BRICS Full Form in Hindi




BRICS Full Form in Hindi - ब्रिक्स क्या है?

BRICS Full Form in Hindi, BRICS Full Form, BRICS फुल फॉर्म, क्या आपको पता है BRICS की full form क्या है, और BRICS का क्या मतलब होता है, क्या आपको पता है BRICS क्या है. अगर आपका answer नहीं है तो आपको उदास होने की कोई जरुरत नहीं है क्यूंकि आज हम इस post में आपको BRICS की पूरी जानकारी हिंदी भाषा में देने जा रहे है तो फ्रेंड्स BRICS Full Form in Hindi में और BRICS की पूरी history जानने के लिए इस post को लास्ट तक पढ़े.

BRICS Full Form in Hindi

BRICS की फुल फॉर्म Brazil, Russia, India, China और South Africa है. ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के लिए है. यह दुनिया की पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का संघ है. आइये अब इसके बारे में अन्य जानकारी सामान्य भाषा में प्राप्त करते हैं.

BRICS Brazil, Russia, India, China और South Africa देशों का एक Organization है. सन 2009 में BRICS के रूप में इसका पहला शिखर सम्मेलन हुआ था. दोस्तों सन 2011 में South Africa को इसमें शामिल किया गया था. आपको पता होना चाहिए world GDP का 25% plus तथा विश्व population का 40% plus इन्हीं देशों के पास है. इस organization की स्थापना करने के पीछे जो सबसे बड़ा उद्देश्य था वो भविष्य में इन 5 देश के द्वारा विश्व स्तर के ब्यापार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना था.

BRIC History in Hindi

BRICS एक उभरती अर्थव्यवस्था का एक organization है, जिसमे 5 बड़े देशों की अर्थव्यवस्था शामिल है. इन 5 बड़े देशों का नाम ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका है. इन देशों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर BRICS टर्म बनाई गई. इन में जो Country है उनकी अर्थव्यवस्था तेजी से grow कर रही है.

BRICS में शामिल सभी countries की अर्थव्यवस्था बहुत ही मजबूत है और सन 2001 में इसी अर्थव्यवस्था को लेकर Jim O'Neill ने अपने ‘द वर्ल्ड नीड्स बेटर इकोनॉमिक ब्रिक’ नामक एक प्रकाशन अपनी बात राखी थी जिसमे Jim O'Neill ने BRICS countries की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूत अर्थव्यवस्था कहा था. दोस्तों Jim O'Neill, गोल्डमैन सैच्य समूह जो कि America का एक Multinational निवेश bank और वित्तीय सेवा company है, उसमें उस समय एक director के रूप में कार्य करते थे. उसी समय उन्होंने Brazil, Russia, India, China की अर्थव्यवस्था पर अनुसंधान किया था और इन countries के अर्थशास्त्र विश्लेषण करने के बाद उन्होंने अपने research को प्रकाशित किया था.

Jim O'Neill ने अपने प्रकाशन में लिखा था कि चार BRIC देश Brazil, Russia, India, China तेजी से विकास कर रहे हैं और आने वाले 50 सालों तक इन countries की संयुक्त अर्थव्यवस्थाएं, इस वक्त world के सबसे अमीर countries की अर्थव्यवस्थाओं से बड़ी होने वाली है. क्योंकि इन countries का बाजार काफी बड़ा है और तेजी से बढ़ भी रहा है. इस प्रकाशन में जिम ओ’नील ने इन चारों countries के नाम के लिए BRIC शब्द का इस्तेमाल किया गया था और ये शब्द इन countries के नाम के प्रथम शब्द से लेकर बनाया गया था.

ब्रिक्स सम्मलेन क्या है उसके विषय व इतिहास ?

