NOTA Full Form in Hindi




NOTA Full Form in Hindi - नोटा की पूरी जानकारी हिंदी में

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NOTA Full Form in Hindi

NOTA की फुल फॉर्म “None of the Above” होती है, नोटा का हिंदी में मतलब “इनमें से कोई भी नहीं” होता है. NOTA भारतीय मतदाताओं को election के समय दिए जाने वाला एक मतदान-पत्र है. NOTA के माध्यम से, एक नागरिक को चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार को Vote नहीं देने का अधिकार है.

नोटा का उपयोग कब से शुरू हुआ आइये जानते है, कुछ साल पहले मतदाताओं को अगर election में खड़े उम्मीदवारों में से कोई भी उम्मीदवार इस काबिल नहीं लगता था जिसे वो अपना Vote दे सके ऐसी स्थिति मतदाता vote करने के लिए नहीं जाया करते थे. दोस्तों ऐसे परिस्थिति में वो अपने मतदान का उपयोग करने से वंचित रह जाते थे. लेकिन कुछ समय पहले इस बात पर विचार किया गया और फिर चुनाव आयोग द्वारा ये निर्णय लिया गया की ऐसे मतदाताओं के लिए नोटा का विकल्प होना चाहिए. और उसके बाद हमारे देश के नागरिकों को मतदान करते समय ‘नोटा’ का विकल्प दिया जाने लगा है. जिससे की मतदाता vote करने से वंचित ना रहे. आज के समय में इस विकल्प का इस्तेमाल voting के दौरान बहुत से लोगों द्वारा किया भी जा रहा है.

नोटा शब्द चुनाव से सम्बंधित है और इसका उपयोग कोई भी नागरिक अपना vote डालते समय कर सकता है. अगर किसी भी मतदाता को अपना vote करते समय ऐसा लगता है कि उसकी constituency से खड़े हुए किसी भी पार्टी का उम्मीदवार, इस काबिल नहीं है जिस को वो अपना vote दे सके तो ऐसी परिस्थिति में मतदाता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या फिर ईवीएम में दिए गए nota बटन को दबा कर अपना vote किसी भी उम्मीदवार को ना देने का एक विकल्प चुन सकता है. जैसा की आप जानते है मतदाता के द्वारा डाला गए ऐसे vote की गिनती Vote नोटा में होती है.

What is NOTA In Hindi

आपको किसी Political party का कोई Candidate पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे? निर्वाचन आयोग ने इसकी व्यवस्था की है. आप चाहे तो NOTA का बटन दबा सकते हैं. आइए इसके बारे में Expansion से जानते हैं. NOTA का मतलब 'नान ऑफ द एबव' यानी इनमें से कोई नहीं है. अब चुनाव में आपके पास एक विकल्प होता है कि आप 'इनमें से कोई नहीं' का बटन दबा सकते हैं. यह विकल्प है NOTA . इसे दबाने का मतलब यह है कि आपको चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी Candidate पसंद नहीं है. EVM machine में इनमें से कोई नहीं या NOTA का बटन गुलाबी रंग का होता है.

NOTA का मतलब "उपरोक्त में से कोई नहीं" है. इसे "सभी के खिलाफ" या "खरोंच वोट" भी कहा जाता है. यह मतदाताओं को दिया गया अधिकार है जो उन्हें चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने में सक्षम बनाता है यदि उन्हें लगता है कि उनमें से कोई भी योग्य उम्मीदवार नहीं हो सकता है. यह है कि एक उम्मीदवार को वोट देने के लायक नहीं होने पर असंतोष व्यक्त करना या यह बताना कि मतदाता किसी भी उम्मीदवार पर विश्वास नहीं करता है. इसलिए, यह मतदाताओं का अधिकार है कि वे एक विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्र के सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार कर दें यदि उन्हें लगता है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं है. हालांकि, चुनाव के नतीजों में इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता है.

