CDO Full Form in Hindi




CDO Full Form in Hindi - CDO की पूरी जानकारी?

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CDO Full form in Hindi

CDO की फुल फॉर्म “Chief Development Officer” होती है. CDO को हिंदी में “मुख्य विकास अधिकारी” कहते है. सीडीओ का हिंदी में फुल फॉर्म यानी की अर्थ मुख्य विकास अधिकारी होता है! जिले के मुख्य विकास अधिकारी का उद्देश्य सरकारी परियोजनाओं को खंड स्तर पर लागु करना होता है!

सीडीओ का फुल फॉर्म चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर होता है. यह भारत के विभिन्न राज्यों में राज्य और केंद्र सरकार दोनों की विभिन्न विकास योजनाओं की देखरेख के लिए एक प्रशासनिक पद है. मुख्य विकास अधिकारी की नियुक्ति जिले के विकास मंत्रालय द्वारा की जाती है. यह उच्च रैंकिंग कार्यकारी प्रशासनिक पदों में से एक है, और उनका चयन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की आवश्यकता के आधार पर किया जाता है. हिन्दी में, सीडीओ को ऐसा कहते हैं. लोक सेवा आयोग मुख्य विकास अधिकारी के लिए दो चरणों में परीक्षा आयोजित करता है.

What Is CDO In Hindi

किसी भी सरकारी पद पर नौकरी करने के लिए यह सभी जानकारी हमारे पास होना जरूरी है ? क्योंकि ऐसी जानकारी से हम अच्छी तैयारी कर सकते हैं. ऐसे पद से रिलेटेड जानकारी को व पद के बारे में समझ सके कि आखिर इस पद पर हम को कैसे काम करना है ? इस पद चयन का प्रोसेस क्या है ? यह सभी जानकारी हम आपको देने वाले हैं तो इस कंटेंट में आप लास्ट तक बने रहें आपको सीडीओ से जुड़ी सभी जानकारी मिल जाएंगी. जैसा की आप लोगों को पता होगा की भारतीय संविधान में राज्य, शहर, जिले व गांव के कार्यों का अलग-अलग बंटवारा किया गया है तथा इनके विकास के लिए अलग-अलग पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं. इसी में से एक पदाधिकारी सीडीओ होता है जोकि जिला स्तर पर कार्य करता है.

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि हर एक गांव व जिले को चलाने के लिए कई अलग-अलग पद पर अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है भारतीय सरकार ने हर जिले का गांव के लिए एक सीडीओ ऑफिसर नियुक्त किया है. यह ऑफिसर विकास कार्यों को को संचालित करता है. यानी हम कह सकते हैं कि इस ऑफिसर की देख रेख में विकास कार्य किए जाते हैं. यह ऑफिसर शहर के विकास कार्यों के लिए अलग होता है व जिलों के लिए अलग होता है तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक अलग अधिकारी की नियुक्ति की जाती है.

जिले के विकास अधिकारी को हम सीडीओ ऑफिसर कहते हैं इसकी जिम्मेदारी यह होती है कि जिलों के सभी ग्रामीण क्षेत्रों के कार्य को देखता है. अब हम बात करने वाले हैं कि सीडीओ ऑफिसर की नियुक्ति कैसे की जाती है.

सीडीओ जिले के Senior officer की श्रेणी में आता है. हरके जिले में कई खंड होते है और प्रत्येक जिले में block डेवलपमेंट के लिए एक विकास अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. सरकार द्वारा जिलों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में विभाजित किया गया है. एक सीडीओ अधिकारी को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर नियुक्त किया जाता है.

किसी जिले के block के विकास के लिए कई तरह के सरकारी अधिकारी का चयन किया जाता है. जिनका काम सरकारी विकास संबंधित योजनाओं को जिले के block में पात्रों तक पहुँचाने और विकास कार्यों की देख-भाल करना होता है. यदि आप भी सीडीओ अधिकारी बनने की चाहत रखते हैं तो आपको इसके बारे में डिटेल्स के साथ जानकारी प्राप्त करनी होगी और दिल से मेहनत करनी होगी तभी आप एक CDO officer बन सकते हैं. इस आर्टिकल में हम CDO kaise bane, eligibility, age limit, selection process, cdo officer salary etc. के बारे में विस्तार से जानेंगे.

