EVM Full Form in Hindi




EVM Full Form in Hindi - ईवीएम की पूरी जानकारी हिंदी में

EVM Full Form in Hindi, EVM की full form क्या है, EVM क्या है, EVM Full Form in Hindi, EVM Full Form, ईवीएम क्या होता है, EVM का क्या मतलब है, ईवीएम की फुल फॉर्म इन हिंदी, दोस्तों क्या आपको पता है EVM की full form क्या है, EVM का क्या मतलब होता है, EVM Hota Kya Hai, अगर आपका answer नहीं है तो आपको उदास होने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि आज हम इस post में आपको EVM की पूरी जानकारी हिंदी भाषा में देने जा रहे है तो फ्रेंड्स EVM Full Form in Hindi में और EVM की पूरी history जानने के लिए इस post को लास्ट तक पढ़े.

EVM Full Form in Hindi

EVM की फुल फॉर्म “Electronic Voting Machine” होती है, EVM एक machine है और इसका उपयोग मतदाता अपना मत किसी भी political party को देने के लिए करता है. EVM में अलग अलग candidate के लिए separate buttons नियुक्त होते हैं. और इन buttons के ऊपर उस party का चिन्ह भी होता है. इन सभी buttons को electronic ballot बॉक्स के साथ cable के माध्यम से connected किया जाता हैं. हमारे भारत में इस मशीन का आविष्कार 1980 में “एम.बी. हनीफा” ने किया था. इस मशीन को उन्होंने “इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन” के नाम से 15 अक्तूबर 1980 को पंजीकृत करवाया था.

EVM में दो units होते हैं, पहले unit को control unit और और दूसरे unit को balloting unit कहते है. जैसा की आप जानते है इन दोनों unit को एक दुसरे के साथ एक five-meter cable के माध्यम से जुड़ा जाता हैं. और जब एक मतदाता वोट करने के लिए किसी एक button को press करता है, जो किसी भी candidate या फिर पार्टी का हो सकता है, मतदाता द्वारा button को press करने के तुरंत बाद ये machine अपने आपको lock कर देता है, दोस्तों ऐसे में EVM को open करने के लिए एक नए ballot number की ही जरुरत होती है. और अगर मतदाता के पास ballot number नहीं है तो इस machine को खोलना सम्भव नहीं. EVMs ये ensure करवाता है की एक इंसान केवल एक ही बार vote कर सकता है.

EVM Kya Hai? – ईवीएम मशीन का इतिहास और यह कैसे काम करती है की पूरी जानकारी!

जानिए EVM का फुल-फॉर्म और लोकतंत्र में मतदाताओं को पंजीकृत करने के लिए इसका उपयोग कैसे किया जाता है.

EVM का फुलफॉर्म “Electronic Voting Machine” और हिंदी में EVM का मतलब “इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन” है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (जिसे EVM के रूप में भी जाना जाता है) इलेक्ट्रॉनिक साधनों का उपयोग करके या तो Help या वोट डालने और वोटों की गिनती का ध्यान रखने के लिए मतदान कर रही है. EVM इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को लागू करने के लिए भारतीय सामान्य और राज्य चुनावों में use किया जाने वाला उपकरण है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (“EVM”) का उपयोग भारतीय आम और state elections में 1999 के चुनावों से और 2004 के चुनावों के बाद से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को लागू करने के लिए किया जा रहा है. EVM में वोट डालने और पुराने पेपर बैलट सिस्टम की तुलना में परिणाम घोषित करने में समय कम होता है. EVM मशीन की लागत: 1989-90 में machines की खरीद के समय EVM की लागत (5,500 (2019 में or 47,000 या यूएस $ 660 के बराबर) थी. 2014 में जारी एक अतिरिक्त आदेश के अनुसार लागत (10,500 (2019 में US 14,000 या यूएस $ 190 के बराबर) होने का अनुमान लगाया गया था.