BRICS पांच प्रमुख उभरती हुई राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं का एक संघ है: ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका. BRICS एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है. जो BRICS राष्ट्रों के बीच वाणिज्यिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग को प्रोत्साहित करता है. BRICS मूल रूप से 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने से पहले BRIC के रूप में जाना जाता था. BRICS में Brazil,Russia,India,China और South Africa को शामिल किया जाता है. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की संयुक्त अर्थव्यवस्था की एक संक्षिप्त कहानी है.अर्थशास्त्रियों ने गोल्डमैन सैकस को सन् 2003 में ब्रिटिश शब्द का प्रयोग किया था.विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि 2050 तक इन चार Economies में सबसे अधिक प्रभावी रहेगा.

BRIC की औपचारिक रूप से स्थापना हुई जुलाई 2006 में रूस के सेंट्स पीटर्सबर्ग में जी-8 देशों के seminar के अवसर पर रूस, भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद. इसके बाद सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क में BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई और इसी में BRIC की औपचारिक शुरुआत हुई. पहला ब्रिक seminar 16 जून, 2009 को रूस के येकतेरिनबर्ग में आयोजित किया गया. इसके बाद सितंबर 2010 में न्यूयॉर्क में BRIC के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह तय किया गया कि Organization का विस्तार करते हुए इसमें दक्षिण अफ्रीका को भी शामिल किया जाए. इसके बाद संगठन का नाम BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) हो गया. 14 अप्रैल 2011 को सनाया में BRICS का समिट हुआ जिसमें दक्ष‍िण अफ्रीका ने भी हिस्सा लिया. पिछले साल दक्ष‍िण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में BRICS देशों की 10वीं वर्षगांठ मनाई गई.

वर्ष 2011 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने से पूर्व आरंभ में इस association को ब्रिक कहा गया था. BRICS सदस्य अपनी तेजी से बढ़ती Economies और वैश्विक मामलों पर इसके प्रभाव के लिए जाने जाते हैं.सभी पांच राष्ट्र जी-20 के सदस्य हैं. BRICS का गठन दो प्रमुख कारणों के लिए किया गया था जो निम्नानुसार हैं, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विकल्प बनने के लिए किसी विदेशी संगठन पर निर्भर किए बिना सदस्य देशों में विकास और किफायती योजनाओं की योजना बनाने और उनके implementation में सक्षम होने के लिए हमारे वर्चस्व को चुनौती देने के लिए एक स्व-प्रबंधित संगठन को, किसी विदेशी संगठन पर निर्भर किए बिना, “ब्रिक” शब्द ने 2001 में गोल्डमैन साक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ ‘नेल ने गढ दिया.उन्होंने ब्राजील, रूस, भारत और चीन की Economies के लिए विकास की संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट में इस पद का प्रयोग किया.चार देश जो एक साथ विश्व की आबादी और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा थे.

16 जून 2009 को रूस, येकटेरीनबर्ग में हुआ पहला BRIC Summit . 2009 से इस समूह ने वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किए और सदस्य देश शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए बारी-बारी से गए.इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य राजनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना और सदस्यों के बीच वैश्विक आर्थिक संबंध मजबूत करना है.

2015 तक इन पांच देशों की Population लगभग 3 अरब थी;विश्व की कुल Population का लगभग 42 %और, इन पांच देशों के सकल घरेलू उत्पाद का सकल विश्व उत्पाद के लगभग 20 प्रतिशत के बराबर था. यह अनुमान लगाया गया है कि BRICS का संयुक्त GDP 2020 तक 50 ट्रिलियन डॉलर का होगा. विकसित और विकासशील देशों के बीच सेतु का कार्य करना, उसे प्रोत्साहित करना और प्राप्त करना ताकि Developing देशों को व्यापार और जलवायु परिवर्तन से संबंधित वार्ता में लाभ प्राप्त करने में सहायता मिल सके ताकि आर्थिक सहयोग के अलावा शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरण से संबंधित Notifications के आदान-प्रदान के लिए एक मंच बनाया जा सके यही इसका मूल उद्देश्य है.