मुख्य विकास अधिकारी (CDO) जिले के विकास में जिलाधिकारी के निर्देश पर कार्य करता है तथा जिले में उस राज्य का प्रतिनिधि होता है जिसके तहत शासन द्वारा उचित अधिकार देकर उस पद को सशक्त किया जाता है| जैसे विधायक या सांसद जनता के प्रतिनिधि होते है वैसे ही मुख्य विकास अधिकारी (CDO) भी सरकार के प्रतिनिधि होता है|

सीडीओ अर्थात मुख्य विकास अधिकारी का पद प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थी को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करना अनिवार्य है. सीडीओ की परीक्षा का आयोजन लोक सेवा आयोग द्वारा किया जाता है| यह परीक्षा तीन चरणों प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में विभाजित की गयी है. तीनों चरणों में सफलता प्राप्त करनें वाले अभ्यर्थियों को सीडीओ के पद पर नियुक्त किया जाता है| अगर सही मायने के बात करे तो जो परीक्षा आईएएस (IAS) के लिए होती है, सीडीओ के लिए वही परीक्षा होती है| आईएएस अधिकारी के ट्रेनिंग के दौरान इस तरत के पद पर आसीन किया जाता है, जिससे वह एक जिले के विकास व अन्य कार्य के बारे में सही से जाने|

मुख्य विकास अधिकारी बनने के लिए आपको सही मायने में सिविल सेवा के लिए तैयारी करनी चाहिए और अच्छा रैंक प्राप्त करने पर जौर देना चाहिए| इसके लिए आपको अपने स्तर अनुसार सेल्फ स्टडी या किसी मेंटर की शरण में जाना चाहिए| सीडीओ एक अच्छा पद है और यह आईएएस रैंक के अधिकारी को ही दिया जाता है. या कभी कभी राज्य सिविल परीक्षा से भी किसी अधिकारी को प्रोमोट किया जाता है|

सीडीओं (CDO) के अधिकार

सीडीओ को अपने जिले के अंतर्गत आने वाले सभी ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर की मीटिंग की अध्यक्षता करने का पूर्ण अधिकार होता है और साथ ही वह सरकार की सभी योजनाओं को सही ढंग से क्षेत्र में लागू करने का निर्देश दे सकता है. इसके अलावा यदि ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) उसके निर्देश के मुताबिक कार्य नहीं करते है, तो वह उन सभी पर सख्त कार्यवाही अर्थात बर्खास्त कर सकता है| यहाँ पर आपको हमनें सीडीओ बनने के विषय में बताया.

सीडीओ ऑफिसर क्या होता है?

किसी भी जिले के ब्लॉक के लिए CDO Officer बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि यह सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को जिलों में उपलब्ध कराना इन की जिम्मेदारी होती है. जिलों के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में एक अलग-अलग सीडीओ अधिकारी होता है. लेकिन देश के जिलों को ग्रामीण और शहरी फिल्ड में विभाजित कर दिया गया है. इसलिए सरकार शहर व ग्रामीण विकास कार्यों के लिए सरकारी ऑफिसरों की नियुक्ति करती है.

मुख्य विकास अधिकारी किसी भी विकास संबंधी कार्यों की समीक्षा करता है, इससे संबंधित अधिकारियों के साथ मीटिंग करता है तथा विकास कार्यों का समय-समय पर निरक्षण करता है. तथा सीडीओ अपने सीनियर अधिकारियों और सरकार को रिपोर्ट फाइल भेजता है जो सीडीओ कार्यों से संबधी कोई भी लापरवाही, भ्रष्टाचार आदि से संबधित कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है.

सीडीओ ऑफिसर कैसे बने ?

