अदा 🖤 से देख लो जाता रहे गिला दिल का, 🐏 बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला 🐯 दिल का..!!
अभी 🐏 महफ़िल में चेहरे नादान नज़र आते हैं, 🖤 लौ चिरागों की जरा और घटा दी जाये।
सारी 🐯 उम्र आँखों में एक सपना याद रहा, 🐏 सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा, 🖤 न जाने क्या बात थी उन मे और हम मे, 💞 सारी महफिल भूल गए बस वही एक चेहरा 💞 याद रहा..
जहाँ 🐯 भूली हुई यादें दामन थाम लें दिल का, 🖤 वहां से अजनबी बन कर गुज़र जाना 🐏 ही अच्छा है.
कड़क 💞 फैसले बोहोत ज़रूरी है , 🐏 सुकून के लिये ! बार-बार मौका 💞 दो तो दुनिया पीठ को पायदान 🖤 बना लेती है !!
अगर 💞 कोई याद नही करे, 🐏 तो आप कर लीजिए. 🐯 रिश्ते निभाते वक़्त, मुकाबला नही 🖤 किया जाता.
कोई 🐏 वादा नहीं फिर भी तेरा इंतजार है 💞 जुदाई के बाद भी हमें तुझसे प्यार है 🐯 तेरे चेहरे की उदासी कर रही है बयान 💞 दास्ताँ की मुझसे मिलने के लिए 🖤 तू भी बेक़रार है
मैं 🐏 शब्दों से खेलती हूँ हैरान होते हैं लोग, 🖤 करती हूँ हाले दिल बयान तो परेशान 🐯 होते हैं लोग।
काश 🐏 मुझे मालूम हो जाए, तेरी सोच का 🐯 मेहवार तो मैं खुद तरसुम तेरे अंदाज 🖤 ए नजर से.
क्या 🐯 कहे कुछ कहा नही जाता, दर्द मीठा है 🐏 पर रहा नही जाता, दोस्ती हो गई इस 💞 कदर आपसे, बिना याद किये बिना 🖤 रहा नहीं जाता।
सनम 🖤 इस जनम में तू ही तो है 💞 एक फूल हमारे चमन में देखते हैं 🐯 जब जब तुझको खलबली मच जाती है 🐏 पूरे बदन में ||
बस 🐯 वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है, 🐏 बाकी तो मैं भी बहुत खुश हूँ 🖤 आजकल..!!
आईने 🖤 में वो देख रहे थे बहार-ऐ-हुस्न 💞 आया मेरा ख्याल तो शर्मा के 🐯 रह गये
जब 🐏 आप "फिक्र" में होते हो तो,खुद जलते हो.. 🖤 .और आप "बेफिक्र" होते है,तो दुनिया 💞 जलती है...!!!
तेरा 🖤 नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे. 🐯 बात तो जरा सी थी पर दिल ने 🐏 बुरा मान लिया.
काट 🐏 कर गैरों की टाँगें..ख़ुद लगा लेते हैं लोग.! 💞 इस शहर में इस तरह भी..कद बढ़ा लेते हैं 🖤 लोग.!!
लगता है 🐯 इतना वक़्त मेरे डूबने में क्यूँ.. 🖤 अंदाज़ा मुझ को ख़्वाब की 🐏 गहराई से हुआ।
इस 🐏 क़दर था खटमलों का चारपाई में 🖤 हुजूम, वस्ल का दिल से मेरे अरमान 🐯 रुख़्सत हो गया।
नही 🐯 करते इजहारे इश्क वो, पर रहते हैं 🐏 मेरे करीब वो, देखो तो शर्मा जाते हैं, 🖤 हया भी कितने अजीब होते
मत 💞 चाहो इतना किसी को की बाद में रोना 🐯 पड़े क्योकि मेरे दोस्त, ये दुनिया दिल से नहीं जरुरत से 🖤 प्यार करती हैं..!!
अपने 🐏 हसीन होठों को किसी परदे में छिपा 🖤 लिया करो हम जरा गुस्ताख़ 💞 लोग है नजरों से चुम लिया 🐯 करते है
दुरुस्त 🐯 रखिएगा हिसाब किताब जरा संबंधों का भी..🖤 जिंदगी का क्या पता कब मार्च 🐏 आ जाये।
खुशी 🖤 देने वाले अपने तो होते ही है 💞 पर गम देने वाले भी 🐯 अजनबी नही होते…
तलब 🐯 ये नहीं, कि मैं तुम्हारा हो जाऊँ.. 🐏 ख़्वाहिश है, तुम्हारी दुआ बनूँ और क़ुबूल 🖤 हो जाऊँ
मत 🐏 कर हिसाब किसी के प्यार का..🐯. कहीं बाद में तू खुद ही कर्ज़दार 🖤 न निकले ...
एक 🐯 तरफ़ दामन-ए-मोहब्बत और 🖤 दूसरी तरफ़ है फ़र्ज़ हमारा, 🐏 अब तू ही बता ऐ ज़िन्दगानी ! 💞 तेरा क़र्ज़ किस तरह अदा 🖤 किया जाये।