STF Full Form in Hindi




STF Full Form in Hindi - STF की पूरी जानकारी?

STF Full Form in Hindi, What is STF in Hindi, STF Full Form, STF Kya Hai, STF का Full Form क्या हैं, STF का फुल फॉर्म क्या है, Full Form of STF in Hindi, STF किसे कहते है, STF का फुल फॉर्म इन हिंदी, STF का पूरा नाम और हिंदी में क्या अर्थ होता है, STF की शुरुआत कैसे हुई, दोस्तों क्या आपको पता है STF की फुल फॉर्म क्या है, अगर आपका उत्तर नहीं है, तो आपको उदास होने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि आज हम इस पोस्ट में आपको STF की पूरी जानकारी हिंदी भाषा में देने जा रहे है. तो फ्रेंड्स STF फुल फॉर्म इन हिंदी में और इसका पूरा इतिहास जानने के लिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।

STF Full Form in Hindi

STF की फुल फॉर्म “Special Task Force” होती है, STF को हिंदी में “स्पेशल टास्क फोर्स” कहते है. राज्य में Extremist activities के उन्मूलन के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) उत्तर प्रदेश पुलिस का एक विशेष बल है. चलिए अब आगे बढ़ते है और आपको इसके बारे में थोडा और विस्तार से जानकारी उपलब्ध करवाते है।

STF UP Police की एक Unit या इकाई है जिसका उद्देश्य राज्य के अंतर्गत जितने भी गैंग सक्रिय होते है उनके खिलाफ कार्यवाही करना तथा उनकी रोकथाम करना है. STF राज्य के अंतर्गत जितने भी डकैती गैंग, संगठित अपराध, माफिया गैंग इत्यादि होते है उनको जिला पुलिस के सहयोग से उनके विरूद्ध कार्यवाही करना है, तथा राज्य के बाहर आने राज्यों की स्थानीय पुलिस के सहयोग से उनकी धरपकड़ करना तथा उनकी रोकथाम करना है. जैसा कि मेने बताया कि STF UP Police की ही एक इकाई है. Special Task Force में UP Police से अधिकारी/ कर्मचारी नियुक्त किये जाते है. यहाँ पर हम आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की पहले STF के कार्यों में राज्य के अंतर्गत ISI agents की आतंकवादी गतिविधियों के विरुद्ध कारवाही भी शामिल थी किन्तु जब से ATS का गठन हुआ है तब से आतंकवादी गतिविधियों कर विरुद्ध कारवाही वाला कार्य ATS के पास चला गया है. अब STF केवल माफिया गैंग, डकैती गैंग, संगठित अपराध गैंग इत्यादि के विरूद्ध कार्यवाही के लिए समर्पित संगठन है।

What is STF in Hindi

प्रत्येक भारतीय राज्य सरकार के पास विशिष्ट समस्याओं से निपटने के लिए अपना विशेष विंग स्थापित करने का अधिकार है. इस विंग को आमतौर पर स्पेशल टास्क फोर्स के रूप में जाना जाता है. उदाहरण के लिए, बढ़ते अपराधों से लड़ने के लिए यूपी सरकार ने एसटीएफ का गठन किया।

एसटीएफ का नेतृत्व एक अतिरिक्त महानिदेशक रैंक का पुलिस अधिकारी करता है, जिसकी सहायता पुलिस महानिरीक्षक करता है. एसटीएफ टीमों के रूप में काम करती है, जिसमें प्रत्येक टीम Dy SP या एडिशनल एसपी के नेतृत्व में कार्य करती है. एसएसपी एसटीएफ STF द्वारा संचालित सभी अभियानों के प्रभारी हैं. राज्य के अंतर्गत सभी स्थानों पर STF कारवाही करने को अधिकार रखती है. यदि राज्य के बाहर कारवाही करना हो तो संबंधित राज्य पुलिस की सहायता से इसकी टीमें राज्य के बाहर भी काम करती हैं. UP STF अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यूपी टू डेट इंटेलिजेंस संग्रह, प्रौद्योगिकी, मोबाइल फोरेंसिक, सीडीआर विश्लेषण, निगरानी, उन्नत प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी बेहतर उपयोग और परिष्कृत रणनीति पर काफी निर्भर करता है. लगभग 20 वर्षों के अपने छोटे से जीवनकाल में, UP STF के पास भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दिए गए 81 से अधिक पुलिस पदक वीरता पुरुस्कार और 60 अधिकारियों को विशिष्ट वीरता के कृत्यों के लिए बारी के बिना प्रोन्नति प्रदान की जा चुकी है।