CDO बनने के लिए लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा आयोजित कराई जाती है जिसके लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री पास उम्मीदवार आवेदन कर सकता है. सीडीओ के लिए परीक्षा तीन चरणों होती है लेकिन ध्यान रहे इसकी तैयारी आपको बहुत मेहनत के साथ करनी होगी ताकि आप इसमें सफलता हासिल कर सके. इस के लिए आयोजित होने वाली राज्य सरकार द्वारा लोक सेवा आयोग परीक्षा को क्लियर करना होता है जो दो चरणों में होती है प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा. इसके बाद इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. यदि अभ्यर्थी इन तीनों स्टेप की परीक्षाओं को पास कर लेता है तो वह सीडीओ पद के लिए चयनित कर लिया जाता है. अगर आप भी Chief Development Officer बनना चाहते तो आपके पास कुछ योग्यता होनी ज़रूरी होती है. जिनके बारे में हम आपको निचे बताने जा रहे है. तो आइये जानते है.

सीडीओ के लिए योग्यता

आपको 12वीं अच्छे Marks से पास करना होता है.

अभ्यार्थी किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से स्नातक पास होना जरुरी होता है.

आपको ग्रेजुएशन की डिग्री कम से कम 50% अंकों के साथ पास करनी होती है.

सीडीओ उम्मीदवार के लिए आयु सीमा 21 वर्ष से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए.

जबकि ओबीसी उम्मीदवार के लिए 3 साल की छूट होती है और एससी/एसटी उम्मीदवार के लिए 5 साल की छूट दी जाती है.

सीडीओ ऑफिसर बनने के लिए क्या करे?

आपको मुख्य विकास अधिकारी बनने के लिए इन दो चरणों को पास करना होता है तभी आप Chief Development Officer का पद हासिल कर सकते है. जो निम्न प्रकार है.

प्रारंभिक परीक्षा

इसमें आपको प्रारंभिक परीक्षा पास करनी होती है यह Objective Type Papers होता है. इसमें आप से सामान्य ज्ञान, करंट अफेयर्स, भारतीय संस्कृति, भारतीय इतिहास, भारतीय भूगोल, गणित रीजनिंग इत्यादि विषय के प्रश्न आते है.

मुख्य परीक्षा

आपको दुसरे चरण में सीडीओ परीक्षा का मुख्य पेपर देना होता है आप मुख्य परीक्षा में तभी शामिल हो सकते है जब आप प्रारंभिक परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ पास होते है इस परीक्षा में आपसे हिंदी अंग्रेजी सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते है तथा निबंध से रिलेटेड प्रश्न आते है.

साक्षात्कार

अब आप से प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा क्लियर होने होने के बाद इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. इसमें आपसे सीडीओ से संबंधित मानसिक योग्यता कुछ प्रश्न पूछे जाते है तथा आपकी क्षमता को देखा जाता है यदि आप इंटरव्यू में पास हो जाते है तो आपको CDO Officer के रूप चुन लिया जाता है.

सीडीओ ऑफिसर की तैयारी कैसे करे?

अगर आप सीडीओ बनना चाहते है तो इसके लिए आपको CDO Officer Exam Pass करना होगा जिसे आपको पास करने के लिए दिल से मेहनत करनी होती है. यहां हम परीक्षा की तैयारी कैसे करे? के कुछ टिप्स बता रहे है जो इस तरह है.

सबसे पहले पुराने पेपर और सिलेबस देखें और थोड़ा रिसर्च करें.

तैयारी करने के लिए एक प्राथमिक और टाइम टेबल सेट करें.

पॉइंट्स बनाकर पढ़ें और ग्रुप स्टडी करें.

मुख्य बिंदुओं को हाईलाइट करने की आदत बनाए व नोट्स बनाते रहें.

Newspaper पढ़ें, इससे आपको कुछ नया सिखने को मिलेगा.