EVM का मतलब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है, जिसे पारंपरिक बैलेट पेपर सिस्टम की जगह व्यापक मान्यता मिली है. लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग करना मौलिक अधिकार माना जाता है. ईवीएम के फुल फॉर्म को अंग्रेजी में समझें और जानें कि कैसे ये इकाइयाँ आपके वोटों की गिनती और पंजीकरण करने के एक तेज़ तरीके के रूप में उभरी हैं. भारत में जनसंख्या के विशाल आकार को ध्यान में रखते हुए, यह कहना सुरक्षित है कि चुनाव के दौरान किसी भी कदाचार से बचने के लिए ईवीएम सबसे अच्छी चीज है.

EVM के इतिहास पर एक नज़र

इस Machine को सन 1980 में एम.बी. हनीफा ने पहली बार भारत के चुनाव के लिए इसका आविष्कार किया. उस समय इस मशीन को gazetted “Electronically Operated Vote Counting Machine”, का नाम दिया गया था. EVM electronic रूप से संचलित और वोटों की गिनती करने वाली एक बहुत ही उपयोगी मशीन’ है. इस Machine का इस्तेमाल पहली बार तमिलनाडू के छः शहरों में इसके मूल रूप के साथ किया गया. जैसा की आप जानते है, सन 1989 में भारतीय चुनाव आयोग ने इसे electronic को operation ऑफ़ इंडिया लिमिटेड’ के साथ मिलकर इसे साधिकार किया. EVM के industrial डिज़ाइनर IIT Bombay के फैकल्टी सदस्य थे.

EVM मशीन की जानकारी

EVM मशीन की जानकारी आइये अब हम EVM की कुछ ख़ास विशेषताएं के बारे में जानते है −

  • EVM machine” छेड़छाड़ से बिलकुल मुक्त होती है इसे machine” को operate करना बहुत ही सरल है.

  • EVM मशीनो में अवैध तरीके से मतों का करना संभावना नहीं है.

  • EVM machine” का उपयोग करने से vote counting प्रक्रिया में तेज आती है जिसे समय की बचत होती है, और साथ में मुद्रण लागत घटाती हैं.

  • EVM मशीन battery से संचालित होता है, इसलिए इस machine” का उपयोग बिना बिजली वाले इलाकों में भी बहुत आसानी के साथ किया जा सकता है.

  • इस मशीन में आप लगभग 3840 वोट दर्ज कर सकती है.

  • इस मशीन का उपयोग चुनाव करने के लिए तब किया जाता है जब उम्मीदवारों की संख्या 64 से अधिक है.

  • इस मशीन को इस प्रकार से programed किया गया है, अगर आपने एक बार इसमें vote देने के बाद किसी भी बटन को प्रेस कर दिया उसके बाद आप जितना भी चाहें दूसरा vote समान candidate को नहीं दे सकते है.

ईवीएम की डिजाईन और टेक्नोलॉजी

EVM मशीन ‘टू पीस सिस्टम’ के अधीन काम करता है. इस मशीन का एक हिस्सा ballet unit का होता है, इस हिस्सा में दलो और उम्मीदवारों के लिए कई बटन दिए होते है, और पांच मीटर लम्बी तार से इसकी दूसरी ईकाई इलेक्ट्रॉनिक ballet बॉक्स से जुडी होती है. आपको पता ही होगा voting बूथ में निर्वाचन आयोग द्वारा भेजे गये प्रतिनिधि हर समय मौजूद होते हैं. और अगर आपने कभी vote डाला है तो आपने देखा होगा vote डालते समय वोटर को ballet पेपर की जगह EVM की ballet unit में विभिन्न दलो के चुनाव चिन्ह के सामने दिए गये नीले रंग के button को दबा कर vote देना होता है. EVM मशीन में use होने वाला कंट्रोलर की प्रोग्रामिंग इतनी ज़बरदस्त होती है कि, एक बार EVM बन जाने के बाद कोई उस program को बदल नहीं सकता है.