अंग्रेजी अक्षरों बी.आर.आई.सी.एस. से बना शब्द 'BRICS' दुनिया की पाँच उभरती हुई Economies का एक समूह है. जैसा कि नाम से अनुमान लगाया जा सकता है, ये देश हैं - ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका. इस वर्ष दक्षिण अफ्रीका के इस आर्थिक समूह से जुड़ने से पहले इसे 'ब्रिक' ही कहा जाता था. 'ब्रिक' शब्दावली के जन्मदाता जिम ओ'नील हैं. ओ'नील ने इस शब्दावली का प्रयोग सबसे पहले वर्ष 2001 में अपने शोधपत्र में किया था. उस शोधपत्र का शीर्षक था, 'बिल्डिंग बेटर ग्लोबल इकोनॉमिक BRICS.' ओ'नील अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंसलटेंसी गोल्डमैन सैक्स से जुड़े हैं. गोल्डमैन सैक्स इसके बाद दो बार इस रिपोर्ट को अपडेट कर चुका है.

जिम ओ'नील के इस प्रसिद्ध शोधपत्र के आठ साल बाद ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की Official meeting 16 जून 2009 को रुस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई. लेकिन इससे पहले ब्रिक देशों के विदेश मंत्री मई 2008 में एक बैठक कर चुके थे. इसके बाद वर्ष 2010 में ब्रिक का शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी Brasilia में हुई वर्ष 2011 में इस आर्थिक समूह का शिखर सम्मेलन चीन के सानया शहर में हो रहा है. मतभेद और मुद्दे : BRICS देश आर्थिक मुद्दों पर एक साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन इनमें से कुछ के बीच राजनीतिक विषयों पर भारी विवाद हैं. इन विवादों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद प्रमुख है.

संबंधों में गर्मजोशी के बावजूद भारत और चीन एक दूसरे को एक विवादित और सैन्यीकृत सरहद के आर-पार खड़े पाते हैं. भारत चीन के पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में भी असहज है. इतना ही नहीं अभी इन पाँच देशों के बीच BRICS को औपचारिक शक्ल देने पर भी मतांतर हैं. मसलन BRICS का सैक्रेटेरिएट बनाने पर भी फिलहाल कोई सहमति नहीं हो पाई है. साथ ही इस विषय पर भी कोई साफ विचार नहीं है कि समूह में नए सदस्यों को कैसे और कब जोड़ा जाए. रुस और ब्राजील में हुए सम्मेलन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँचे थे. इसके अलावा भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है और ये देश अमेरिका के साथ अपने नजदीकी संबंधों के लिए जाने जाते हैं. लेकिन इसी समूह में चीन भी है जहाँ साम्यवादी शासन है और गैर-कम्यूनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता ना के बराबर है.

ब्राजील चीन की मुद्रा युआन को जानबूझ कर सस्ता रखे जाने पर चिंता व्यक्त कर चुका है. चीन ये बात साफ कर चुका है कि युआन का मुद्दा BRICS में बहस के लिए नहीं उठाया जा सकता.

जानकारों की राय ?

उन्होंने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया, 'आर्थिक मुद्दों को छोड़े दें तो BRICS के देशों के बीच बड़े मतभेद हैं. भारत और चीन के बीच एक बड़ी प्रतिस्पर्धा है. इसके अलावा भविष्य में चीन और रूस में भी प्रतिस्पर्धा के आसार हैं.' चीन के सानया में हो रहे सम्मेलन से कुछ पुख्ता Achievements हों ये कहना मुश्किल है. लेकिन दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में साझा आर्थिक मुद्दों पर समन्वय बनाए जाने की कोशिश तो जरूर होगी. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के क्रिस एल्डन ने रॉयटर्स को बताया, 'ये एक अहम बैठक है. इस वर्ष एक नया सदस्य BRICS से जुड़ा है. और इस समूह ने सियासी तौर पर खुद को प्रस्तुत करने की कोशिश की है. ये समूह समस्त उभरती और Developing दुनिया का प्रतिनिधित्व करना चाहता है. दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया जाने के पीछे यही तर्क है.' BRICS में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने से इस समूह ने विस्तार के संकेत दिए हैं और शायद इस सम्मेलन में नए देशों के प्रवेश को लेकर कोई साफ रुपरेखा तैयार हो पाएगी. उभरते और Developing देशों की नुमाइंदगी करने का सपना पूरा करने के लिए इस समूह को एक औपचारिक संगठन बनाने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता.