यदि आप हमारे द्वारा बताये गए कुछ टिप्स के अनुसार तैयारी करते हो तो आपको CDO Exam की तैयारी करने में थोड़ी आसानी हो सकती है और सफलता हासिल कर सकते हैं.

CDO के कार्य ?

सीडीओ किसी भी जिले का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है, जोकी जिला स्तर पर कार्य करता है. CDO के नीचे VDO होता है और इसके नीचे BDO होता है. सीडीओ का कार्य राज्य सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को लागू करवाना होता है. सरकार के द्वारा भेजी जाने वाली सुविधाये लोगों को मिल पा रही हैं या नही. जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली स्कीम में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी तो नही हो रही है. अगर गड़बड़ी हो रही है तो उसके खिलाफ एक्शन CDO लेता है. एक तरह से सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं की देखरेख करना और उनको सही से लागू करवाना ही CDO का काम होता है. इसके अलावा और भी विभाग से संबंधित काम होते हैं, लेकिन ये जो मैंने बताये हैं, ये प्रमुख हैं.

सीडीओं की शक्ति

सीडीओ अपने जिले के अंतर्गत आने वाले सभी ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर की मीटिंग की अध्यक्षता कर सकता है और सरकार की सभी योजनाओं को सही से क्षेत्र में लागू करने का निर्देश दे सकता है. यदि ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर उसके निर्देश के अनुसार कार्य नहीं करते है, तो वह उन सभी पर कड़ी कार्यवाही कर सकता है और उन्हें निलंबित या बर्खास्त कर सकता है.

CDO अपने जिले के अंतर्गत आने वाले ब्लॉक तथा ग्रामीण क्षेत्रों का सबसे बड़ा अधिकारी होता है. सीडीओ विकास से संबंधित सभी योजनाओं की अध्यक्षता करता है| यह किसी भी योजनाओं को लागू करने का निर्देश दे सकता है. यदि कोई ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई कर सकता है. यदि कोई योजना ग्रामीण क्षेत्रो तक नहीं पहुंच पा रही है, तो उससे संबंधित अधिकारियों को वह दंडित कर सकता है. सीडीओ केवल अपने सीनियर अधिकारियों को ही रिपोर्ट देता है. यदि सीडीओ को ऐसा लगता है कि इस विकास कार्य में किसी प्रकार की बाधा आ रही है तो वह सरकार से सीधे बोल सकता है. यदि विकास से संबंधित कार्यों में अवरोध पैदा करता है तो वह उसे गिरफ्तार भी करवा सकता है.

आयु सीमा

अभ्यर्थी की आयु 21 वर्ष से 40 वर्ष के बीच में होनी अनिवार्य है, आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नियमानुसार छूट प्रदान की जाती है.

वेतन

चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर का वेतन लगभग 37400 से 67000 है, इसके साथ कई प्रकार के भत्ते भी प्रदान किये जाते है. समय- समय पर सरकार के निर्देश पर वेतन में बढोत्तरी की जाती है| इसके अलावा यदि इस पद पर चयनित अधिकारी किसी सरकारी काम से बाहर जाता है तो उसका सारा खर्च प्रशासन ही उठाता है.

चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर का वेतन लगभग 37400 से 67000 है, इसके साथ कई प्रकार के भत्ते भी प्रदान किये जाते है. समय- समय पर सरकार के निर्देश पर वेतन में बढोत्तरी की जाती है.

सीडीओ (CDO) ऑफिसर से सम्बन्धित जानकारी

भारत के बहुत बड़ा देश है, इतने बड़े देश को चलाने के लिए इसे राज्यों में विभाजित किया गया तथा राज्यों को चलाने के लिए जिला, ब्लाक तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. देश को राज्यों, जिलों, ब्लाक में विभाजित करनें का उद्देश्य यह है, ताकि सरकार द्वारा दी जानें वाली सुविधाओं का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति को मिल सके| यदि किसी को कोई समस्या होती है, तो वह अपनी समस्याओं का समाधान अपने संबंधित अधिकारियों को बता सके जब इन क्षेत्रों में अधिकारियों की आवश्यकता पड़ी तो सरकार ने विभिन्न विभाग में बांट दिया जिससे कि शिकायत कर्ता तथा कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाया जा सके. जिले के अंतर्गत ब्लाक और ग्रामीण क्षेत्र आते है, जिसके लिए जिले स्तर पर एक अधिकारी होता है, जिसे हम सीडीओ कहते है| आईये जानते है सीडीओ (CDO) कैसे बने, इसका फुल फॉर्म, कार्य और सैलरी के बारे में|

