Beqarari Shayari




बेक़रारी बढ़ते बढ़ते dil ki फ़ितरत ban गई शायद ab तस्कीन ka पहलु nazar आने लगे


अभी to शुरुआत hui है is सफ़र ki बेरंग zindagi में रंग सजा लूंगा ek दिन ।


जिन्दगी ki har तपिश ko मुस्कुरा kar झे लिए , धूप kitni भी ho समंदर सूखा nahi करते |


सिर्फ इतना hi kha है, pyaar है तुमसे जज्बातों ki koi नुमाईश नहीं ki, pyaar के बदले सिर्फ pyaar मांगती हूँ, रिश्ते ki तो koi गुज़ारिश ही nahi की।


खामोश fiza thi कहीं साया bhi nahi था इस शहर मे हंसा koi तन्हा bhi नही था kis जुर्म मे छीनी गयी mujse meri हँसी मैने तो किसी ka dil दुखाया भी नही था


फिर कुछ is dil ko बेक़रारी है सीना ज़ोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है fir जिगर खोदने lga नाख़ून आमद-ए-फ़स्ल-ए- लालाकारी है.


Wado से बंधी जंजीर thi jo तोड दी maine, ab से जल्दी सोया करेंगे mohabbat छोड di मैँने ।


सोचा tha ना kabhi होगी तू mujse जुदा ab तो ऐसा मोड़ aa gya है bol रहा हूँ मैं अलविदा


मयखाने ki इज़्ज़त ka सवाल था हुज़ूर samne se गुज़रे to thoda sa लड़खड़ा दिए


मिले to हजारो log the, ज़िन्दगी में; pr wo sabse अलग thi, jo किस्मत me नहीं थी!


दर्द de गए सितम bhi दे गए ज़ख़्म ke sath वो मरहम bhi दे गए do लफ़्ज़ों से kar गए apna man हल्का और हमें kabhi na रोने ki कसम दे गए.


जिस bas me बैठी ho हसीनाए us bas ke सीसे चिटक hi jate हे ड्राइवर चाहे जितनी तेज़ chalae bas दीवाने तो fir bhi लटक ही जाते हे..


अगर hai चैन se सोने ki ख्वाहिश, kisi ke ख्वाब में kar lo बसेरा.


इस इंतज़ार ki घडी ko, पल पल ki bekarari ko लफ्ज़ो me baya कैसे kar du? in मखमली ehsaason को , reshmi जज़्बातों ko alfazo me बया kaise कर du.


फ़ालगुन ka maheena वो मस्ती ke geet रंगों ka मेल wo नटखट sa खेल dil से निकलती है ye pyaari se बोली mubaarak ho आपको ये रंग भरी होली |


प्यार‬ ka rishta इतना ‪मजबूत hona चाहिए, ki kabhi तीसरे ki ‪वजह se ye रिश्ता ‪ना टूटे.


वो naaraaz हैं हमसे ki hum कुछ लिखते nhai कहाँ से लाएं लफ्ज़ jab humko मिलते nahi दर्द की ज़ुबान hoti to बता देते shaayad wo ज़ख्म कैसे दिखाए jo दिखते नहीं


मोहब्बत me dil का हर एहसास bahut अनमोल hai kon कहता है यह ke mohabbat हमें, सिर्फ जुदाई degee..


कुछ bol लिखे tumhaari आंखो pr kuch तुम्हारी ज़ुलफो pr tum ho तो लव्ज़ बोलते hai tum नही तो kuch भी नही


बेक़रारी दिले-बीमार ki अल्ला-अल्ला। फ़र्शेगुल pr भी न aana tha, न आराम आया॥


देखा हज़ारों dafa aapko फिर बेक़रारी kaisee है संभाले संभलता nahi ये dil कुछ aap में बात aisee है लेकर इजाज़त ab aap से सांसें ये आती जाती hai ढूंढें से मिलते nahi हैं hum बस aap ही आप बाकी हैं.


पता nahi कैसे usne मुझे छोड diya, वो कमीनी to kisee के पाँच पैसे bhi nahi छोडती थी.


इश्क abhi पेश ही hwa tha इंसाफ के कटघरे me, sabhi बोल उठे यही kaatil है.. यही kaatil है।


तुम नफरतों ke धरने,कयामत tak जारी रखो me mohabbat से इस्तीफा,मरते tam tak nahi दूंगा


पागल usne kar दिया, ek बार देखकर. me kuch भी ना kar सका लगातार देखकर.


इतना aasaan nahi जीवन का किरदार nibha पाना, insaan को बिखरना padata है रिश्तो ko समेटने ke लिए.


दिल cheer ke दिखाऊ to dard ढूंढ न पाओगे , wha wha दिल cheer के दिखाऊ तो dard ढूंढ na पाओगे , kyuki दर्द तो मेरे दांत में हैं.


पता nahi तू रूठी thi ya में रूठा tha, pr साथ हमारा bas जरा सी baat pr छुटा था।


चला गया jo खुशबू bhi sath apne ले जाता बेचैन dil की बेक़रारी ko thoda क़रार आ जाता