CM Full Form in Hindi




CM Full Form in Hindi - CM की पूरी जानकारी?

CM Full Form in Hindi, What is CM in Hindi, CM Kya Hota Hai, CM का क्या काम होता है, CM का Full Form क्या हैं, CM का फुल फॉर्म क्या है, Full Form of CM in Hindi, CM किसे कहते है, CM का फुल फॉर्म इन हिंदी, CM का पूरा नाम और हिंदी में क्या अर्थ होता है, CM की शुरुआत कैसे हुई, दोस्तों क्या आपको पता है CM की Full Form क्या है और CM होता क्या है, अगर आपका answer नहीं है, तो आपको उदास होने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि आज हम इस पोस्ट में आपको CM की पूरी जानकारी हिंदी भाषा में देने जा रहे है. तो फ्रेंड्स CM Full Form in Hindi में और CM की पूरी इतिहास जानने के लिए इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।

CM Full form in Hindi

CM की फुल फॉर्म “Chief Minister” होती है, CM को हिंदी में “मुख्यमंत्री जी” कहते है. भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य में मंत्रियों की परिषद का निर्वाचित प्रमुख मुख्यमंत्री (सीएम) होता है। हालांकि, Governor Official 'राज्य का प्रमुख' होता है, फिर भी यह मुख्यमंत्री ही होता है. जिसमें 'वास्तविक' कार्यकारी शक्तियां निहित होती हैं. आइये अब इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

CM की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है, आपकी जानकारी के लिए बात दे की CM की नियुक्ति संविधान के किस अनुच्छेद 163 के अन्तर्गत की जाती है. CM राज्य का वास्तविक प्रमुख होता है, न कि राज्यपाल, जो कि औपचारिक प्रमुख होता है. चूंकि भारत ने Constitutional लोकतंत्र के वेस्टमिंस्टर मॉडल को अपनाया है. यह CM ही है जो राज्य सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामकाज की देखरेख करता है. भारतीय संविधान के अनुसार, प्रतिदिन के शासन प्रबंध में, मंत्रियों की परिषद द्वारा CM को सहायता दी जाती है. जिसमें Cabinet Minister, उप मंत्री और अन्य शामिल होते हैं. जिन्हें CM द्वारा नियुक्त किया गया है और राज्यपाल ने शपथ दिलाई है।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसके 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश हैं. आज के समय में भारत में 31 मुख्यमंत्री हो सकते हैं, 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू कश्मीर) से हो सकते हैं. वर्तमान समय में अब तक भारतीय जनता पार्टी 13 राज्यों में शासन कर रही है, जबकि 5 राज्यों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का शासन है।

CM की योग्यता, वेतन, कार्यकाल

भारतीय संविधान में मंत्रियों के लिए किसी भी तरह की योग्यता को निर्धारित नहीं किया गया है. भारतीय संविधान में केवल इतना ही कहा गया है कि प्रत्येक मंत्री को अनिवार्यतः राज्य के विधानमंडल का सदस्य होना चाहिए. दोस्तों यदि नियुक्ति के समय कोई मंत्री विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य न हो, तो उसे नियुक्ति की तिथि के छह महीनों के अंतर्गत किसी सदन का सदस्य बनना ही पड़ेगा, अन्यथा मंत्रिपद उसको त्यागना होगा. आपकी जानकारी के लिए बात दे की व्यवहार में वही व्यक्ति मंत्री नियुक्त होता है, जो अपने दल में प्रभावी व्यक्ति होता और मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र होता है. भारत देश में मंत्रियों को राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि के अनुसार वेतन, भत्ते आदि मिलते हैं. संविधान में मंत्रियों की अवकाश-आयु, शिक्षा-सम्बन्धी योग्यता तथा कार्यकाल निश्चित नहीं किये गए हैं।