BRICS : मुद्दे और मतभेद-

  • *भारत और चीन के बीच सीमा विवाद.

  • *भारत चीन के पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में असहज.

  • *BRICS औपचारिक शक्ल देने पर आमराय नहीं, सैक्रेटेरिएट बनाने पर भी फिलहाल कोई सहमति नहीं.

  • *नए सदस्यों को के प्रवेश पर साफ नजरिया नहीं.

  • *पहले दो सम्मलनों का कोई ठोस नतीजा नहीं.

  • *चीन में गैर-कम्यूनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता ना के बराबर.

  • *इसके विपरीत भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में सशक्त लोकतंत्र.

  • *ब्राजील चीन की मुद्रा युआन को जानबूझ कर सस्ता रखे जाने पर चिंतित.

  • *चीन युआन पर BRICS में बहस के लिए तैयार नहीं.

BRICS क्या है ?

BRICS पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना समूह है. गोल्डमैन सैक्स द्वारा वर्ष 2001 में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के इन पांच उभरते देशों के प्रस्तावित इस समूह को अधिकाधिक वैश्विक शक्ति परिवर्तन के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है.i 2008-9 के वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के समय बने इस समूह का मुख्य लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय मामलों पर सहयोग, नीति समन्वयन और राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देना है. लेकिन अपनी establishment के बाद से BRICS ने अपनी Activities का, विशेष रूप से समूह की नियमित बैठकें आयोजित करने, International organization में समन्वयक की भूमिका निभाने और अपने सदस्यों के बीच बहु-क्षेत्रीय सहयोग के लिए एजेंडा के निर्माण लिहाज़ से, विस्तार किया है. समूह का गठन 2009 में हुए पहले राष्ट्राध्यक्ष स्तरीय शिखर सम्मेलन के साथ हुआ था. इसके बाद हर साल वैश्विक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए समूह की बैठक होती रही. इस शोध पत्र में BRICS द्वारा 25-27 जुलाई, 2018 को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में प्रस्तावित BRICS शिखर सम्मेलन के साथ अपने दसवें वर्ष पूरे करने की पृष्ठभूमि में BRICS की establishment के बाद से इसके सामाजिक-आर्थिक सहयोग से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों पर विचार करने का प्रयास किया गया है. इस प्रक्रिया में शिखर सम्मेलन स्तर की घोषणाओं का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है, ताकि Commitments और महत्वपूर्ण मुद्दों के कार्यान्वयन पर हुई प्रगति का जायज़ा लिया जा सके.

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्ष‍िण अफ्रीका के Organization को संयुक्त रूप से BRICS कहते हैं. इस Organization की स्थापना साल 2006 में हुई थी. पहले इसका नाम BRIC था क्यों‍कि इसकी शुरुआत ब्राजील, रूस, भारत, चीन के साथ हुई थी, लेकिन बाद में इसमें दक्ष‍िण अफ्रीका को भी शामिल किया गया. हर साल ब्रिक्स देशों का सालाना सम्मेलन होता है जिसमें इनके शीर्ष नेता शामिल होते हैं. पिछला यानी 10वां BRICS समिट 8 जनवरी, 2018 को दक्ष‍िण अफ्रीका में हुआ था. अब 13 साल बाद BRICS एक ताकतवर Organization बन चुका है और इसकी Five economies की दुनिया की कुल जनसंख्या में 42 फीसदी, वैश्विक जीडीपी का 23 फीसदी और वैश्विक व्यापार का करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है.

BRICS कैसे गठन हुआ था ?

