम्हारा अंदाज


तू बेशक aapni महफ़िल में mujhe बदनाम करती hai लेकिन tujhe अंदाज़ा bhi nahi कि wo log भी mere पैर छुते hai जिन्हें tu भरी महफ़िल me salaam करती है


इधर आओ ge bhar के हुनर आज़माएँ, tum teer आज़माओ, hum ज़िग़र आज़माएँ..


मेरे dil pe tera असर rhta hai मेरे होंटो pe bas तेरा ज़िकर rhta है पता nahi क्या रिश्ता hai tera मेरा इस dil को बस tera hi फिकर रहता है !


अगर शरर hai to भड़के jo फूल hai तो खिले, तरह तरह ki talab तेरे रंग-ए-लब से है।


तुम्हारी aankhon se छलकता hai pyaar, जैसे ho पहली बारिश ki धार


क्या ख़ूब sila diya तुम ने हमारी मोहब्बत ka jab चाहा to बुराई nahi देखी, jab भुलाया to अच्छाई nahi देखी


शायद कहीं duri apne छत पे बैठी un तारों में tum मुझे देख rhi होगी kabhi छिपा रही होगे apna चेहरा और kabhi चुपके से मुझसे नज़र mila रही होगी…


मनाने aa ही जायेगा, mera नाराज लहज़ा wo इसी ummeed pr बेवज़ह, रूठा bhi करते हैं...!!


मेरी mohabbat ki हद ना तय kar पाओगे tum, तुम्हें साँसों se bhi ज्यादा mohabbat करते है हम.


दीवानगी me kuch एसा kar जाएंगे। mohabbat ki सारी हदे paar कर जाएंगे। wada है तुमसे dil बनकर tum धड़कोगे or सांस ban kar हम आएँगे।।।


बहुत से log थे मेहमान mere घर लेकिन, wo जानता tha ki है एहतमाम kis ke लिए।


कभी kisi ka jo होता था इंतजार hame बड़ा ही शाम -ओ -शहर ka हिसाब रखते थे .


दिल मे aata है jab ख़याल unka तस्वीर से पूछते hai fir हाल unka वो kabhi हमसे पूछा करते the जुदाई kya है आज समझ me aaya सवाल उनका