BKU Full Form in Hindi




BKU Full Form in Hindi - BKU की पूरी जानकारी?

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BKU Full form in Hindi

BKU की फुल फॉर्म “Bhartiya Kisan Union” होती है, BKU का हिंदी में मतलब “भारतीय किसान यूनियन” होता है. BKU का मतलब भारतीय किसान यूनियन (Ambawata) है. यह भारत के किसानों और किसानों के श्रमिकों के कल्याण के लिए स्थापित एक गैर-राजनीतिक संगठन है. आइये अब इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

BKU निर्माण 1997 में ऋषिपाल अंबावता जी ने चौधरी जयपाल सिंह, कप्तान भोपाल सिंह, कर्नल विक्रम सिंह, श्री नरेश सिरोही, ठाकुर पाल सिंह और भारत के किसान आंदोलन के अन्य महान नेताओं के सहयोग से किया था, अपनी स्थापना के बाद से, यह भारत में किसानों की स्थिति में सुधार के लिए नीतियों का मसौदा तैयार करने में विभिन्न आंदोलनों और मार्गदर्शक सरकारों के माध्यम से भारतीय किसानों के उत्थान और बेहतरी के लिए लगातार काम कर रहा है।

BKU स्वर्गीय श्री बंसीलाल, स्वर्गीय चौधरी चारण सिंग, श्री भूपिंद्र हुड्डा, श्री राजेश पायलट और कई अन्य ऐसे महान व्यक्तियों के प्रयासों की प्रशंसा करता है, जिन्होंने भारतीय किसानों की दशा सुधारने में अपना सहयोग दिया।

भारतीय किसान संघ

जैसा की हम सभी जानते है, भारत एक कृषिप्रधान देश है. किसान और कृषि एवं कृषि पर आधारित उद्योग अपने देश की Economics का मुख्य आधार है. किसान और कृषि के बगैर भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती, परंतु जहॉं एकतरफ पूरे World में कृषि क्षेत्र का चौतरफा विकास हो रहा है. वहीं भारत में किसान असहाय बना हुआ है. अपनी लूट की जा रही है. ऐसी भावना यहॉं के किसानों के मन में निर्माण हो रही है. इस Abnormality को दूर करने के लिए देश में कई Institutions, संघटन प्रयत्नरत है, पर उनमें कई तो किसी व्यक्ति/ व्यक्तिओं या किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के प्रचारक के रूप में कार्य कर रहीं हैं. इस प्रकार की Institutions या संगठन उनके स्वार्थ के लिए या व्यक्तिगत Ambition की पूर्ती के लिए किसानों का उपयोग करते हैं. यह विडंबना है, यह देखते हुए किसानों में देश के प्रति उनके दायित्व के साथ साथ उनके अधिकारों के लिए जागृती लाने के लिए एक अराजनैतिक संगठन की जरूरत महसूस होने लगी थी. यही बात जान कर देश के एक ज्येष्ठ तत्त्वचिंतक, मजदूर नेता श्री. दत्तोपंतजी ठेंगडी ने भारतीय किसान संघ इस अराजनैतिक व राष्ट्रवादी संगठन की स्थापना की।

किसानों के लिये, किसानों द्वारा चलाये जाने-वाले Organization के रूप में भारतीय किसान यूनियन आज सारे World में परिचित है. यह भारत के सबसे बड़े किसान Organization के रूप में भी जाना जाता है. भारतीय किसानों का विकास करने के लिए उनका Organization जरूरी है. यह बात जान कर देश के एक ज्येष्ठ तत्त्वचिंतक, मजदूर नेता स्व. दत्तोपंतजी ठेंगडी ने इसकी स्थापना की, सभी राजकीय संगठनों से अलिप्त रहकर और राजकीय अभिलाषाओं से परे होकर भारतीय किसान यूनियन पिछले तीन दशकों से निःस्वार्थ रूप से अपने ध्येय की ओर अग्रेसर है. भारतीय किसान यूनियन की स्थापना के पूर्व स्व .दत्तोपंतजी ठेंगडी ने संपूर्ण देश की journey की और सभी राज्यों के किसानों की समस्याओं को समझा, उन्होने सारे देश में से 750 से अधिक किसान Representatives का चयन किया और राजस्थान के कोटा शहर में एक अधिवेशन आयोजित कर 4 मार्च 1949 में भारतीय किसान यूनियन के स्थापना की घोषणा की, संघटनात्मक, रचनात्मक और आंदोलनात्मक भूमिका निभाते हुए आज भारतीय किसान यूनियन देश के किसानों तथा कृषि मजदूरों की आवाज उठानेवाला और साथ ही ग्राम विकास की प्रक्रिया में सहयोग देने वाला एक प्रमुख संगठन बन चुका है।