EVM मशीन के अंदर use होने वाली बैटरी छः वाल्ट की alkaline होती है. इस मशीन का उपयोग देश में किसी भी जगह आसानी से किया जा सकता है. EVM में बैटरी का उपयोग होने की वजह से इस मशीन का use उन जगहों के चुनावों में भी किया जा सकता है, जहाँ पर आज भी बिजली नहीं पहुँच पायी है. EVM मशीन को इस तरह डिजाईन किया गया है कि, vote देने वाले को किसी तरह के current लगाना का खतरा ना हो. EVM मशीन के द्वारा एक बार किसी उमीदवार को vote दे देने के बाद मशीन आपने आप तुरंत lock हो जाती है, ताकि एक ही बटन को लगातार दो तीन बार press कर के एक ही उमीदवार को एक आदमी द्वारा vote ना दिया जा सके. इस तरह ईवीएम चुनाव में “एक आदमी एक वोट” के नियम को बनाए रखता है, इस मशीन के इस्तेमाल से चुनाव में भ्रष्टाचार होने की संभावना बहुत काम होती है. जैसा की आप जानते है इस मशीन के द्वारा अधिकतम 64 उम्मीदवारों के लिए voting कराई जा सकती है, और उससे अधिक उमीदवार होने पर ballet boxका इस्तेमाल होता है.

ईवीएम की उत्पत्ति -

1889 में न्यूयॉर्क चुनाव में पहली यांत्रिक वोटिंग मशीन का पेटेंट कराया गया था. वर्षों से, सिस्टम ने व्यापक स्वीकृति प्राप्त की, और evm संक्षिप्त नाम लोगों के लिए अधिक समझ में आया. इसने एक पैर जमा लिया और इसे और संशोधित किया गया. 1965 के कैलिफोर्निया चुनावों में छेद वाले वोटोमैटिक पंच कार्ड पेश किए गए थे. यह एक आधुनिक और तेज संचार प्रणाली थी जिसने मतदाता के नाम को आसानी से दर्ज किया. अधिकांश भारत में ईवीएम मशीन ने पारंपरिक बैलेट पेपर मॉडल की जगह ले ली है, और इसकी लोकप्रियता इसका प्रमाण है.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का डिजाइन -

ईवीएम को केवल कुछ इंजीनियरों की पूरी गोपनीयता में डिजाइन किया गया है. वर्तमान में, भारत में, ईवीएम का निर्माण विशेष रूप से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडियन लिमिटेड द्वारा किया जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम पूर्ण रूप अंग्रेजी में) दोहरी नियंत्रण इकाइयों का उपयोग करके डिज़ाइन की गई हैं जो 5 मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती हैं. जब भी कोई मतदाता किसी उम्मीदवार के नाम के सामने स्विच दबाता है तो मशीन को खुद को लॉक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

मशीन के सामने की तरफ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम उनके पार्टी चिन्ह के साथ होते हैं. प्रत्येक पार्टी को संख्याओं के साथ एक रंगीन बटन सौंपा गया है. संख्याएं सूचीबद्ध हैं, और मतदाता एक बटन दबाकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. हालांकि ईवीएम का संक्षिप्त नाम मतदाताओं के बीच लोकप्रिय है लेकिन उनमें से अधिकांश को पूर्ण रूप नहीं पता है. ईवीएम सामान्य बैटरी पावर से चलती है और अधिकतम 2000 वोट दर्ज करती है. ऐसी स्थिति में जब ईवीएम काम करना बंद कर देती है तो वोट चिप में सुरक्षित रहते हैं. मतदान केंद्रों पर पेपर रोल बदलने पर पाबंदी है.

ईवीएम के कुछ फायदे ?