27 सितंबर 2013 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि "उपरोक्त में से कोई नहीं" चुनाव को पंजीकृत करने के अधिकार के रूप में एक विकल्प होना चाहिए. उन्होंने चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के भीतर उसी के लिए एक बटन उपलब्ध कराने का आदेश दिया. बाद में, कुछ महीनों के बाद, ऐसे मतदाताओं को सशक्त बनाने के लिए भारतीय समिति (ईसीआई) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में दिसंबर 2013 में नोटा विकल्प के लिए एक बटन पेश किया. यह सुविधा उम्मीदवारों की सूची में सबसे ऊपर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दिखाई देती है. जब मतपत्रों का उपयोग करके मतदान किया गया था, मतदाता, जो नोटा का उपयोग करना चाहते हैं, के पास किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ चिह्नित किए बिना मतपत्र को बॉक्स के भीतर रखने का चयन था और वोट को नोटा के रूप में गिना गया था. नोटा का पहली बार उपयोग भारत में 2013 में छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश और राजस्थान और इसलिए केंद्र शासित प्रदेश, दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में किया गया था. इन चुनावों में 15 लाख से अधिक मतदाताओं ने इस सुविधा का इस्तेमाल किया. नोटा का इस्तेमाल सिर्फ भारत में ही नहीं होता है. ऐसे कई देश हैं जहां ब्राजील, बांग्लादेश, यूक्रेन, कोलंबिया, फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन, फ्रांस, बेल्जियम, ग्रीस और अन्य जैसे चुनावों में इसका अभ्यास किया जाता है.

चुनाव आयोग की अधिसूचना क्या थी?

भारत चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में एक परि पत्र जारी करते हुए कहा कि NOTA के प्रावधानों को rajya sabha elections में भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यह प्रावधान 2013 में EVM में उपलब्ध कराया गया था.

नोटा का चिह्न

नोटा के चिह्न बारे में आइये जानते है, नोटा का चिह्न EVM पर बना होता है और इस चिह्न में एक मतपत्र है. और उस पर एक cross का निशान बनाया गया है. इस चिह्न का चुनाव सन 18 सितंबर 2015 में चुनाव आयोग ने किया था. इस चिह्न को गुजरात के राष्ट्रीय design institute, द्वारा design किया गया था.

नोटा का इतिहास - History

NOTA का सबसे पहले उपयोग संयुक्त राज्य America में किया गया था. और सबसे पहले सन 1976 में इस देश के नेवादा राज्य में हुए election में वहां के लोगों को NOTA का विकल्प दिया गया था. उसके बाद अन्य देशों ने भी इस विकल्प का उपयोग धीरे-धीरे अपने देश के मतदाताओं को लिए शुरू कर दिया.

नोटा का अर्थ ?

नोटा का अर्थ है- nun of the above, यानि इनमें से कोई नहीं. NOTA का उपयोग पहली बार भारत में 2009 में किया गया था. स्थानीय चुनावों में मतदाताओं को NOTA का विकल्प देने वाला छत्तीसगढ़ भारत का पहला राज्य था. NOTA बटन ने 2013 के Assembly चुनावों में चार राज्यों - छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में अपनी शुरुआत की. 2014 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ. भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के Assembly चुनावों में electronic voting machine में इनमें से कोई नहीं अर्थात `नोटा`(नन ऑफ द एबव) बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. 2018 में नोटा को भारत में पहली बार candidates के समकक्ष दर्जा मिला. Haryana में दिसंबर 2018 में पांच जिलों में होने वाले नगर निगम चुनावों के लिए Haryana चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि नोटा के विजयी रहने की स्थिति में सभी प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो जाएंगे तथा चुनाव पुनः कराया जाएगा. हालांकि अभी Election Commission of India ने इसे लागू नही किया है. भारतीय आम चुनाव, 2019 में भारत में लगभग 1.04 प्रतिशत voters ने उपरोक्त में से कोई नहीं (नोटा) के लिए मतदान किया, जिसमें बिहार 2.08 प्रतिशत नोटा voters के साथ अग्रणी रहा.

पहली बार कब हुआ नोटा का इस्तेमाल?