स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री भारतीय गणराज्य के 2 वें प्रधान मंत्री थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेताओं में से एक थे. वह 1920 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बने और महात्मा गांधी के एक वफादार अनुयायी थे. उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सक्रिय रूप से देश का नेतृत्व किया, उन्होंने "जय जवान जय किसान" का नारा दिया जो न केवल युद्ध के दौरान बहुत लोकप्रिय हुआ बल्कि आज भी याद किया जाता है।

दिवंगत वी.पी. सिंह

विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के 7 वें प्रधानमंत्री थे, अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत में निचली जातियों की स्थिति को सुधारने में बहुत प्रयास किया, वह 1969 में उत्तर प्रदेश की विधान सभा के सदस्य बने, 1974 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा वाणिज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और बहुत कुछ, 1980 में, वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। एक मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश के गांवों में डकैती और दस्यु समस्याओं पर कड़ी कार्रवाई की।

श्री रिहिसपाल अम्बावता

Rishipal Ambawata का जन्म 1 जुलाई 1962 को एक किसान परिवार में हुआ था, बचपन से ही वह सक्रिय रूप से खेती में लगे थे, एक किसान के रूप में काम करते हुए, उन्होंने किसानों के सामने आने वाली कठिनाई और अन्याय का सामना किया और किसानों के अधिकारों और न्याय के लिए लड़ने का फैसला किया, वह भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार के लिए आर्थिक और भावनात्मक रूप से निरंतर योगदान दे रहे हैं।

लक्ष्य और उद्देश्य

  • विविध मजदूर संगठन, सहकारी और शैक्षणिक संस्थाएँ, उसी प्रकार आर्थिक, सामाजिक औेर सांस्कृतिक संगठनाओं से भी मदद लेना।

  • कृषि तंत्रज्ञान में नये खोजों के कारण होने वाले परिवर्तनों की, सुधारों की समय समय पर जानकारी देकर किसानों को उनका स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करना।

  • शतकों से भारत में प्रचलित परंपरागत कृषि पद्धती की जानकारी, उसका उपयोग, उसमें किये गए प्रयोग, परिवर्तन, संशोधन आदि जानकारी इकठ्ठा करना और अन्य किसानों को यह जानकारी प्राप्त हो इसके लिये उसे प्रकाशित करना, और साथ ही पेटंट लिये जाने के प्रयासों से उसका बचाव करना।

  • किसानों को उन्ही के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक प्रगति के लिये संगठित करना| कृषि के साथ विविध गृह उद्योगों द्वारा आय के पूरक स्रोत उपलब्ध कर उन्नत जीवनमान की ओर उन्हें अग्रेसर करना।

  • किसान और कृषी मजदूरों में और उसी प्रकार गांव के अन्य कारीगरों में सहायता और सौहार्द्र बढाना और उस जरिये गांव में सकारात्मक और खुशहाल वातावरण निर्माण करना।

  • किसानों को आनेवाली कठनाईयॉं और उनकी समस्याओं पर चर्चा, संगोष्ठी, आयोजित करना, उसी सिलसिले में विविध अभ्यास गुटों का निर्माण करना, किसानों की अभ्यास यात्राएँ, उनके उत्पादों के प्रदर्शन आयोजित करना. इस प्रकार के आयोजनों के लिये प्रोत्साहन देना और मदद भी करना।

  • भारतीय गोवंश की विविध प्रजातियों का रक्षण और संवर्धन करना| उसी प्रकार कृषी कार्य में सहाय्यभूत होने वाले अन्य जीवों का भी रक्षण और संवर्धन करना।

  • परंपरागत भारतीय कृषि पद्धती का महत्त्व जताकर उसका स्वीकार और संवर्धन करने के लिये और उसी प्रकार पर्यावरण की सुरक्षा ध्यान में रखते हुए भूमी की उपजक्षमता, पानी की उपलब्धता, बीज, पशुधन, पौधे आदि के संबंध में समय समय पर आनेवाले आधुनिक बदलाओं का स्वीकार करने के लिये उन्हे प्रोत्साहन देना।