ये हैं EVM के इस्तेमाल के कुछ फायदे, यह मशीन नकली वोटों की संभावना को काफी हद तक कम कर देती है. EVM के प्रयोग से कागज की बर्बादी में कमी आती है. ईवीएम मशीनों को आसानी से असेंबल और डिस्मेंटल किया जा सकता है. यह अधिक आरामदायक परिवहन के लिए बनाता है और लागत बचाता है. मशीनें बैटरी से चलती हैं ताकि बिजली के बिना क्षेत्रों में उपयोग की जा सकें

EVM का इतिहास ?

EVM और electronic voting का उपयोग 1990 के दशक में राज्य के स्वामित्व वाले Electronics कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और भारत Electronics द्वारा विकसित और परीक्षण किया गया था. उन्हें 1998 और 2001 के बीच धीरे-धीरे भारतीय चुनावों के लिए पेश किया गया. 2004 से भारत के सामान्य और state legislatures के लिए सभी चुनावों में electronic voting machines का उपयोग किया गया है. 2011 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि इसमें एक पेपर रिकॉर्ड भी शामिल हो. EVM के विश्वसनीय संचालन की पुष्टि करने में मदद करने के लिए निर्वाचन आयोग ने 2012 और 2013 के बीच Voter-Verified Paper Audit System के साथ EVM विकसित किया. 2014 के भारतीय आम चुनावों में इस System का परीक्षण किया गया था. EVM औरVoter-Verified Paper Audit Trail का उपयोग अब भारत में सभी सामान्य विधानसभाओं और चुनावों में किया जाता है और VVPAT का एक छोटा प्रतिशत सत्यापित होता है. 9 अप्रैल, 2019 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को विधानसभा के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में VVPAT दस्तावेज़ ट्रैकिंग System का उपयोग करने का आदेश दिया.

EVM का मतलब क्या होता है ?

EVM एक voter voting machine है. जिसका use भारत में voting करवाने के लिए किया जाता है. इससे पहले voting मतपत्र, मत-पर्ची की मदद से करवाई जाती थी लेकिन इसमें बहुत समय लगता था और voting के बाद वोटरों की गणना करने में 3-4 दिन का समय लग जाता था. इसी समस्या को दूर करने के लिए एक electronic मशीन को उपयोग में लाया गया जिसे हम आज EVM machine के नाम से जानते है. EVM दो devices से मिलकर बनी होती है जिसमे पहले Device का नाम कंट्रोल यूनिट है और दूसरे Device का नाम बैलेटिंग यूनिट है यह दोनों Device एक-दूसरे के साथ 5 मीटर लंबी केबल से जुड़े होते है. इन Device में कंट्रोल यूनिट, बैलेटिंग यूनिट को कंट्रोल करता है और बैलेटिंग यूनिट के जरिए ही मतदाता मतदान कर पता है. कंट्रोल यूनिट का use मतदान अधिकारी करता है और बैलेटिंग यूनिट का use मतदाता करता है. जब तक मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन प्रेस नहीं कर देता तब तक कोई भी मतदाता, मतदान नहीं कर सकता है. एक बार वोट डालने के बाद यह machine अपने आप लॉक हो जाती है उसके बाद आप कितनी ही बार बटन दबाएँ कोई फर्क नहीं पड़ता.

EVM की विशेषताएँ

  • इसका use बहुत आसान होता हैं, और इसमे कोई छेड़ खानी नहीं हो सकती.

  • इसमे ऐसे तकनीक का use किया गया, जिसमे एक ही इंसान का दूसरा vote अंकित नहीं हो सकता यानि की एक इंसान एक बार ही vote दे सकते हैं. इसमें vote की गिनती को बाध्य नहीं जा सकता.

  • इसमे use होने वाले Microchip को इस तरह से डिजाइन किया गया हैं की इसमे program के बाद केवल एक ही कार्य मे इसका use किया जा सकता हैं. इसमे कॉपी नहीं की जा सकती .

