LSD Full Form in Hindi




LSD Full Form in Hindi - LSD की पूरी जानकारी?

LSD Full Form in Hindi, LSD Kya Hota Hai, LSD का Full Form क्या हैं, LSD का फुल फॉर्म क्या है, Full Form of LSD in Hindi, LSD किसे कहते है, LSD का फुल फॉर्म इन हिंदी, LSD का पूरा नाम और हिंदी में क्या अर्थ होता है, दोस्तों क्या आपको पता है LSD की Full Form क्या है और LSD होता क्या है, अगर आपका answer नहीं है, तो आपको उदास होने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि आज हम इस पोस्ट में आपको LSD की पूरी जानकारी हिंदी भाषा में देने जा रहे है. तो फ्रेंड्स LSD Full Form in Hindi में और LSD की पूरी इतिहास जानने के लिए इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।

वतमान समय में बढ़ते तनाव और फैशन ने युवाओं को नशीली दवाओं का आदि सा बना दिया है. आज हमारे देश में लाखों युवा नाशा करने के आदि बन चुके है. एल एस डी यानी लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड भी एक तरह का ड्रग्स होती है. जिसका सेवन करने के बाद लोगों को सब कुछ अच्छा लगने लगता है। पर असल में यह एक तरह का नशा होता है जो उन्हें हकीकत से कोसों दूर लेकर चला जाता है. यह मानव शरीर के लिए बहुत ही हनी का रख होता है, एल एस डी के नाशे का अहसास सुखद होते है लेकिन कभी-कभी उसे बहुत ख़तरनाक विचार आते हैं, और उसे डरावने अहसास होते हैं एवं डरावने दृश्य दिखाई देने लगते हैं, दोस्तों इस स्थिति को “बैड ट्रिप” कहा जाता है, आइये अब हम जानते है एलएसडी की फुल फॉर्म क्या है, और यह होता क्या है.

LSD Full Form in Hindi

LSD की फुल फॉर्म "Lysergic Acid Diethylamide” होती है, LSD को हिंदी में “लीसर्जिक एसिड डाईएथिलेमाइड” कहते है, एल. एस. डी को एसिड, ब्लॉटर या डॉट्स भी कहा जाता है। यह स्वाद मे कड़वी, गंधरहित और रंगहीन दवा होती है। बाजार में रंगीन Tablet, पारदर्शी तरल, जिलेटिन के पतले -पतले वर्ग के रूप में या सोख्ता कागज (ब्लॉटर पेपर) के रुप में मिलती है।

आमतौर पर इसे नशे के आदी लोग ब्लॉटर पेपर के रूप में चाटते हैं, या Tablet के रूप में लेते हैं, जबकि Gelatin और तरल के रूप में इसे आँखों में रखा जा सकता है. LSD को अमीरों का नशा कहा जाता है. इसके एक स्टैम्प (डाक टिकट जितना साइज) की कीमत 4-5 हजार रुपये तक होती है. लएसडी ड्रग्स (लाइसर्जिक एसिड डाइएथाइलामाइड) का नशा करने वाले लोग इसे स्वर्ग का टिकट भी कहते हैं. Partyhorse youngsters का यह सबसे पसंदीदा नशा बनता जा रहा है. LSD केस के Expert पुलिस अफसर ने बताया कि भारत में LSD Liquid और पेपर दोनों फॉर्म में मिलती है. अमेरिका, ग्रीस, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे देशों से तस्करी के जरिये इस नशे को इंडिया में लाया जाता है. आइये अब इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

एल. एस.डी सेवन के लक्षण

  • LSD का जो लोग सेवन करते है, उनकी आँखों की पुतलियाँ तन जाती है, ऐसा लगता है, जैसे की पुतलियाँ को खींच कर किसी ने लम्बा कर दिया है, बहुत ज्यादा पसीना आना, जैसे व्यक्ति में असहजता और घबराहट की स्थिति में होता है।

  • इसका सेवन करने के बाद व्यकि्त अपने होशो हवाश खो देता है। उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है मानों उसके आसपास होने वाली बातें वास्तविक ही ना हो। व्यवहार में अचानक ही बदलाव आने लगता है।

  • LSD का सेवन करने वालो का हृदय गति और रक्त चाप बढ़ जाना, इस स्थिति में आमतौर व्यक्ति की आँखें, कनपटी और कान की लौ (कान का वह भाग जहां पर महिलाएं इयर रिंग पहनती हैं) सामान्य दिनों की अपेक्षा हल्के लाल हो जाते हैं।

कैसे करते है इसकी पहचान

LSD का सेवन करने वाले लोगों की पहचान करना बहुत मुश्किल काम है यह इतना आसान नहीं होता है. इसका मुख्य कारण इसका असर सामान्य स्थिति में 24 घंटे में खत्म हो जाता है, और किसी प्रकार की दवाई या जाँच (टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट्स) की जरूरत नहीं होती, आपकी जानकारी के लिए बता दे की सामान्य जांचों के द्वारा यह सामने भी नहीं आता. इसके लिए विशेष प्रकार की रक्त जाँच का प्रयोग किया जाता है, इस नशे के आदि व्यक्ति को देख कर ही पहचाना जा सकता है।

एलएसडी आमतौर पर एक प्रयोगशाला में रासायनिक संश्लेषण द्वारा तैयार किया जाता है। इसकी मूल रासायनिक संरचना एर्गोट अल्कलॉइड के समान है, और यह संरचनात्मक रूप से कई अन्य दवाओं (जैसे, बुफोटीनिन, साइलोसिन, हार्मिन और इबोगाइन) से संबंधित है, जो सभी सेरोटोनिन (इंडोल अमाइन ट्रांसमीटर के तंत्रिका ट्रांसमीटर) की कार्रवाई को रोक सकते हैं मस्तिष्क के ऊतकों में आवेग)।

एलएसडी सामान्य व्यवहार से चिह्नित विचलन पैदा करता है, शायद सेरोटोनिन की कार्रवाई को बाधित करने की इसकी क्षमता का परिणाम है. हालांकि दवा का तंत्र अनिश्चित रहता है। एलएसडी को मानसिक रूप से प्रेरित करने के लिए मनोचिकित्सा एजेंट के रूप में चिकित्सा में प्रयोग किया जाता था. जो माना जाता था कि वे वास्तविक मानसिक रोगों (मुख्य रूप से सिज़ोफ्रेनिया) से मिलते जुलते थे. प्रशासन के बाद, एलएसडी को किसी भी म्यूकोसल सतह से आसानी से अवशोषित किया जा सकता है. यहां तक कि कान से भी - और 30 से 60 मिनट के भीतर कार्य करता है, इसका प्रभाव आमतौर पर 8 से 10 घंटे तक रहता है, और कभी-कभी कुछ प्रभाव कई दिनों तक बना रहता है। दो गंभीर दुष्प्रभाव मानसिक प्रतिक्रिया के लंबे समय तक और क्षणिक पुन: प्रकट होते हैं।