CDO Full form in Hindi - Collateralized Debt Obligation

संपार्श्विक ऋण दायित्व (सीडीओ) ऋण साधन हैं, जैसे बंधक, एक नए प्रकार की संपत्ति-समर्थित सुरक्षा बनाने के लिए एक साथ बंडल किया जाता है जिसे व्यापार या विभाजित किया जा सकता है. दूसरे शब्दों में, ये प्राप्तियों के समूह हैं जिनका एक परिसंपत्ति के साथ बीमा किया जाता है.

सीडीओ, या संपार्श्विक ऋण दायित्व, वित्तीय उपकरण हैं जिनका उपयोग बैंक द्वितीयक बाजार में निवेशकों को बेचे जाने वाले उत्पादों में व्यक्तिगत ऋणों को पुन: पैकेज करने के लिए करते हैं. सीडीओ का मूल्य अंतर्निहित ऋणों के भविष्य के पुनर्भुगतान के वादे से आता है. सीडीओ, या संपार्श्विक ऋण दायित्व, वित्तीय उपकरण हैं जिनका उपयोग बैंक द्वितीयक बाजार में निवेशकों को बेचे जाने वाले उत्पादों में व्यक्तिगत ऋणों को पुन: पैकेज करने के लिए करते हैं. सीडीओ का मूल्य अंतर्निहित ऋणों के भविष्य के पुनर्भुगतान के वादे से आता है. सीडीओ, वे कैसे काम करते हैं, और अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका के बारे में और जानने के लिए पढ़ें.

एक संपार्श्विक ऋण दायित्व (सीडीओ) संपत्ति के पोर्टफोलियो द्वारा समर्थित है जिसमें बांड, ऋण, प्रतिभूतिकृत प्राप्य, परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियों, अन्य संपार्श्विक ऋण दायित्वों की किश्तों, या किसी भी पूर्व को संदर्भित करने वाले क्रेडिट डेरिवेटिव शामिल हो सकते हैं. कुछ बाजार व्यवसायी सीडीओ को केवल बांड और/या ऋण सहित एक पोर्टफोलियो द्वारा समर्थित होने के रूप में परिभाषित करते हैं, लेकिन अधिकांश बाजार व्यवसायी पूर्व परिभाषा का उपयोग करते हैं. मैं संपत्ति प्रतिभूतिकरण के लिए एक छत्र शब्द के रूप में संपार्श्विक ऋण दायित्व का उपयोग करूंगा.