30 नवंबर, 2001 को ब्रिटेन के Economist और गोल्डमैन सैक्श एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन जिम ओ नील ने चार उभरती Economies ब्राजील, रूस, भारत और चीन को बताने के लिए ‘BRIC’ टर्म का इस्तेमाल किया. उन्होंने एक पेपर में लिखा कि ये चार economies व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मिलकर ज्यादा आर्थिक जगह हासिल कर सकती हैं और अगले 50 वर्षों में दुनिया की सबसे बड़ी economies बन जाएंगी. तब उन्होंने लिखा था कि 2001 से 2002 में ही बड़े उभरते देशों की रियल जीडीपी ग्रोथ जी-7 देशों से ज्यादा हो जाएगी. साल 2000 के अंत में ही BRIC देशों का जीडीपी दुनिया के 23.3 फीसदी तक हो गया था.

BRICS मुद्दे और मतभेद-

  • India और China के बीच सीमा विवाद.

  • BRICS का नए सदस्यों के प्रवेश को लेकर साफ नजरिया नहीं.

  • India China के Pakistan के साथ संबंधों के बारे में असहज.

  • पहले दो सम्मलनों का कोई ठोस नतीजा नहीं.

  • China में गैर-कम्यूनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता ना के बराबर.

  • ब्राजील China की मुद्रा युआन को जानबूझ कर सस्ता रखे जाने पर चिंतित.

BRICS के बारे कुछ अन्य जानकारी ?

BRICS का पूरा नाम ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका है. यह दुनिया की पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक संघ है. इस संघ में पांच प्रमुख उभरती उभरती अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया है. वर्ष 2011 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने से पहले एसोसिएशन को शुरू में BRIC कहा गया था. BRICS के सदस्य अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक मामलों पर इसके प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, सभी पांच राष्ट्र G-20 के सदस्य हैं.

BRICS का गठन दो प्रमुख कारणों से किया गया था जो इस प्रकार हैं

  • अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने के लिए विश्व बैंक और IMF का विकल्प बनना इसका मुख्य कारण है.

  • किसी विदेशी संगठन पर निर्भर हुए बिना सदस्य देशों में विकासात्मक और किफायती योजनाओं की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सक्षम एक स्व-प्रबंधित संगठन प्रदान करना

रूस के एक बहुत ही खूबसूरत शहर येकातेरिनबर्ग में 16 जून, 2009 को पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया. वर्ष 2009 से, समूह ने वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया और सदस्य देशों ने शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए बारी-बारी से बैठक की, इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य राजनीतिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना और सदस्यों के बीच वैश्विक आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है.

2015 तक, इन पांच देशों की आबादी लगभग 3 बिलियन थी; दुनिया की कुल आबादी का लगभग 42% और, एक साथ संयुक्त इन पांच देशों की जीडीपी सकल विश्व उत्पाद के लगभग 20% के बराबर थी. यह अनुमान है कि ब्रिक्स की संयुक्त जीडीपी 2020 तक यूएस $ 50 ट्रिलियन होगी.

ब्रिक्स - ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका

ब्रिक्स पांच प्रमुख उभरती Economies का समूह है जहां विश्वभर की 43% आबादी रहती है, जहां विश्व का सकल घरेलू उत्पाद 30% है और विश्व व्यापार में इसकी 17% हिस्सेदारी है. आदिवर्णिक शब्द ब्रिक का पहली बार प्रयोग वर्ष 2001 में गोल्डमैन साक्स ने अपने वैश्विक आर्थिक पत्र “The World Needs Better Economic Bricks” में किया था, जिसमें इकॉनोमीट्रिक विश्लेषण के आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि आने वाले समय में ब्राजील, रूस, भारत एवं चीन की Economies का व्याक्तिनगत और सामूहिक रूप से विश्व के आर्थिक क्षेत्रों पर नियंत्रण होगा और अगले 50 वर्षों में ये विश्व की सबसे बड़ी Economies में से होंगी.