  • ये बहुत ज्यादा secure होता हैं.

  • आवेध मत इसके माध्यम से बहुत ज्यादा कम हो जाता हैं.

  • इसके अंकित vote को आसानी से गिना जा सकता हैं.

  • ये बहुत कम Amount मे उपलब्ध हो जाती हैं.

  • अगर उम्मीदवार की संख्या 64 से कम होती हैं तो वह EVM से चुनाव कराया जा सकता हैं.

  • एक EVM machine जायद से ज्यादा 3840 vote दर्ज कर सकती हैं.

EVM के लाभ -

EVM के बहुत सारे फाइडे हैं जो मैंने नीचे point के माध्यम से दिया हैं.

  • जब हम इसे खरीदते हैं, तब इसका बहुत ज्यादा दाम होता हैं मगर मगर इसके use और long term की सोचे तो ये फायदेमंद हैं.

  • इसके इस्तेमाल से Environment को बचाया जा सकता हैं, क्यूंकी बहुत सारे पड़ो को काटने से रोक जा सकता हैं. मगर ballot system मे ये फाइदा नहीं हैं.

  • इसे बैटरी की मदद से use किया जाता हैं, जिसकी मदद से इसे कहीं भी use किया जा सकता हैं.

  • ये मतपत्र प्रणाली की तुलना मे कम खर्चीला होता हैं.

  • इसकी मदद से बहुत जल्दी वोट को count कर सकते हैं.

  • इसका use अनपढ़ लोग भी आसानी से कर सकते हैं.

  • इसमें वोट मे Change करना मुश्किल होता हैं.

ईवीएम मशीन की जानकारी -

एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका उपयोग वोट रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है. ईवीएम मतपत्रों के प्रतिस्थापन के रूप में आए और पहली बार 1982 में केरल के नंबर 70 परवूर विधानसभा क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया गया. EVM में एक कंट्रोल यूनिट होती है जिसे पोलिंग ऑफिसर के पास रखा जाता है और एक बैलेट यूनिट जिसे वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है. पोलिंग ऑफिसर की भूमिका कंट्रोल यूनिट पर बैलेट बटन दबाकर बैलेट रिलीज करना होता है. इससे मतदाता, मतदाता की पसंद के उम्मीदवार और चुनाव चिह्न के सामने बैलेट यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपना वोट डाल सकेगा. 2001 के बाद से, ईवीएम की अविश्वसनीयता का मुद्दा कई बार उठाया गया है, लेकिन चुनाव आयोग ने ईवीएम के माध्यम से वोटों में हेरफेर की किसी भी गुंजाइश से इनकार किया है.

ईवीएम सामान्य बैटरी से चलती है और उन्हें बिजली की आवश्यकता नहीं होती है. एक ईवीएम का इस्तेमाल अधिकतम 2,000 वोटों को रिकॉर्ड करने के लिए किया जा सकता है. यदि कोई ईवीएम काम करना बंद कर देती है तो उसे एक नई ईवीएम से बदल दिया जाता है और उस समय तक रिकॉर्ड किए गए वोट कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में सुरक्षित रहते हैं. कंट्रोल यूनिट परिणाम को अपनी मेमोरी में तब तक स्टोर कर सकती है जब तक कि डेटा डिलीट या क्लियर नहीं हो जाता. मतदान केंद्रों पर पेपर रोल को बदलना सख्त वर्जित है.