  • भूमि, जल और ऊर्जा स्रोतों का व्यवस्थापन तथा पर्यावरण संरक्षण के संबंध में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ हॉंथ बटाकर किसानों के लिए विविध प्रशिक्षण शिबिरों का आयोजन करना।

  • नये, विकसित जलसिंचन तंत्र तथा पानी की बचत करनेवाले उपकरणों को विकसित करना और किसानों के हित में उनका प्रचार करना।

संगठन का स्वरूप

भारतीय किसान संघ एक पंजीकृत संगठन है. देश का कोई भी किसान इसका सदस्य बन सकता है. यह सदस्यता तीन वर्ष तक होती है, उसके बाद ङ्गिर से सदस्यता प्राप्त करनी होती है. भारतीय किसान संघ के ग्राम स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक सभी कार्यकारिणीयों का हर तीन वर्ष बाद निर्वाचन होता है. भारतीय किसान संघ ने कृषि की परिभाषा बहुत ही व्यापक स्वरूप में की है. प्रत्यक्ष खेती, दुग्ध व्यवसाय, ङ्गलोत्पादन, रेशम उत्पादन, मत्स्य व्यवसाय, वनीकरण और इन सारे प्रकारों से संलग्न निर्माण, प्रक्रिया, व्यापार उद्योग में कार्यरत सभी कर्मचारी और कृषि-मजदूर किसी जात, धर्म, भाषा, प्रदेश आदि किसी भी प्रकार का भेद न मानते हुए भारतीय किसान संघ के सदस्य बन सकते हैं.

भारतीय किसान संघ की ग्राम समिती, विकास विभाग समिती, जिल्हा समिती, विभागीय समिती, प्रांत समिती, राज्य समिती, प्रदेश समिती और राष्ट्रीय समिती होती है. जिसके पदाधिकारियों के चयन अतिशय सौहार्द्रपूर्ण और पारिवारिक वातावरण में किया जाता है. यह समितियॉं सारे वर्ष भर विविध उपक्रम और कार्यक्रमों का आयोजन करती है. इनमें मुख्यतः सदस्यता अभियान, विविध कार्य समितियों का निर्माण, मासिक सभाएँ, रिङ्ग्रेशर कॅम्प, विविध प्रशिक्षण शिबिर, सभाएँ, गॉंव का एकत्रीकरण, सम्मेलन, यात्राएँ, कृषि मेला, पशु मेला, किसान दिन, स्थापना दिवस, आदर्श ग्राम कल्पना, आनंद मेला (सोशल ङ्गीस्ट), वन-वास्तव्य, गो-पूजन, भारतमाता पूजन, पशुओं की स्पर्धा (शंकरपट आदी), ङ्गल, सब्जियॉं, ङ्गूल प्रदर्शन और स्पर्धा, विविध आंदोलन, घेराव, धरना, प्रदर्शन आदि का आयोजन किया जाता है।

भारतीय किसान संघ किसानों के उत्थान के लिए कार्य करनेवाला संगठन है. भारत में किसानों की ओर सरकार का कामी दुर्लक्ष होता रहा है. देश के कई भागों में अवर्षण या अतिवृष्टी की समस्या बारबार निर्माण होती रहती है, जिससे किसानों का जीवन पूर्णतः बिखर जाता है.

ऐसे में सरकारी अनास्था से किसानों की स्थिती और बिगड जाती है. हालाकि कृषि यह भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है; परंतु देश के अर्थसंकल्प में यह बात प्रतिबिंबित होती दिखाई नहीं देती, सरकार कृषि उत्पादों के लिए जो समर्थनमूल्य घोषित करती है. उससे भी किसानों का कभी लाभ होता दिखाई नहीं देता, यह एक विडंबना ही तो है. असंगठित होने के कारण किसानों का हरदम शोषण ही होता रहा है, और यही कारण है कि किसान उनका गॉंव और खेती छोडकर शहरों की ओर जाने लगा है. इस कारण शहरों में झुग्गी-झोपडियॉं, जनसंख्या में वृद्धि आदि नागरी समस्याएँ बढने लगी, इस प्रकार की सारी समस्याओं को दूर करने का भारतीय किसान संघ का प्रयास है।