भारतीय निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के Assembly चुनावों में electronic voting machine में इनमें से कोई नहीं या नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. वोटों की गिनती की समय नोटा पर डाले गए वोट को भी गिना जाता है. नोटा में कितने लोगों ने वोट किया, इसका भी आंकलन किया जाता है. चुनाव के माध्यम से मतदाता का किसी भी उम्मीदवार के अपात्र, अविश्वसनीय और अयोग्य अथवा नापसन्द होने का यह मत (नोटा ) केवल यह संदेश होता है कि कितने Percent मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते. जब नोटा की व्यवस्था हमारे देश में नहीं थी, तब चुनाव में मतदाता वोट नहीं कर अपना विरोध दर्ज कराते थे. इस तरह बड़ी संख्या में voters का वोट जाया हो जाता था. इसके समाधान के लिए नोटा का विकल्प लाया गया ताकि चुनाव प्रक्रिया और Politics में शुचिता कायम हो सके. भारत, ग्रीस, यूक्रेन, स्पेन, कोलंबिया और रूस समेत कई देशों में नोटा का विकल्प लागू है.

चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल से पहले जब ballot paper का उपयोग होता था. तब भी voters के पास बैलेट पेपर को खाली छोड़कर अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार होता था. इसका मतलब यह था कि voters को चुनाव लड़ने वाला कोई भी Candidate पसंद नहीं है. मतदान कानून 1961 का नियम 49-0 कहता है, "अगर कोई मतदाता वोट डालने पहुंचता है और फॉर्म 17A में एंट्री के बाद नियम 49L के उप नियम (1) के तहत रजिस्टर पर अपने Signature या अंगूठे का निशान लगा देता है और उसके बाद vote दर्ज नहीं कराने का फैसला लेता है तो रजिस्टर में इसका रिकॉर्ड दर्ज होता है." फॉर्म 17A में इस बारे में जिक्र किया जाता है और मतदान अधिकारी को इस बारे में कमेंट लिखना पड़ता है. साल 2009 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी अपनी मंशा से अवगत कराया था. बाद में नागरिक Rights Organization People's Union for Civil Liberties ने भी नोटा के Support में एक जनहित याचिका दायर की. जिस पर 2013 को न्यायालय ने voters को नोटा का विकल्प देने का निर्णय किया था. हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि नोटा के मत गिने तो जाएंगे पर इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा.

NOTA का इस्तेमाल किन देशों मे होता है ?

NOTA का use करने वाले बहुत सारे अलग अलग देश है‌ जिसमे Colombia, Ukraine, Brazil, Bangladesh, Finland, Spain, Sweden, India, Chile, France, Belgium और ग्रीस जैसे देशों में देश भी शामिल हैं इनके अलावा भी कई देशो मे NOTA का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में नोटा का use करने के आदेश भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 को Assembly के चुनावों में दिए थे यह किसी भी वोट को खारिज करने का एक Option होता हैं बहुत से लोगो को किसी पार्टी को वोट नहीं देना होता तो वो नोटा की मदद से अपने वोट को खारिज कर सकते हैं इससे उनका vote किसी के काम नहीं आता. जब भी vote की गिनती होती हैं तो उसके साथ ही नोटा को भी गिना जाता हैं यह एक प्रमाण होता हैं की उम्मीदवार क्षेत्र के लोगो के अनुसार अपात्र, Incredible और अयोग्य अथवा नापसन्द हैं व मतदाता प्रत्याक्षी किसी भी प्रत्याक्षी को नहीं चाहता.

नोटा वोट का इतिहास - यह कैसे अस्तित्व में आया, यह किसका विचार था?

"उपरोक्त में से कोई नहीं" मतपत्र विकल्प का विचार 1976 में उत्पन्न हुआ जब इस्ला विस्टा म्यूनिसिपल एडवाइजरी काउंसिल ने संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा काउंटी में आधिकारिक चुनावी मतपत्र में इस विकल्प को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया. वाल्टर विल्सन और मैथ्यू लैंडी स्टीन, तत्कालीन परिषद मंत्रियों ने चुनावों के लिए मतपत्र प्रक्रिया में कुछ बदलाव करने के लिए एक कानूनी प्रस्ताव पेश किया. नेवादा राज्य द्वारा एक मतपत्र में 1978 में पहली बार 'उपरोक्त में से कोई नहीं' (NOTA) विकल्प पेश किया गया था. कैलिफ़ोर्निया में, इस मतपत्र विकल्प को बढ़ावा देने में कुल $987,000 खर्च किए गए थे, लेकिन मार्च 2000 के आम चुनाव में इसे 64% से 36% के अंतर से हराया गया था. यह नया मतपत्र विकल्प अमेरिकी राज्य और संघीय सरकारों के सभी वैकल्पिक कार्यालयों के लिए एक नई मतदान प्रणाली के रूप में घोषित किया गया होता, यदि मतदाता इसे पारित कर देते.