मतपत्र में उम्मीदवारों के नामों की व्यवस्था वर्णानुक्रम में है, पहले राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और फिर अन्य राज्य पंजीकृत दलों के उम्मीदवार. आयोग द्वारा उत्पादित ईवीएम ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर द्वारा ईवीएम को यादृच्छिकरण के दो चरणों में मतदान केंद्र को दिया जाता है. चुनाव आचरण नियम, 1961 के नियम 49MA के प्रावधानों के अनुसार, पीठासीन अधिकारी मतदाता से एक लिखित घोषणा प्राप्त कर सकते हैं यदि वे दावा करते हैं कि डाला गया वोट गलत है. यदि मतदाता नियम 49MA के उप-नियम (1) में उल्लिखित लिखित घोषणा देता है, तो पीठासीन अधिकारी निर्वाचक को अपनी उपस्थिति में वोटिंग मशीन में एक परीक्षण वोट रिकॉर्ड करने की अनुमति दे सकता है और देख सकता है कि पेपर स्लिप उत्पन्न हुई है.

यदि दावा सही पाया जाता है, तो पीठासीन अधिकारी शीघ्र ही रिटर्निंग अधिकारी को रिपोर्ट करेगा, उस वोटिंग मशीन में आगे वोट डालना बंद कर देगा और रिटर्निंग अधिकारी द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करेगा.

चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति दो सार्वजनिक उपक्रमों के सहयोग से ईवीएम को तैयार करने और डिजाइन करने का प्रभारी है.

वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) भी वोटिंग में अहम भूमिका निभाता है. वीवीपीएटी ईवीएम से जुड़ी एक अन्य स्वतंत्र मशीन है जो मतदाता को वोट सत्यापित करने में मदद करती है. वोट डालने के बाद, एक पर्ची छपी होती है जिसमें उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और प्रतीक होता है और सात सेकंड के लिए एक खिड़की के माध्यम से दिखाई देता है. इसके बाद प्रिंटेड स्लिप अपने आप वीवीपीएटी के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में आ जाती है.

केवल भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर ही ईवीएम और वीवीपीएटी की जांच करते हैं.

ईवीएम क्या है? यह कैसे काम करता है?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग (ई-वोटिंग के रूप में भी जाना जाता है) वोटिंग है जो इलेक्ट्रॉनिक साधनों का उपयोग या तो सहायता के लिए करता है या वोट डालने और गिनने का ख्याल रखता है. इसका उपयोग भारतीय आम और राज्य चुनावों में किया जाता है. इसने भारत में स्थानीय, राज्य और आम (संसदीय) चुनावों में कागजी मतपत्रों की जगह ले ली है. चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि आगामी सभी चुनाव वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) सक्षम ईवीएम के साथ होंगे. ईवीएम का उपयोग 1982 के केरल विधानसभा चुनाव में वापस शुरू हुआ. इससे पहले केवल बैलेट पेपर और बैलेट बॉक्स की अनुमति थी.

ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन मतदाता को प्रत्येक विकल्प के लिए एक बटन प्रदान करती है जो एक केबल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मतपेटी से जुड़ा होता है. एक ईवीएम में दो इकाइयाँ होती हैं - नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई - और ये दोनों पाँच-मीटर केबल से जुड़ी होती हैं. जब कोई मतदाता उस उम्मीदवार के खिलाफ बटन दबाता है जिसे वह वोट देना चाहता है, तो मशीन खुद को लॉक कर लेती है. इस ईवीएम को नए बैलेट नंबर से ही खोला जा सकता है. इस तरह, ईवीएम यह सुनिश्चित करती है कि एक व्यक्ति को केवल एक बार वोट मिले.

इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन का इस्तमाल कैसे करे

EVM का इस्तमाल करना बहुत ही आसान काम है. इसमें EVM की नियंत्रण इकाई बूथ की पीठासीन अधिकारी या पीठासीन अधिकारी के पास होती है, वहीँ balloting Unit को मतदान कक्ष के भीतर place किया जाता है. उस मतदान इकाई मेंनीले बटन होते हैं और उनके सामने क्षैतिज रूप से लेबल किया गया किया जाता है संबंधित पार्टी symbol को और उनके नाम. वहीँ नियंत्रण यूनिट उस booth के प्रभारी अधिकारी को एक सुविधा प्रदान करता है जिससे वो एक “Ballot” चिह्नित बटनको control करते हैं जिससे की अगला मतदाता अन्दर जा सके vote देने के लिए. जहाँ पहले एक मतपत्र, मत - पर्ची को issue किया जाता था. इससे होते ये है की वो बैलेट यूनिट को अगला वोट देने के लिए allow करता है जो की queue में खड़े हुए होते हैं. इसमें voter को अपना vote cast करने के लिए सामने स्तिथ blue बटन को एक बार दबाएँ करना होता है उस मतदान इकाई में और इसके लिए वो सामने स्थित candidate और उनके symbol का मदद ले सकते हैं.