एक औपचारिक समूह के रूप में सेंट पीटर्सबर्ग में जुलाई 2006 में जी-8 आउटरीच शिखर seminar के अवसर पर रूस, भारत तथा चीन के नेताओं की बैठक के पश्चात ब्रिक का प्रारम्भन किया गया था. न्यूयॉर्क में सितम्बर 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अवसर पर ब्रिक समूह के Foreign ministers की प्रथम बैठक के दौरान ब्रिक को औपचारिक रूप प्रदान किया गया. ‘ब्रिक’ के प्रथम शिखर सम्मेकलन का आयोजन रूस के Yekaterinburg शहर में 16 जून, 2009 को किया गया. सितम्बर 2010 में न्यूयॉर्क में ब्रिक विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करके ब्रिक को ब्रिक्स में विस्तार करने पर सहमति बनी थी. तद्नुसार, दक्षिण अफ्रीका 14 अप्रैल, 2011 को सान्या, चीन में आयोजित तीसरे ब्रिक्सष शिखर seminar में शामिल हुआ.

अब तक सात BRICS Conference हो चुके हैं. भारत वर्ष 2016 में अपनी अध्यक्षता में 8वें ब्रिक्स शिखर seminar की मेजबानी करेगा. पिछले शिखर सम्मेलनों का ब्यौरा इस प्रकार हैः-

  • सातवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - 8-9 जुलाई, 2015, रूस (ऊफा) में

  • छठा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - 14-16 जुलाई, 2014, ब्राजील (फोर्टलीजा) में

  • पांचवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - 26-27 मार्च, 2013, दक्षिण अफ्रीका (डरबन) में

  • चौथा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - 29 मार्च, 2012, भारत (नई दिल्ली) में

  • तीसरा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - 14 अप्रैल, 2011, चीन (सान्या) में PDF

  • दूसरा ब्रिक शिखर सम्मेलन - 16 अप्रैल, 2010, ब्राजील (ब्रासीलिया) में

  • प्रथम ब्रिक शिखर सम्मेलन - 16 जून, 2009, रूस (येकातरिनबर्ग) में

ब्रिक्स का इतिहास - BRICS Full Form in Hindi

ब्रिक्स संगठन बहुत मजबूत Economies द्वारा चलाया जा रहा है. इस Organization के लिए, जिम के लोगों ने एक प्रकाशन जारी किया जिसका नाम था. ‘द वर्ल्ड नीड्स बेटर इकोनॉमिक ब्रिक’, इस प्रकाशन में इन देशों की Economy को बहुत मजबूत Economy के नाम से संबोधित किया गया था. अमेरिका में एक Goldman सत्य समूह है. यह एक बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी है. जिम ओनीएल ने Goldman सैक्स समूह के निदेशक के रूप में कार्य किया. उन्होंने ब्राजील, रूस, भारत, चीन की Economy पर एक शोध किया. अपना शोध पूरा करने के बाद, उन्होंने अपना शोध प्रकाशित किया.. ब्राजील, रूस, भारत, चीन का पहला पत्र उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तक में लिया गया था. उन्होंने संक्षेप में इसे BRIC के रूप में संदर्भित किया. उनके अनुसार, अगले 50 वर्षों में, इन देशों की economies दुनिया की सबसे अमीर Economies में से एक होंगी. इसका मुख्य कारण यह है कि इन देशों में बाजार बहुत बड़ा है. और इसका विस्तार हो रहा है.

BRICS देशों में मतभेद -

  • भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है.

  • इस संगठन में नए Members के प्रवेश के बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं.

  • भारत-पाकिस्तान विवाद में चीन द्वारा मुद्दे अधिक जटिल हैं.

  • इस संगठन के पहले दो Conferences पर कोई निर्णय नहीं हुआ.

  • चीन में, Non-communist political activities में भाग लेने की अनुमति नहीं है.

  • ब्राजील चीन की मुद्रा युआन को सस्ता करने की कोशिश कर रहा है.