1990 के दशक के अंत तक, संपार्श्विक ऋण दायित्वों का उपयोग सभी विशेष प्रयोजन संस्थाओं (एसपीई) ने किया, जिन्हें विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो को खरीदा और ऋण और इक्विटी की किश्तें जारी कीं. विशेष प्रयोजन इकाई ने बैंक की बैलेंस शीट और/या ट्रेडिंग बुक से संपत्ति खरीदी. इन्हें सच्ची बिक्री संरचना के रूप में जाना जाता है. विशेष प्रयोजन संस्थाएं आमतौर पर दिवालिएपन रिमोट होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे बैंक अरेंजर के क्रेडिट जोखिम से अलग हो जाते हैं, जिन्हें प्रवर्तक भी कहा जाता है. बैंक प्रबंधक एसपीवी से सर्विसिंग शुल्क, प्रशासन शुल्क और हेजिंग शुल्क अर्जित कर सकता है, लेकिन अन्यथा एसपीवी में परिसंपत्तियों के नकदी प्रवाह पर कोई दावा नहीं करता है. पूर्व में, बैंकों और निवेश बैंकों ने संपार्श्विक ऋण दायित्व किश्तों को निधि प्रदान करने के लिए लिखा था - अक्सर पुल वित्तपोषण के साथ - पोर्टफोलियो परिसंपत्तियों की खरीद के लिए, जिसने किश्तों का समर्थन किया. अब हमेशा ऐसा नहीं होता. सिंथेटिक प्रतिभूतिकरण एक विशेष प्रयोजन इकाई की आवश्यकता को समाप्त करते हैं, यद्यपि वे एक विशेष प्रयोजन इकाई का उपयोग एक संपार्श्विक ऋण दायित्व के लघु ऋण जोखिम से जुड़े सीमित सहारा नोट जारी करने के लिए भी कर सकते हैं.

संपार्श्विक ऋण दायित्व का क्या अर्थ है?

संपार्श्विक ऋण दायित्व की परिभाषा क्या है? सीडीओ व्यक्तिगत निश्चित आय प्रतिभूतियों को एक संरचित उत्पाद में एक साथ पूल करते हैं और ऋण के प्रकार के आधार पर जोखिम की दर आवंटित करते हैं. अंगूठे का नियम यह है कि क्रेडिट वृद्धि अपेक्षित हानि स्तर से 5 गुना होनी चाहिए. इसलिए, जैसे-जैसे रेटिंग में गिरावट आती है, वैसे-वैसे वृद्धि की मात्रा भी बढ़ती जाती है. आमतौर पर, सीडीओ किश्तों में वरिष्ठ ऋण (एएए रेटिंग), मेजेनाइन ऋण (एए रेटिंग), कनिष्ठ ऋण (बीबीबी रेटिंग), और इक्विटी (लाभांश, जो पिछले सभी धारकों के भुगतान के बाद भी भुगतान किया जाता है) शामिल हैं. वरिष्ठ किश्तों को उच्चतम रेटिंग और सबसे कम कूपन दर प्राप्त होती है, जबकि कनिष्ठ किश्तों को सबसे कम रेटिंग और उच्च कूपन दर प्राप्त होती है. सीडीओ उधारकर्ता के चूक करने की स्थिति में सुरक्षा के लिए अंतर्निहित परिसंपत्ति (बांड, बंधक या ऋण) का उपयोग संपार्श्विक के रूप में करते हैं. ऋण के प्रकार के आधार पर, सीडीओ बंधक-समर्थित प्रतिभूतियां (एमबीएस) हैं, जब वे कॉरपोरेट ऋण, ऑटो ऋण या क्रेडिट कार्ड ऋण का व्यापार करते समय बंधक ऋण या परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियां (एबीएस) शामिल करते हैं.

एक संपार्श्विक ऋण दायित्व की संरचना ?

ऐतिहासिक रूप से, संपार्श्विक ऋण दायित्वों में अंतर्निहित परिसंपत्तियों में कॉरपोरेट बॉन्ड, सॉवरेन बॉन्ड और बैंक ऋण शामिल थे. एक सीडीओ संपार्श्विक ऋण साधनों के संग्रह से आय एकत्र करता है और एकत्रित आय को सीडीओ प्रतिभूतियों के प्राथमिकता वाले सेट में आवंटित करता है. इक्विटी (पसंदीदा स्टॉक और सामान्य स्टॉक) के समान, एक वरिष्ठ सीडीओ सुरक्षा का भुगतान मेजेनाइन सीडीओ से पहले किया जाता है. पहले सीडीओ में कैश फ्लो सीडीओ शामिल थे, यानी फंड मैनेजर द्वारा सक्रिय प्रबंधन के अधीन नहीं. हालांकि, 2000 के दशक के मध्य तक 2008 की मंदी की अगुवाई के दौरान, मार्क-टू-मार्केट सीडीओ ने सीडीओ का बहुमत बना लिया. एक फंड मैनेजर ने सीडीओ को सक्रिय रूप से प्रबंधित किया.