विशेष कार्य बल (भारत) भारत में, प्रत्येक राज्य के पास कुछ समस्याओं से निपटने के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन करने की शक्ति है. वे मुख्य रूप से एक कार्य के लिए पर्याप्त पुलिस बल की कमी के कारण बनते हैं, जैसे प्रमुख अपराधी, या आपराधिक नेटवर्क या आतंकवाद विरोधी या आतंकवाद विरोधी उपाय के रूप में।

भारत एक बहुत बड़ा देश है, और इस कारण से यहाँ पर क्राइम के मामले भी बहुत ज्यादा होते रहते है, दोस्तों किसी भी तरह के क्राइम को रोकने के लिए STF का गठन किया है, भारत में, प्रत्येक राज्य में कुछ समस्याओं से निपटने के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने की शक्ति है. वे मुख्य रूप से एक कार्य के लिए पर्याप्त पुलिस बल की कमी के कारण बनते हैं, जैसे प्रमुख अपराधी, या आपराधिक नेटवर्क या आतंकवाद विरोधी या आतंकवाद विरोधी उपाय के रूप में. STF का कार्य आपने राज्य में होनी वाली आपराधिक गतिविधियों पर करवाई करना है, यह राज्य सरकार के नीचे काम करती है।

तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों ने पहली बार 1980 के दशक में हाथी दांत के शिकार करने वाले वीरपन का मुकाबला करने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया, जिन्हें सेना ने 2004 में ऑपरेशन कोकून के साथ मार डाला, 1980 के दशक के उत्तरार्ध में, पंजाब में उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए इस तरह के बल का गठन किया गया था।

एसटीएफ का गठन सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा तेजी से बढ़ती अपराध दर को नियंत्रित करने के लिए किया गया था. प्रदेश पुलिस द्वारा इसका गठन करने के बाद वह पर काफी हद तक अपराध दर को काम भी किया, दोस्तों उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य रहा है जहा पर कभी के समय में जबरन वसूली और अन्य गैरकानूनी गतिविधियां अपने उच्च स्तर पर थीं. यूपी में अपराधियों को पकड़ने और अपराधों को नियंत्रित करने में एसटीएफ बहुत सफल साबित हुई. तब से यह यूपी पुलिस का एक अभिन्न अंग रहा है।

एसटीएफ का गठन निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया गया है, माफिया गिरोहों के बारे में खुफिया जानकारी एकत्र करना और ऐसे गिरोहों के खिलाफ गुप्तचर कार्रवाई. कार्य योजना तैयार करना और विघटनकारी तत्वों विशेष रूप से आईएसआई एजेंटों के खिलाफ इसका निष्पादन. जिला पुलिस के साथ समन्वय में सूचीबद्ध गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई, और डकैतों के गिरोह के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई, विशेष रूप से अंतर जिला गिरोह, संगठित अपराधियों के अंतर जिला गिरोह के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई. एटीएस के निर्माण के साथ, चार्टर नंबर 2, अर्थात्, विघटनकारी गतिविधियों की रोकथाम के लिए कार्रवाई विशेष रूप से आईएसआई एजेंटों को एटीएस में स्थानांतरित कर दी गई है।