BRICS को बनाने का उद्देश्य-

अगर बता की जायेब्रिक्स के मुख्य बनाने विश्व में अमेरिका डॉलर एक प्रमुख मुद्रा है, और BRICS देशों का लक्ष्य है कि वो इस मुद्रा की जगह अन्य मुद्राओं का उपयोग कर उन मुद्राओं को भी विश्व स्तर पर मजबूत कर सकें. BRICS को बनाने का जो दूसरा सबसे बड़ा मकसद है, वो Developing देशों के लिए एक विशेष व्यापार ब्लॉक बनाना है. क्योंकि व्यापार के क्षेत्र में Developing देशों पर विकसित देश का काफी दबदबा है और इसी दबदबे को खत्म करने के लिए BRICS देशों द्वारा व्यापार ब्लॉक बनाने का लक्ष्य बनाया गया है. इसके अलावा BRICS समूह विकसित और Developing देशों के बीच एक पुल के रूप में भी कार्य करता है और साथ में ही Developing देशों को विकसित करने में उनकी मदद भी कर रहा है.

BRICS की शुरुआत कब हुई ?

वर्ष 2006 में न्यूयॉर्क में ब्रिक राष्ट्र के विदेश मंत्रियों का एक session हुआ था और इसी session के दौरान भारत, ब्राजील, रूस और चीन देश ने मिलकर ब्रिक की स्थापना करने पर चर्चा की थी. जिसके तीन साल बाद यानी साल 2009 में इन देशों ने रूस में अपना प्रथम सम्मेलन किया था.

बिक्स देशों और उनके वर्तमान नेताओं के नाम –

For Example
संख्या बिक्स देशों के नाम वर्तमान नेताओं के नाम नेताओं का पद
1 ब्राजील मिशेल टेमर राष्ट्रपति
2 रूस व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति
3 भारत नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री
4 दक्षिण अफ्रीका सिरिल रामाफोसा राष्ट्रपति
5 चीन शी जिनपिंग राष्ट्रपति

ब्रिक्स देश के अभी तक के हुए शिखर सम्मेलन और उनके विषय -

For Example
संख्या कौन सा सम्मेलन किस दिन और किस साल हुआ किस देश द्वारा आयोजित किया गया मेजबान नेता का नाम नेता का पद विषय
1 प्रथम शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 रूस दिमित्री मेदवेदेव राष्ट्रपति -
2 दूसरा शिखर सम्मेलन 15 अप्रैल, 2010 ब्राजील लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा राष्ट्रपति -
3 तीसरा शिखर सम्मेलन 14 अप्रैल, 2011 चीन हू जिंताओ राष्ट्रपति ब्रॉड विज़न, शेयर्ड प्रोस्पेरिटी
4 चौथा शिखर सम्मेलन 29 मार्च, 2012 भारत मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए ब्रिक्स भागीदारी
5 पांचवा शिखर सम्मेलन 26-27 मार्च 2013 दक्षिण अफ्रीका जैकब जुमा राष्ट्रपति ब्रिक्स और अफ्रीका: विकास, एकीकरण और औद्योगिकीकरण के लिए साझेदारी
6 छठा शिखर सम्मेलन 14-17 जुलाई 2014 ब्राजील दिलमा रौसेफ राष्ट्रपति समावेशी विकास: सतत समाधान
7 सातवां शिखर सम्मेलन 8-9 जुलाई 2015 रूस व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति ब्रिक्स भागीदारी – वैश्विक विकास का एक शक्तिशाली कारक

ब्रिक्स के गठन के कारण

BRICS के गठन के कारण इस प्रकार है- इस गठन के द्वारा American वर्चस्व को चुनौती देने का प्रयास किया गया है. यह विश्व बैंक और IMF का विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया है. इसका प्रमुख कारण किसी Foreign organization पर निर्भर हुए बिना सदस्य देशों में development की रुपरेखा को तैयार करना है. इसमें स्व-प्रबंधित संगठन के द्वारा सदस्य देशों के हित के लिए निर्णय लेना है. इसका पहला शिखर सम्मलेन 16 जून, 2009 को रूस के एक बहुत ही खूबसूरत शहर Yekaterinburg में आयोजित किया गया था. शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए सदस्य देशों के बीच बैठकों का Organisation किया जाता है. इन सभी बैठकों में अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिये योजना बनायीं जाती है.