जैसा की हम सभी जानते है, भारत देश में मंत्रियों का कार्यकाल 5 वर्ष है, जो विधान सभा की अवधि है. संविधान में कहा गया है कि मंत्री Governor के After offerings अपने पद पर रहेंगे. परन्तु, मंत्रियों को पदच्युत करने में Governor की स्वतंत्रता बहुत सीमित है. चूँकि मंत्री विधान सभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं, इसलिए जब तक उन्हें विधान सभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त है और मुख्यमंत्री उन्हें चाहता है तब तक Governor उन्हें ख़ारिज नहीं कर सकता. यदि Governor ऐसा करे, तो समस्त Council of Ministers त्यागपत्र देकर सांविधानिक संकट उपस्थित कर सकती है. हाँ, Legislature Ministers के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर उन्हें ख़ारिज कर सकता है।

मुख्यमंत्री की नियुक्ति

हमारे संविधान में मुख्यमंत्री (मुख्यमंत्री) के रूप में नियुक्त की जाने वाली योग्यता के बारे में विशेष रूप से उल्लेख नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 164 में कहा गया है कि मुख्यमंत्री को राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाएगा. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यपाल राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में किसी को भी नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है।

मुख्यमंत्री की शक्तियां और कार्य

मुख्यमंत्री की शक्तियों और कार्यों को निम्नलिखित प्रमुखों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है -

  • मुख्यमंत्री राज्यपाल को विधान सभा को विघटित करने का परामर्श दे सकता है।

  • मंत्रियों के बीच विभागों का आवंटन और फेरबदल करने का काम भी एक मुख्यमंत्री कर सकता है।

  • राय के अंतर के मामले में; वह मंत्री से इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं।

  • वह राज्यपाल को किसी भी व्यक्ति को मंत्री के रूप में नियुक्त करने की सलाह देता है. यह केवल सीएम की सलाह के अनुसार राज्यपाल मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

  • मुख्यमंत्री सभी मंत्रियों की गतिविधियों का निर्देश, मार्गदर्शन और नियंत्रण, कर सकता है।

  • अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा देते हैं तो पूर्ण मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है।

  • मुख्यमंत्री राज्यपाल की औपचारिक स्वीकृत से मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण करना है. इस कार्य में उसे बहुत कुछ स्वतंत्रता रहती है; परन्तु उसे अपने सहयोगियों की इच्छा का आदर करना ही पड़ता है।

  • मुख्यमंत्री विधान सभा का प्रमुख प्रवक्ता होता है. अत उसके आश्वासन प्रामाणिक माने जाते हैं. वह विधान सभा में सरकार की नीति या अन्य आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण विषयों पर भाषण देता है।

  • वह विधान सभा का प्रमुख प्रवक्ता होता है. अतः, उसके आश्वासन प्रामाणिक माने जाते हैं. वह विधान सभा में सरकार की नीति या अन्य आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण विषयों पर भाषण देता है।

  • मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों का सभापतित्व करने का काम करता है तथा सरकार के नीति-निर्धारण में उसका महत्त्वपूर्ण हाथ रहता है. हमारा मतलब किसी भी राज्ये में सभी बड़े बड़े फैसले मुख्यमंत्री से ही पूछ के लिए जाते है, वह मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के बीच संपर्क की कड़ी है. वह मंत्रिपरिषद के निर्णयों एवं अन्य शासन-सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण विषयों की सूचना राज्यपाल को देता है।

मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों का सभापतित्व करने का काम करता है. तथा सरकार के नीति-निर्धारण में उसका महत्त्वपूर्ण हाथ रहता है. हमारा मतलब किसी भी राज्ये में सभी बड़े बड़े फैसले मुख्यमंत्री से ही पूछ के लिए जाते है, वह मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के बीच संपर्क की कड़ी है. वह मंत्रिपरिषद के निर्णयों एवं अन्य शासन-सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण विषयों की सूचना राज्यपाल को देता है.

  • सीएम को राज्यपाल को राज्यों के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों के बारे में बताना होता है।

  • जब भी राज्यपाल प्रशासन द्वारा लिए गए या संबंधित निर्णयों से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कहता है, तो सीएम को उसे प्रदान करना होगा

  • राज्यपाल जब मंत्रीमंडल पर विचार कर सकता है, तो कैबिनेट के विचार के बिना निर्णय लिया जा सकता है।

  • सीएम ने अटॉर्नी जनरल, राज्य लोक सेवा आयोग (अध्यक्ष और सदस्य), राज्य चुनाव आयोग आदि जैसे महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में राज्यपाल को सलाह दी।