NATO Full Form in Hindi




NATO Full Form in Hindi - NATO की पूरी जानकारी?

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NATO Full form in Hindi

NATO की फुल फॉर्म “North Atlantic Treaty Organization” होती है, NATO को हिंदी में “उत्तर अटलांटिक संधि संगठन” कहते है, NATO एक 30 देशों की सेनाओं का एक संगठन है, जिसमें के द्वारा सैन्य सहायता प्रदान की जाती है. इसमें एक देश की सेना दूसरे देश में भेजी जाती है, और उन्हें International Training प्रदान की जाती है. आइये अब इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

इस सैन्य संगठन को हर एक परिस्थति से निपटने का सख्त आदेश दिया जाता है, यह एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, इसे उत्तर अटलांटिक एलायंस के नाम से भी जाना जाता है, इस संगठन को बनाने का मुख्य मकसद सदस्य देशों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा करना था। संगठन का मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है, नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को सामूहिक रक्षा के उद्देश्य से की गई थी जिसका अर्थ है कि इसके किसी भी सदस्य देश पर हमला सभी सहयोगियों पर हमला माना जाएगा।

जैसा की हम जानते है, अडोल्फ हिटलर के सुसाइड करने के बाद वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध लगभग समाप्त हो गया था. दोस्तों इस विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ ये दोनों देश एक बहुत बड़ी या महाशक्ति बनकर उभरे थे. यूरोप में संभावित खतरे को देखते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्सेमबर्ग ने एक संधि की और इस संधि को उन्होंने बूसेल्स नाम दिया था. इस संधि के अंतर्गत यह निर्धारित किया गया कि अगर को देश इस संधि के अंतर्गत आने वाले किसी भी एक देश के ऊपर हमला करता है. तो इस संधि के अंतर्गत आने वाले और सभी देश एक- दूसरे को सामूहिक सैनिक सहायता व सामाजिक-आर्थिक सहयोग प्रदान करेंगे.

America Berlin में Soviet Union की घेराबंदी और सोवियत प्रभाव को समाप्त करने के लिए सैनिक गुटबंदी करने के लिए आगे आया. उसने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत उत्तर अटलांटिक संधि का प्रस्ताव पेश किया जिसमें सन 1949 को फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित लगभग 12 देशों ने हस्ताक्षर किए, जैसा की हम जानते है. शीत युद्ध से पूर्व यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी, स्पेन ने इसकी सदस्यता ली और इसके बाद शीत युद्ध समाप्त होने के तुरंत बाद पोलैण्ड, हंगरी, चेक गणराज्य आदि को भी इसमें शामिल किया गया. दोस्तों सन 2004 में सात अन्य देशों ने इसकी सदस्यता स्वीकार की, और अगर हम बात करे वर्तमान समय की तो आज इसमें 30 सदस्य देश शामिल हो चुके है।

NATO की स्थापना क्यों हुई ?

वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद यूरोप की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब हो चुकी थी, जिससे के कारण वहां के नागरिकों या निवास करने वाले लोगों का दैनिक जीवन निम्नस्तर पर पहुंच गया था, सोवियत संघ इसका लाभ उठाना कर Greece और Turkey पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहता था, वह सोचता था की अगर उसने इन देशो को आपने Control में ले लिया वह विश्व के व्यापार पर आपने नियंत्रण आसानी से स्थापित कर सकता है, दोस्तों अगर सोवियत संघ Turkey को जीत लेता तो वह काला सागर पर आसानी से आपने Control कर लेता, जिससे आस-पास के सभी देशों पर Communism की स्थापना करना आसान हो जाता है, और इसके साथ ही Soviet Union Greece पर भी अपना Control करना चाहता था, जिससे वह भूमध्य सागर के रास्ते होने वाले व्यापार को प्रभावित कर सकता था, लेकिन सोवियत संघ की इस विस्तार वादी सोच को America ने सही समय में पर समझ लिया था, समय America के राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन थे. जिन्होंने फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के अकस्मात निधन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति की शपथ ली थी।

अमेरिका ने शीतयुद्ध के समय सोवियत संघ के बढ़ते हुए विस्तार को रोकने के लिए एक सिद्वान्त का प्रस्ताव रखा. जिसको को ट्रूमैन सिद्वान्त के नाम से जाना गया, इस प्रस्ताव को पास करने का मुख्य कारण सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना और यूरोपीय देशों की सहायता करना था. आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की इनके कार्य-काल में मार्शल योजना को खूब साहरा गया और उनको लागू भी किया गया, नाटों की स्थापना करने के बाद हैरी एस ट्रूमैन सिद्धांत के द्वारा अमेरिका ने ऐसे देशों की सहायता करने का निर्णय लिया जिस देश को साम्यवाद से खतरा हो सकता था. इस सगठन के गठन की संकल्पना राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने ही की थी, जैसा की हमने ऊपर भी बताया है. इसमें उन सभी देशों को शामिल किया गया जो लोकतंत्र को बचाना चाहते थे, मार्शल योजना के तहत ग्रीस और तुर्की को 400 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की गयी और उन दोनों देशों को NATO का सदस्य बनाया गया. इस नीति के कारण सोवियत संघ और अमेरिका के बीच लम्बे समय तक शीत युद्ध चला।

NATO का प्राथमिक लक्ष्य अपने सदस्य देशों की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित करना है। लेकिन, हाल के वर्षों में, युद्ध के बदलते चेहरे के साथ, इसे अपने उद्देश्य का विस्तार करना है और यह निर्णय लिया है कि यह सदस्य देशों को आतंकवाद, साइबर हमलों और सामूहिक विनाश के हथियारों से भी सुरक्षित और संरक्षित करेगा।

NATO History in Hindi

  • नाटो की स्थापना 1949 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी, जब संयुक्त राज्य अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने दुश्मनों के खिलाफ एकजुट होने के लिए उत्तरी अटलांटिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

  • वर्ष 1949 में, यह केवल 12 सदस्य देशों के साथ शुरू हुआ; बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

  • वर्ष 1952 में ग्रीस और तुर्की संगठन में शामिल हुए।

  • वर्ष 1955 में, यह पश्चिम जर्मनी द्वारा शामिल हो गया था।

  • वर्ष 1982 में, स्पेन संगठन में शामिल हो गया।

  • वर्ष 1997 में, हंगरी, चेक गणराज्य और पोलैंड को संगठन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।

  • वर्ष 2004 में, नाटो द्वारा संयुक्त राष्ट्र-शासित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) की कमान संभालने के एक साल बाद, इसे सात देशों द्वारा शामिल किया गया; बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया।

  • वर्ष 2009 में, अल्बानिया और क्रोएशिया इसके सदस्य बने।