नोटा वोट की शुरुआत किसने की?

भारत में, 2009 में, भारत के चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि मतदाता को मतपत्र में 'उपरोक्त में से कोई नहीं' विकल्प प्रदान करने के लिए, क्योंकि यह मतदाताओं को किसी भी अयोग्य उम्मीदवार का चयन न करने की स्वतंत्रता देगा. सरकार इस तरह के विचार के पक्ष में नहीं थी. "द पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज" जो एक एनजीओ है, ने नोटा के पक्ष में एक जनहित याचिका दायर की. अंतत: 27 सितंबर 2013 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चुनावों में 'उपरोक्त में से कोई नहीं' वोट दर्ज करने का अधिकार लागू किया गया, जिसने तब चुनाव आयोग को आदेश दिया कि सभी वोटिंग मशीनों को नोटा बटन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि मतदाताओं को 'उपरोक्त में से कोई नहीं' चुनने का विकल्प.

नोटा शुरू करने की आवश्यकता ?

हमारे देश में अक्सर ऐसा होता है कि एक मतदाता चुनाव में किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करता है, लेकिन उसके पास उम्मीदवार चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के अनुसार, मतदाताओं के लिए 'उपरोक्त में से कोई नहीं' यानी नोटा विकल्प की शुरूआत से चुनावों में व्यवस्थित परिवर्तन होगा और राजनीतिक दल स्वच्छ उम्मीदवारों को पेश करने के लिए मजबूर होंगे. एक मतदान प्रणाली में, मतदाता को सभी उम्मीदवारों की अस्वीकृति को इंगित करने की अनुमति दी जानी चाहिए. इस विकल्प को शुरू करने का उद्देश्य मतदाता को सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने के लिए सशक्त बनाना है यदि वे किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं और सभी उम्मीदवार ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में सूचीबद्ध हैं. राजनीतिक दलों के पास चुनाव में अपनी ओर से स्वच्छ उम्मीदवारों को नामित करने के अलावा अन्य विकल्प होगा. आपराधिक या अनैतिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के पास चुनाव लड़ने से परहेज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

नियम 49-ओ क्या है? और यह नोटा से कैसे अलग है?

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49-ओ के अनुसार, "मतदाता मतदान न करने का निर्णय लेते हैं. - यदि कोई मतदाता, मतदाता सूची के बाद फॉर्म -17 ए में मतदाताओं के रजिस्टर में विधिवत दर्ज किया गया है और अपना हस्ताक्षर किया है या नियम 49एल के उप-नियम (1) के तहत आवश्यक अंगूठे का निशान, अपना वोट रिकॉर्ड नहीं करने का फैसला किया, पीठासीन अधिकारी द्वारा फॉर्म 17 ए में उक्त प्रविष्टि के खिलाफ इस आशय की एक टिप्पणी की जाएगी और हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान इस तरह की टिप्पणी के खिलाफ निर्वाचक प्राप्त किया जाएगा." 49-ओ और नोटा के बीच का अंतर यह है कि 49-ओ गोपनीयता प्रदान नहीं करता है. SC द्वारा NOTA प्रावधान को मंजूरी देने के बाद धारा 49 (O) को रद्द कर दिया गया. इसने चुनाव अधिकारियों को फॉर्म 17A में मतदाता की टिप्पणी के माध्यम से एक उम्मीदवार की अस्वीकृति के पीछे के कारण का पता लगाने का मौका दिया. नोटा के माध्यम से अधिकारी अस्वीकृति के कारण का पता नहीं लगा सकते हैं. इसके अलावा, यह एक मतदाता की पहचान की रक्षा करता है, इस प्रकार गुप्त मतदान की अवधारणा को बरकरार रखता है.

नोटा के सकारात्मक बिंदु ?