संपार्श्विक ऋण दायित्वों के लाभ

संपार्श्विक ऋण दायित्व बैंकों को उनकी बैलेंस शीट पर जोखिम की मात्रा को कम करने की अनुमति देते हैं. अधिकांश बैंकों को अपनी संपत्ति का एक निश्चित अनुपात रिजर्व में रखने की आवश्यकता होती है. यह परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और बिक्री को प्रोत्साहित करता है, क्योंकि रिजर्व में संपत्ति रखना बैंकों के लिए महंगा है. संपार्श्विक ऋण दायित्व बैंकों को अपेक्षाकृत तरल सुरक्षा (एक एकल बांड या ऋण) को अपेक्षाकृत तरल सुरक्षा में बदलने की अनुमति देते हैं.

संपार्श्विक ऋण दायित्व (सीडीओ) क्या हैं?

सीडीओ, या संपार्श्विक ऋण दायित्व, वित्तीय उपकरण हैं जिनका उपयोग बैंक द्वितीयक बाजार में निवेशकों को बेचे जाने वाले उत्पादों में व्यक्तिगत ऋणों को पुन: पैकेज करने के लिए करते हैं. इन पैकेजों में ऑटो ऋण, क्रेडिट कार्ड ऋण, बंधक, या कॉर्पोरेट ऋण शामिल हैं. 1 उन्हें "संपार्श्विक" कहा जाता है क्योंकि ऋणों का वादा किया गया पुनर्भुगतान संपार्श्विक होता है जो सीडीओ को उनका मूल्य देता है. संपार्श्विक ऋण दायित्व एक विशेष प्रकार के व्युत्पन्न हैं. डेरिवेटिव ऐसे उत्पाद हैं जो किसी अन्य अंतर्निहित परिसंपत्ति से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं. पुट ऑप्शंस, कॉल ऑप्शंस और फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स की तरह, डेरिवेटिव्स का लंबे समय से स्टॉक और कमोडिटी बाजारों में उपयोग किया जाता रहा है.

सीडीओ कैसे काम करते हैं

सीडीओ को "परिसंपत्ति-समर्थित वाणिज्यिक पत्र" कहा जाता है यदि उनमें कॉर्पोरेट ऋण होता है. 2 बैंक उन्हें "बंधक-समर्थित प्रतिभूतियां" कहते हैं यदि ऋण बंधक हैं. 3 यदि बंधक उन लोगों के लिए किए जाते हैं जिनके पास प्रमुख क्रेडिट इतिहास से कम है , उन्हें "सबप्राइम मॉर्गेज" कहा जाता है बैंक तीन कारणों से निवेशकों को सीडीओ बेचते हैं:

उन्हें जो धन मिलता है वह उन्हें नए ऋण बनाने के लिए अधिक नकद देता है.

यह प्रक्रिया बैंक से ऋण के चूक के जोखिम को निवेशकों तक ले जाती है.

सीडीओ बैंकों को बेचने के लिए नए और अधिक लाभदायक उत्पाद देते हैं, जो शेयर की कीमतों और प्रबंधकों के बोनस को बढ़ाता है.

सबसे पहले, सीडीओ एक स्वागत योग्य वित्तीय नवाचार थे. उन्होंने अर्थव्यवस्था में अधिक तरलता प्रदान की. सीडीओ ने बैंकों और निगमों को अपना कर्ज बेचने की अनुमति दी, जिससे निवेश या उधार देने के लिए अधिक पूंजी मुक्त हो गई.