STF का नेतृत्व एक अतिरिक्त महानिदेशक रैंक का अधिकारी करता है, जिसकी सहायता पुलिस महानिरीक्षक करता है. STF टीमों के रूप में काम करती है, जिसमें प्रत्येक टीम का नेतृत्व एडिशनल एसपी या डिप्टी एसपी करता है. एसएसपी STF द्वारा संचालित सभी अभियानों के प्रभारी हैं. STF के पास पैन-यूपी क्षेत्राधिकार है. संबंधित राज्य पुलिस की सहायता से इसकी टीमें राज्य के बाहर भी काम करती हैं. यूपी STF अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मानव बुद्धि, प्रौद्योगिकी और परिष्कृत रणनीति पर काफी निर्भर करता है. लगभग 15 वर्षों के अपने छोटे जीवनकाल में, यूपी STF के पास भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किए गए 81 पुलिस पदक वीरता का दावा करने का एक समृद्ध इतिहास है और 60 अधिकारियों को विशिष्ट वीरता के कृत्यों के लिए आउट-ऑफ-टर्न प्रचार दिया जाता है।

यूपी STF अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मानव खुफिया, प्रौद्योगिकी और परिष्कृत रणनीति पर काफी निर्भर करता है। लगभग 15 वर्षों के अपने छोटे जीवनकाल में, यूपी STF के पास भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए 81 पुलिस पदक वीरता का दावा करने का एक समृद्ध इतिहास है और 60 अधिकारियों को विशिष्ट वीरता के कृत्यों के लिए आउट-ऑफ-टर्न प्रचार दिया जाता है।

संगठित अपराध को कंट्रोल करने के लिए अब STF और प्रदेश के चारों महानगर भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर की क्राइम ब्रांच ज्वॉइंट आपरेट करेगी. इस प्लानिंग को फ्लोर पर लाने के लिए सोमवार को STF एडीजीपी एस डब्ल्यू नकवी की Monitoring में चारों महानगर के क्राइम ब्रांच प्रभारियों के साथ मंथन किया है. पुलिस की दोनों विंग की अपनी मजबूरियां हैं, STF के पास संसाधन तो पर्याप्त हैं लेकिन मैनपॉवर का टोटा है. इसी तरह क्राइम ब्रांच के पास बल है लेकिन अपराधियों की घेराबंदी के लिए आधुनिक Resource नहीं है. इन खामियों का फायदा अपराधी उठाते हैं. इसलिए तय किया गया है दोनों विंग (Branches) को ज्वाइंट ऑपरेट करेगी. इसमें चारों बडे शहरों के क्राइम ब्रांच थाने STF के भोपाल स्थित थाने से सतत संपर्क में रहेंगे।

दोस्तों STF ने कुछ समय पहले ही किसी भी संगठित अपराध के घटित होने पर अपराधियों को रडार पर लेकर क्राइम ब्रांच टीमों को मूव करने की योजना बनाई है. हालांकि ज्वाइंट वर्क की योजना का पूरी तरह खुलासा नहीं किया गया हैं. Police officer कहते हैं क्राइम कंट्रोल के लिए पुलिस की कई विंग को एक साथ काम करना पड़ता है. आपकी जानकारी के लिए बता दे की इन अपराधों पर ज्वाइंट ऑपरेशन : चिटफंड, नेट बेकिंग, अवैध हथियारों के कारोबार, नशा कारोबार सहित दूसरे सभी संगठित अपराधों पर दोनों विंग मिलकर काम करेंगी।

किसी भी शहर में संगठित अपराध घटित होने पर उस शहर की टीम STF थाना (भोपाल) को घटना की जानकारी देंगे, प्रदेश के जिन दूसरे शहरों में अपराधियों के सुरक्षित ठिकाने, मददगार, गैंग मेंबर्स होंगे वहां उस जिले की क्राइम ब्रांच भी ऑपरेट कर उन्हें Roundup करेगी. इस दौरान गिरोह की मूवमेंट और दूसरी Activities पर STF नजर रखकर क्राइम ब्रांच की टीमों को ऑपरेशन के लिए कमांड करेगी. संगठित और Hitech crime सिरदर्द साबित हो रहे हैं. पुलिस मुख्यालय ने 5 साल पहले इन पर कंट्रोल के लिए बडे जिलों में Investigation team गठित करने का खाका खींचा था. प्लान में टीम की मदद के लिए FSL, Finger, Dog Squad के अलावा अपराधियों की लोकेशन ट्रेस करने के लिए सर्विलांस टीम भी रहेगी. योजना कारगर साबित नहीं हुई. इंवेस्टीगेशन टीम की जगह जिलों में क्राइम ब्रांच की टीमें बनाईं।