हालांकि मतदाताओं के चुनाव में 'उपरोक्त में से कोई नहीं' विकल्प के बारे में बहुत सारे नकारात्मक बिंदु हैं, सकारात्मक बिंदुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय का उद्देश्य राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों के रूप में स्वच्छ पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को पेश करने के लिए मजबूर करना था. चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार देश पर शासन करने वाले विधायिका का हिस्सा बन जाते हैं. इसलिए, यह अनिवार्य महसूस किया गया कि आपराधिक या अनैतिक या अशुद्ध पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोका जाए. यदि 'उपरोक्त में से कोई नहीं' का यह विकल्प अपने वास्तविक उद्देश्य से लागू किया जाता है, तो देश का पूरा राजनीतिक परिदृश्य वर्तमान परिदृश्य से काफी बदल जाएगा.

नोटा के नकारात्मक बिंदु ?

कुछ देशों ने शुरू में मतदाताओं के लिए इस तरह के विकल्प की शुरुआत की, बाद में इस प्रणाली को बंद या समाप्त कर दिया. जिन देशों में वोटिंग मशीनों में नोटा बटन होता है, वहां इसके बहुमत से वोट प्राप्त करने की संभावना होती है और इसलिए चुनाव "जीत" जाता है. ऐसे मामले में, चुनाव आयोग इनमें से कोई भी विकल्प चुन सकता है a) कार्यालय को खाली रखें, b) नियुक्ति द्वारा कार्यालय भरें, c) दूसरा चुनाव कराएं. नेवादा राज्य, ऐसी स्थिति में, कोई प्रभाव नहीं डालने की नीति है और अगली उच्चतम कुल जीत.

2019 के चुनावों में नए रुझान

ईवीएम: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा वर्ष 1999 में पेश किया गया था. मतदान की इस इलेक्ट्रॉनिक पद्धति ने मतदान के साथ-साथ परिणाम घोषित करने में लगने वाले समय को कम करने में मदद की है. ईवीएम की बदौलत इलेक्शन बूथ कैप्चरिंग का शब्द अब इतिहास में है.

VVPAT: इसका मतलब वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल है. मतदाताओं में विश्वास बढ़ाने और मतदान प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए यह अतिरिक्त मशीन शुरू की गई थी. वोट डालने के बाद, मतदाता अब उस उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह और नाम देख सकता है जिसे उसने वोट दिया है. जब भी संभव हुआ, चुनाव प्रक्रिया में वीवीपैट का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है.

डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर: चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है कि एक मतदाता का नाम केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में दर्ज है. इससे पहले कई निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के नाम को लेकर कदाचार की खबरें आती रही हैं. सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल ने इस पर रोक लगा दी है.

Cvigil App: इस मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से नागरिक अपनी शिकायत सीधे चुनाव आयोग को पोस्ट कर सकते हैं. सबूत के तौर पर फोटो और वीडियो अपलोड किए जा सकते हैं. चुनाव आयोग ने नागरिकों द्वारा इस ऐप का व्यापक उपयोग देखा है, जो चुनाव की पारदर्शिता को बढ़ाने में मदद करता है.

आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना: सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाओं के वितरण के लिए प्रत्येक व्यक्ति के आधार नंबर का उपयोग किया जा रहा है. बड़े पैमाने पर आधार डेटाबेस के उपयोग का फायदा उठाने के लिए चुनाव आयोग ने आधार को वोटर आईडी से जोड़ने की मांग की है. दोहराव, झूठी सूचना आदि पर अंकुश लगाने के लिए दोनों के डेटाबेस का मिलान किया जाएगा. केंद्र सरकार एक कानून लाने की प्रक्रिया में है जो चुनाव आयोग को आधार को वोटर आईडी से अनिवार्य रूप से जोड़ने के लिए सशक्त करेगा.

नोटा का इतिहास ?

