Ehsaas Shayari




ऐ खुदा लोग बनाये थे पत्थर के अगर, मेरे एहसास को शीशे का न बनाया होता।


याद करते है तुम्हे तनहाई में, दिल डूबा है गमो की गहराई में, हमें मत धुन्ड़ना दुनिया की भीड़ में, हम मिलेंगे में तुम्हे तुम्हारी परछाई में.


हम ने देखा, चाहा तुझे इबादत की तरह काश तुम ने भी चाहा होता खुदा की तरह.


क्यों चाहता हूँ मैं तुझे और तू चाहती है किसी और को क्यों ऐसा होता है और क्यों वैसा नहीं होता क्यों मैं नहीं समझता और क्यों तू नहीं समझती कब तू यह समझेगी और कब मैं वो समझूगा.


मोहब्बत में दिल का हर एहसास बहुत अनमोल है… कौन कहता है यह के मोहब्बत हमें, सिर्फ जुदाई देगी.


धूप मायूस लौट जाती है, छत पे किसी बहाने आया कर कौन कहता है दिल मिलाने को, कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर..!!


जैसे धुऐं के पीछे से सूरज का चमकना, घने बादलों के पीछे से चाँद का खिलना, पंखुडियाँ खोलकर कमल का खिलखिलाना, वैसे घूँघट की आड से तेरा लाजवाब मुस्कुराना।


इश्क अभी पेश ही हुआ था इंसाफ के कटघरे में, सभी बोल उठे यही कातिल है.. यही कातिल है।


रुकी-रुकी सी लग रही है नब्ज-ए-हयात ये कौन उठ के गया है मेरे सिरहाने से।


उनका भी कभी हम दीदार करते है उनसे भी कभी हम प्यार करते है क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है.


शायद अब दुश्मन भी मुरीद हैं हमारे, जो वक्त-बेवक्त हमारी ही चर्चा किया करते हैं, छुपा के खंजर बगल में हमारी गली से गुजरते हैं, और मिलने पर सलाम-नमस्ते किया करते हैं।


एक पलका एहसास बनकरआते हो तुम दूसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम जानते हो की लगता है डर तन्हाइययों से फिर भी बारबार तन्हा छोड़ जाते हो तुम.


उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी, उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।


आप को पाकर अब खोना नहीं चाहते इतना खुश होकर अब रोना नहीं चाहते ये आलम है हमारा आप की जुदाई में आँखों में है नींद पर सोना नहीं चाहते..


हम से खेलती रही दुनिया ताश के पत्तों की तरह, जिसने जीता उसने भी फेका जिसने हारा उसने भी फेंका !


कुछ बोल लिखे तुम्हारी आंखो पर, कुछ तुम्हारी ज़ुलफो पर तुम हो तो लव्ज़ बोलते है, तुम नही तो कुछ भी नही


वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजीब होंगे, दुनिया में हम खुश नसीब होंगे, दूर से जब इतना याद करते है आपको, क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे!


क्यों मरते हो बेवफा सनम के लिए एक कद जगह भी नहीं मिलेंगे दफ़न के लिए मरना है तो हिन्द ये वतन के लिए मरो हसीना भी दुपट्टा उतार देगी तुम्हारे कफ़न के लिए


कैसे जीऊ में लेकर दाग ए बेवफाई। मेने तो हर लम्हा उनसे वफ़ा ही निभाइ। जिनके कहने पर वो लगाते है तोहमत। वो खुद बेवफा है खुदगर्ज हरजाई।


मोहब्बत का नतीजा, दुनिया में हमने बुरा देखा, जिन्हे दावा था वफ़ा का, उन्हें भी हमने बेवफा देखा.


अभी महफ़िल में चेहरे नादान नज़र आते हैं, लौ चिरागों की जरा और घटा दी जाये।


तुम्हारा दुःख हम सह नहीं सकते भरी महफ़िल में कुछ कह नहीं सकते हमारे गिरते हुए आंसूओ को पढ़ कर देखो वो भी कहते है की हम आपके बिना रह नहीं सकते