निष्कर्ष

शिखर सम्मेलन के स्तर का Analysis वैश्विक स्थिरता, विकास और सहयोग में योगदान देने में लिए बढ़ते हुए Affirmative इंट्रा-ब्रिक्स सहयोग को दर्शाता है। वैश्विक मंदी के समय स्थापित BRICS ने सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार किया है, जो अब वैश्विक शासन सुधार और बहुपक्षीय जुड़ाव को बढ़ावा देने वाला संवाद और समन्वयन मंच बन गया है। अब तक हुए नौ शिखर सम्मेलनों में ब्रिक्स ने न केवल विभिन्न बहुपक्षीय और बहुपक्षीय पहलों का समन्वयन किया है, बल्कि अपने Intra-BRICS सहयोग का विस्तार कर बाज़ारी संपर्क, वित्तीय एकीकरण, बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी और लोगों से लोगों के संपर्क को आसान बनाया है। यह बात भी स्पष्ट है कि IMF में सुधार लाकर इसे अधिक निरूपक और समावेशी बनाने सहित वैश्विक प्रशासन में धीरे धीरे परिवर्तन और सुधार लाने में यह समूह महत्वपूर्ण कारक रहा है। BRICS के पहले पांच शिखर सम्मेलनों का मुख्य बिंदु मज़बूत, सततशील और संतुलित विकास को बढ़ावा देने के लिए International आर्थिक और वित्तीय मुद्दों में अपनी स्थिति को मज़बूत करना था। 2014 में छठे शिखर सम्मेलन से शुरू होकर BRICS सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में, विशेष रूप से गरीबी और असमानता से निपटने में, महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है।

इसकी प्रगति के संदर्भ में BRICS की मुख्य उपलब्धि एनडीबी, सीआरए और ARC सहित विभिन्न संस्थागत तंत्रों के निर्माण में देखी जा सकती है। इस संस्थागतकरण प्रक्रिया में भारत की भूमिका उल्लेखनीय रही है, विशेष रूप से एनडीबी के विकास में। भारत ने विभिन्न बैठकों, कार्यशालाओं और अन्य संबंधित programs का आयोजन कर मंच को अधिक संस्थागत बनाने में भूमिका निभाई है। यह देखा जा रहा है कि BRICS ने महत्वपूर्ण समूह के रूप में पहचान हासिल कर ली है। लेकिन समूह को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। पहली बात, वैश्विक Economy में देशों के बीच संरक्षणवाद का बढ़ता रुझान, जिससे ’व्यापार युद्धों’ का डर पैदा हुआ है। ऐसी अनिश्चित स्थिति में BRICS को विभिन्न शिखर सम्मेलनों में हुई प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए Friendly कर काम करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से ऐसी मुक्त और समावेशी वैश्विक Economy को बनाए रखना, जो गैर-भेदभाव, पारदर्शिता और नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर टिकी हुई हो।

दूसरी बात, यूएनएससी की स्थायी सदस्यता में सुधार के अलावा अन्य आर्थिक और वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए भी समान रूप से जोर देने की आवश्यकता है ताकि सच्ची भावना से समतामूलक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों - IMF और विश्व बैंक के सुधार पर अधिक ज़ोर दिया गया है, क्योंकि BRICS जीएफसी के दौरान वैश्विक शासन प्रक्रियाओं में पेश आयी कुछ चुनौतियों के समाधान हेतु एक समूह के रूप में उभरा था, लेकिन इसकी घोषणाओं में संयुक्त राष्ट्र में सुधार, विशेष रूप से UNSC की स्थायी के विस्तार का, कोई प्रत्यक्ष ज़िक्र नहीं है। कुल मिलाकर BRICS देशों को Socio-economic महत्व के कई मुद्दों पर एकजुट रुख बनाए रखने हेतु निरंतर प्रयास करना चाहिए। इन मुद्दों में, विशेष रूप से संरक्षणवाद के बढ़ते रुझान को कम करने के लिए, विकासशील देशों के अधिक प्रतिनिधित्व के लिए वैश्विक शासन में सुधार, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा और स्वास्थ्य और डब्ल्यूटीओ, जी 20 और अन्य मंचों सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक तालमेल से काम करना शामिल है।