सबसे पहले नोटा का विचार वर्ष 1976 में United States of america में सांता बारबरा, california के काउंटी में हुआ था| वर्ष 1978 में, california में नेवादा राज्य द्वारा मतपत्र में पहली बार ‘उपर्युक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) विकल्प पेश किया गया था. वर्ष 2009 में भारत के निर्वाचन आयोग ने Supreme Court में NOTA के विकल्प को जोड़ने के लिए एक याचिका को दाखिल किया था. परन्तु उस समय central government ने इस बात के लिए अपनी सहमति नहीं प्रदान की थी जिसके कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था. एक गैर सरकारी संगठन “People's Union for Civil Liberties” ने NOTA के पक्ष में PIL filed की और 27 सितंबर 2013 को चुनाव में NOTA वोट पंजीकृत करने का अधिकार भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा लागू किया गया था| जिसके बाद चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि सभी वोटिंग मशीनों को NOTA बटन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि voters को ‘उपर्युक्त में से कोई भी’ चुनने का विकल्प प्राप्त हो सके. इस प्रकार से निर्वाचन आयोग ने NOTA को electronic voting machine में सम्मिलित कर लिया .

नोटा का चिह्न ?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अर्थात EVM पर बने इसके चिह्न में एक मतपत्र है और उस पर एक cross का निशान बनाया गया है| चुनाव आयोग द्वारा NOTA के चिन्ह को 18 सितंबर 2015 को चुना गया था| नोटा के इस चिह्न को Gujarat के राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, द्वारा बनाया गया था|

यह कैसे काम करता है? क्या इससे कोई फर्क पड़ता है?

जो लोग इस धारणा में हैं कि उनके नोटा वोट का चुनाव परिणामों पर असर पड़ेगा, दुर्भाग्य से वे निराशा में होंगे. जैसा कि चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, "ईवीएम पर नोटा विकल्प का कोई चुनावी मूल्य नहीं है. यहां तक ​​कि अगर वोटों की अधिकतम संख्या नोटा के लिए है, तो भी शेष वोटों में से सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा."

दूसरे शब्दों में, नोटा के अस्तित्व को सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों या सामान्य रूप से राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ "नाराजगी व्यक्त करने के लिए एक प्रतीकात्मक साधन" के रूप में देखा गया है. हालाँकि, नोटा के दायरे का विस्तार करने के लिए, स्थानीय स्तर पर हाल ही में प्रयास किए गए हैं. 2015 में, इसे एक प्रतीक मिला - एक मतपत्र जिसके चारों ओर एक काला क्रॉस चल रहा था. नवंबर 2018 में, महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग (एमएसईसी) ने घोषणा की कि यदि पंचायत या नगरपालिका चुनाव में नोटा को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, तो चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जाएगा, और इसके बजाय एक पुन: चुनाव होगा. स्थान.

उसी महीने, हरियाणा राज्य चुनाव आयुक्त ने राज्य में नगर निगम चुनावों से पहले इसी तरह की घोषणा की. राज्य चुनाव आयुक्त दलीप सिंह ने आगे बताया, "अगर दोबारा चुनाव में नोटा को फिर से सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, तो दूसरे सबसे ज्यादा वोट वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाएगा." हालांकि, ध्यान दें कि विधानसभा और आम चुनावों के लिए - जो भारत के चुनाव आयोग द्वारा शासित होते हैं - नोटा का दायरा सीमित रहता है. बहरहाल, पिछले साल नवंबर में, द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नोटा को सबसे अधिक वोट मिलने पर फिर से मतदान की संभावना पर चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की राय लेने पर विचार कर रहा था. अब, नोटा विकल्प को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कुछ "चुनावी मूल्य" दिए जाने के लिए, चुनाव आचरण नियम, 1961 के नियम 64 में संशोधन करने की आवश्यकता होगी.

निष्कर्ष ?

इस लेख में, मैंने NOTA शब्द को उनके पूर्ण रूप और अर्थ के संदर्भ में पूर्ण विवरण के साथ सौंप दिया है. नोटा का विस्तार उपरोक्त में से कोई नहीं के रूप में हुआ, जो चुनाव में और बहुविकल्पीय प्रश्न आधारित परीक्षा में भी प्रदान किया गया एक विकल्प है. चुनाव में, यह विकल्प चुना जाता है यदि आप भाग लेने वाले उम्मीदवारों को वोट नहीं देना चाहते हैं. अन्य चीजों की तरह, नोटा के भी कुछ फायदे और कुछ नुकसान हैं जैसा कि हमने ऊपर देखा. यह लेख नोटा के फुल फॉर्म के बारे में आपकी सभी शंकाओं का समाधान करे.