यूँ 👨⚕️ पल हमें सताया न कीजिये, यूँ हमारे दिल 👨🏭 को तड़पाया न कीजिये, 👩🍳 क्या पता कल हम हों न हों 👨⚖️ इस जहाँ में, यूँ नजरें हमसे आप 👩🎓 चुराया न कीजिये.
जुर्म 👦 में हम कमी करें भी 👵 तो क्यों तुम सजा भी तो कम 👨 नहीं करते
किस्मत 👨⚕️ से लड़ने मे, मजा 👩🎓 आ रहा है दोस्तों, 👧 ये मुझे जितने नहीं दे रही, और 👨🏭 हार मैं मान नहीं रहा.
गुजरे 👨⚖️ हैं इश्क़ में हम इस मुकाम से नफरत सी हो गई है 👨🌾 मोहब्बत के नाम से हम वह नहीं जो मोहब्बत 👨🌾 में रो कर के जिंदगी को गुजार दे… 👨🍳 अगर परछाई भी तेरी नजर आ जाए 👩🍳 तो उसे भी ठोकर मार दें।
रूठना 👨🌾 तो हर कोई जानता है, पर 👨🌾 हर किसी के पास, प्यार से मनाने 👧 वाला नहीं होता
जुर्म 👨 तो मेरा,, इश्क था ना??.. 👵 तो सज़ा-ए-मौत देते, 👦 ये तन्हाई क्यूँ???
मैं फिर 👨 से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिंदगी में खुशियाँ यारो. 👵 दुआ करना इस बार किसी से 👦 मोहब्बत न हो.
कर 👨 लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी 👵 आस के साथ, कि खुदा 👨🍳 नूर भी बरसाता है 👦 आज़माइशों के बाद!!!
हमारा 👧 ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ, 👨⚖️ दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे, 👨🌾 ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, 👨🌾 जो होश आया तो देखा 👨🍳 लहू लहू हम थे।
हर 👨🏭 गाम पे शिकस्त ने यूँ हौसला 👨⚕️ दिया जिस तरह साथ साथ 👩🎓 कोई हमसफ़र चले
उन 👦 भूली बिसरी यादो में मदमस्त रवानी हो जाये 👵 अब आ जाओ तुम साथ अगर कुछ नई 👨 कहानी हो जाये।
वो 👨🏭 दिल क्या जो मिलने की दुआ न करे, 👩🎓 तुम्हें भुलकर जिऊ यह खुदा न करे, रहे तेरी दोस्ती 👨⚖️ मेरी जिन्दगानी बनकर, यह बात और है 👨⚕️ जिन्दगी वफा न करे|
एक 👧 बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी 👨🌾 से प्यार ना करना. 👩🍳 बस फिर क्या था. 👨🍳 तब से मोह्हबत की नज़र से हमने खुद 👨🌾 को भी नहीं देखा !!