NRC Full Form in Hindi




NRC Full Form in Hindi - NRC की पूरी जानकारी?

NRC Full Form in Hindi, NRC Kya Hota Hai, NRC का Full Form क्या हैं, NRC का फुल फॉर्म क्या है, Full Form of NRC in Hindi, NRC किसे कहते है, NRC का फुल फॉर्म इन हिंदी, NRC का पूरा नाम और हिंदी में क्या अर्थ होता है, दोस्तों क्या आपको पता है NRC की Full Form क्या है और NRC होता क्या है, अगर आपका answer नहीं है, तो आपको उदास होने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि आज हम इस पोस्ट में आपको NRC की पूरी जानकारी हिंदी भाषा में देने जा रहे है. तो फ्रेंड्स NRC Full Form in Hindi में और NRC की पूरी इतिहास जानने के लिए इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।

NRC Full form in Hindi

NRC की फुल फॉर्म “National Register of Citizens” होती है, NRC को हिंदी में “नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर” कहते है. एनआरसी के दुवारा सरकार को यह पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है, और कौन नहीं. जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है. एनआरसी के हिसाब से 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है. आइये अब इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

दोस्तों असम हमारे भारत देश का एक बहुत ही खूबसूरत राज्य है, इसमें नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की अंतिम सूची को जारी कर दी गई है. आपकी जानकारी के लिए बता दे की इस सूची में 3.11 करोड़ लोगों को जगह दी गई है. जबकि सूबे में बसे 19.07 लाख लोग इससे बाहर हो गए हैं, इस सूची के जारी होने के बाद सूबे में कई जगहों पर दुख और गुस्से का माहौल भी आपको साफ देखने को मिल जायेगा, इस सूची के जारी होने के बाद महल ख़राब न हो इसलिए सरकार ने स्थिति संभालने के लिए कई इलाकों में धारा 144 लगा दी है. दोस्तों यूं तो NRC को राज्य के मूल निवासियों और घुसपैठ कर आने वाले लोगों की पहचान के लिए जारी किया गया है. लेकिन अगर देखा जाये तो ऐसे भी तमाम लोग हैं, जो पीढ़ियों से भारतीय और असम के हैं, और आज उनके नाम इस के दुवारा जारी की गयी लिस्ट से गायब है, इससे पहले Draft में भी हजारों ऐसे लोगों के नाम नहीं थे, जिससे उनकी चिंताएं(anxiety) बढ़ी हुई हैं।

आज असम एक ऐसा पहला राज्य बन चूका है जहां पर भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद NRC को अपडेट किया जा रहा है. जैसा की हम जानते है, NRC का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया गया था. जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम को शामिल किया गया था, असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी Update करने को कहा था. पहला Register 1951 में जारी हुआ था. ये Register असम का निवासी होने का Certificate है. इस मुद्दे पर असम में कई बड़े और हिंसक आंदोलन हुए हैं। 1947 में बंटवारे के बाद असम के लोगों का पूर्वी पाकिस्तान में आना-जाना जारी रहा. 1979 में असम में घुसपैठियों के खिलाफ All Assam Students Union ने आंदोलन किया. इसके बाद 1985 को तब की केंद्र में Rajiv Gandhi Government ने असम गण परिषद से समझौता किया. इसके तहत 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।

जैसा की हम जानते है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार तैयार किए गए National Register of Citizens का एक Draft पिछले साल 31 जुलाई को रिलीज किया गया था. आपकी जानकारी के लिए बता दे की इस रजिस्टर से 40.7 लाख लोगों के नाम बाहर किए गए थे. फिर 26 जून 2019 को जारी की गई अतिरिक्त list में यह आंकड़ा बढ़कर 41 लाख के करीब हो गया. राज्य के 3.29 करोड़ लोगों में से NRC के Draft में 2.9 करोड़ लोगों को शामिल किया गया था, और अंतिम list में 3.11 करोड़ लोग शामिल हैं. जबकि 19 लाख बाहर रह गए हैं, NRC में जगह न पाने वाले लोगों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी होगी।

1985 में लागू हुआ असम समझौता

जब हमारे भारत देश का बंटवारा हुवा था तो उसके बाद बांग्लादेश से आने वाले अवैध आप्रवासियों की पहचान के लिए राज्य में 1951 में पहली बार NRC को अपडेट की भारत सरकार ने जरुरत समझी. इसी साल इसको अपडेट भी किया था, वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद काफी संख्या में शरणार्थी भारत देश के असम राज्य में पहुंचे थे. उनके साथ बांग्लादेश में सही बर्ताव नहीं किया गया या वहा पर उनको लगा की इस देश में वो लोग सुरक्षित नहीं जिसके कारण उन्होंने भारत देश में रहने का मान बनाया, और बांग्लादेश से धीरे-धीरे लोगों में भारत आना शरू किया जिनको शरणार्थि कहा गया, शरणार्थियों से असम में घुसने से राज्य की आबादी का स्वरूप ही बदलने लगा, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने 80 के दशक की शुरुआत में असम आंदोलन की शुरूआत की। 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. समझौते के अनुसार, 25 मार्च 1971 के बाद से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों के नाम NRC में शामिल नहीं होंगे. इसमें NRC को अपडेट करने की भी बात कही गई।

लिस्ट से बाहर रहने वालों का क्या

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि एनआरसी लिस्ट में जगह न पाने का यह अर्थ नहीं होगा कि ऐसे लोगों को विदेशी घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे लोगों को फॉरेन ट्राइब्यूनल के समक्ष अपना केस पेश करना होगा। इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिस्ट से बाहर रहने वाले लोगों को किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा। फॉरेन ट्राइब्यूनल्स का फैसला आने तक उन्हें छूट दी जाएगी।

फॉरेन ट्राइब्यूनल्स, क्या हैं जिनमें होगी सुनवाई

असम समझौते के मुताबिक फॉरेन ट्राइब्यूनल्स अर्ध न्यायिक संस्थाएं है, जिसे सिर्फ नागरिकता से जुड़े मसलों की सुनवाई का अधिकार दिया गया है। ट्राइब्यूल्स की ओर से विदेशी घोषित किए जाने के बाद किसी भी शख्स को एनआरसी में जगह नहीं दी जाएगी। इसके अलावा यदि किसी शख्स को लिस्ट में जगह मिलती और ट्राइब्यूनल से उसकी नागरिकता खारिज होती है तो फिर ट्राइब्यूनल का आदेश ही मान्य होगा।

अपील की प्रक्रिया?

शेड्यूल ऑफ सिटिजनशिप के सेक्शन 8 के मुताबिक लोग एनआरसी में नाम न होने पर अपील कर सकेंगे। अपील के लिए समयसीमा को अब 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है यानी 31 दिसंबर, 2019 अपील के लिए लास्ट डेट होगी। गृह मंत्रालय के आदेश के तहत 400 ट्राइब्यूनल्स का गठन एनआरसी के विवादों के निपटारे के लिए किया गया है।