जैसे ही कोई voter vote कर देता है, तब मतदान अधिकारी प्रभारी उस नियंत्रण यूनिट की ‘Close’ बटन को दबाएँ कर देता है. ऐसे होने से EVM lock हो जाता है अगली vote लेने से पहले. आगे poll के close हो जाने के बाद, मतदान इकाई को डिस्कनेक्ट कर दिया जाता है. नियंत्रण यूनिट से और उन्हें separately रखा जाता है. वोट्स को record किया जाता है मतदान इकाई के द्वारा. जब polling समाप्त हो जाती है, तब पीठासीन अधिकारी उस booth में स्तिथ सभी मतदान अभिकर्ता को वोट्स की account प्रदान किया जाता है गिनती के लिए. जब वोट्स की गिनती हो रही होती है, तब total वोट्स को इकठ्ठा किया जाता है और अगर कोई भी discrepancy होती है, तब वो काउंटिंग एजेंटउस भूल को पीठासीन अधिकारी के सामने लाते हैं. वैसे वोट्स के गिनती के दौरान results को आसानी से display किया जा सकता है ‘Result’ बटन के द्वारा. वैसे दो safeguards होते हैं जिससे ‘Result’ बटन को दबाएँ होने से रोका जा सकता है, जब तक की वोट्स गिनती officially शुरू न हो जाये.

(a) ये बटन को दबाएँ नहीं किया जा सकता है जब तक की ‘Close‘ बटन को दबाएँ किया जाये मतदान अधिकारी प्रभारी के द्वारा उसी polling booth के.

(b) इस बटन को छुपाकर और sealed करके रखा जाता है; और ये seal को केवल गिनती center में ही खोला जाता है सभी के उपस्तिथि में designated office में.

भारत में EVM का उपयोग क्यों किया जाता है?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भारत में मतपत्रों के प्रतिस्थापन के रूप में आई थी और पहली बार 1982 में केरल के 70 परवूर विधानसभा क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया गया था. भारत में बड़े पैमाने पर मशीनों का इस्तेमाल 1999 से किया जा रहा है. मशीनों को वोटिंग प्रक्रिया को आसान बनाने का श्रेय दिया जाता है, क्योंकि अब केवल एक बटन पर क्लिक करके वोट दर्ज किया जा सकता है. मशीनें लंबे समय में किफायती भी हैं. हालांकि ईवीएम की शुरुआती कीमत 5,000 रुपये से 6,000 रुपये के बीच है, लेकिन मशीन औसतन 15 साल तक चलती है. इसके अलावा, मशीनें बैटरी से चलती हैं और इसलिए उन्हें बिजली की आवश्यकता नहीं होती है. वे विशाल मतपेटियों की तुलना में हल्के और आसानी से ले जाने योग्य भी हैं. मशीनें वोटों की गिनती की प्रक्रिया को भी तेज करती हैं, वोटों की मैन्युअल गिनती के मुकाबले घंटों के भीतर परिणाम देती हैं, जिसमें कई दिन लग सकते हैं.

वीवीपैट क्या है?

वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रणाली है जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट उस उम्मीदवार को डाला गया है जिसे उन्होंने बैलेट यूनिट पर चुना था. जब एक वोट डाला जाता है, तो वीवीपैट एक पर्ची प्रिंट करता है जिसमें उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और प्रतीक शामिल होता है और एक पारदर्शी खिड़की के माध्यम से लगभग 7 सेकंड के लिए खुला रहता है. फिर यह पर्ची अपने आप कट जाती है और सीलबंद वीवीपीएटी ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है. पर्चियां बंद रहती हैं और न्यायालयों द्वारा उनका ऑडिट किया जा सकता है. ईवीएम के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का उपयोग पारदर्शिता और वैधता को और बढ़ाता है, क्योंकि मतदाता यह जांच सकते हैं कि उनके वोट अपेक्षित रूप से डाले गए हैं. प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र/विधानसभा क्षेत्र में बेतरतीब ढंग से उठाए गए पांच मतदान केंद्रों से पर्चियों को भी गिना जाता है और उनकी तुलना ईवीएम गणना से की जाती है.

ईवीएम का उपयोग करने के क्या फायदे हैं?

पारदर्शिता और सटीकता

यह 'अमान्य वोट' डालने की संभावना को पूरी तरह से समाप्त कर देता है जो कि पेपर बैलट शासन के दौरान प्रत्येक चुनाव में बड़ी संख्या में देखा गया था. इसके अलावा, 'अमान्य वोट' की संख्या ने कई मामलों में जीत के अंतर को पार कर लिया, जिसके कारण विभिन्न शिकायतें और मुकदमेबाजी हुई. इस प्रकार ईवीएम ने मतदाताओं की पसंद के अधिक सटीक और सटीक प्रतिनिधित्व की अनुमति दी.

मतपत्रों की छपाई की लागत को समाप्त करता है

ईवीएम ने प्रत्येक मतदाता को दिए जाने वाले मतपत्र की छपाई की लागत को बहुत कम कर दिया है. ईवीएम के उपयोग के माध्यम से, किसी भी चुनाव के लिए लाखों मतपत्रों की छपाई को समाप्त कर दिया जाता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्तिगत मतदाता के लिए एक मतपत्र के बजाय प्रत्येक मतदान केंद्र पर बैलेट डिवाइस पर फिक्सिंग के लिए केवल एक बैलेट पेपर की आवश्यकता होती है. इससे कागज, छपाई, शिपिंग, भंडारण और वितरण लागत पर जबरदस्त बचत होती है.

मतगणना के दौरान समय की बचत

एक और बड़ा फायदा वोटों की गिनती के साथ हासिल की गई समय की बचत है. मतगणना प्रक्रिया बहुत तेज है और पारंपरिक मतपत्र प्रणाली के विपरीत, परिणाम औसतन 30-40 घंटे के मुकाबले 3 से 5 घंटे के भीतर घोषित किया जा सकता है.

1. भारत में सबसे पहले किस राज्य ने वीवीपैट का प्रयोग किया?

वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) आम तौर पर एक स्वतंत्र प्रिंटर सिस्टम है जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा होता है. यह मतदाताओं को यह सत्यापित करने में सक्षम बनाता है कि उनका वोट अपेक्षित रूप से डाला गया है.

वीवीपीएटी का पहली बार सितंबर 2013 में नगालैंड के नोकसेन में इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद 2013 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर इसका व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया गया.

2. भारत के वर्तमान चुनाव आयुक्त कौन हैं?

भारत के वर्तमान और 23 वें मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा हैं, और दो अन्य आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्र हैं.

3. भारत में सबसे पहले ईवीएम मशीन की शुरुआत किसने की थी?

EVM एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है. वे 90 के दशक की शुरुआत से ईसीआई और बीईएल द्वारा निर्मित किए गए हैं. इन्हें पहली बार वर्ष 1998 में भारतीय आम चुनाव में पेश किया गया था. धीरे-धीरे इसे 2001 तक चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया था. तब से, इसे व्यापक स्वीकृति प्राप्त करना जारी है.