उल्लेखनीय घटनाएं

सबसे पहले, सीडीओ का प्रसार अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक स्वागत योग्य बढ़ावा था. सीडीओ के आविष्कार ने भी नए रोजगार सृजित करने में मदद की. एक घर पर एक बंधक के विपरीत, एक सीडीओ एक ऐसा उत्पाद नहीं है जिसे आप इसके मूल्य का पता लगाने के लिए छू सकते हैं या देख सकते हैं. इसके बजाय, एक कंप्यूटर मॉडल इसे बनाता है. सीडीओ के आविष्कार के बाद, हजारों कॉलेज और उच्च स्तर के स्नातक वॉल स्ट्रीट बैंकों में "क्वांट जॉक्स" के रूप में काम करने गए. उनका काम कंप्यूटर प्रोग्राम लिखना था जो सीडीओ बनाने वाले ऋणों के बंडल के मूल्य को मॉडल करेंगे. इन नए उत्पादों के लिए निवेशकों को खोजने के लिए हजारों सेल्सपर्सन को भी काम पर रखा गया था.

सीडीओ का उदय

हालांकि 2007 के वित्तीय संकट के बाद सीडीओ पक्ष से बाहर हो गए, उन्होंने 2012.5 में बाजार में वापस आना शुरू कर दिया. एडजस्टेबल-रेट मॉर्गेज ने पहले तीन से पांच वर्षों के लिए "टीज़र" कम-ब्याज दरों की पेशकश की. उसके बाद उच्च दरें शुरू हुईं. उधारकर्ताओं ने ऋण लिया, यह जानते हुए कि वे केवल कम दरों का भुगतान कर सकते हैं. उच्च दरों के शुरू होने से पहले उन्हें अपने घर बेचने की उम्मीद थी. इन विभिन्न दरों का लाभ उठाने के लिए क्वांट जॉक्स ने सीडीओ किश्तों को डिजाइन किया. एक किश्त में गिरवी का केवल कम-ब्याज वाला हिस्सा था. एक और किश्त ने केवल उच्च दरों के साथ हिस्से की पेशकश की. इस तरह, रूढ़िवादी निवेशक कम-जोखिम, कम-ब्याज किश्त ले सकते हैं, जबकि आक्रामक निवेशक उच्च-जोखिम, उच्च-ब्याज किश्त ले सकते हैं. जब तक आवास की कीमतें और अर्थव्यवस्था बढ़ती रही, तब तक सब ठीक रहा.

सीडीओ के साथ क्या गलत हुआ

दुर्भाग्य से, अतिरिक्त तरलता ने आवास, क्रेडिट कार्ड और ऑटो ऋण में एक परिसंपत्ति बुलबुला बनाया. आवास की कीमतें उनके वास्तविक मूल्य से अधिक बढ़ गईं. लोगों ने घर सिर्फ इसलिए खरीदे ताकि वे उन्हें बेच सकें. 6 कर्ज की आसान उपलब्धता का मतलब था कि लोग अपने क्रेडिट कार्ड का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते थे. इसने 2008.8 में क्रेडिट कार्ड ऋण को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया. सीडीओ बेचने वाले बैंकों ने अपने कर्ज पर चूक करने वाले लोगों के बारे में चिंता नहीं की. उन्होंने अन्य निवेशकों को ऋण बेच दिया था, जो तब उनके स्वामित्व में थे. इसने उन्हें सख्त उधार मानकों का पालन करने में कम अनुशासित बना दिया. बैंकों ने उन उधारकर्ताओं को ऋण दिया जो साख योग्य नहीं थे, जिससे आपदा सुनिश्चित हुई.

खरीदारों ने यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त शोध नहीं किया होगा कि सीडीओ पैकेज उनकी कीमतों के लायक थे, लेकिन अनुसंधान ने बहुत अच्छा नहीं किया होगा, क्योंकि यहां तक ​​कि बैंकों को भी नहीं पता था. सीडीओ के मूल्य पर आधारित कंप्यूटर मॉडल इस धारणा पर आधारित थे कि आवास की कीमतें बढ़ती रहेंगी. अगर वे गिर जाते, तो कंप्यूटर उत्पादों की कीमत नहीं लगा सकते थे. सीडीओ की इस अस्पष्टता और जटिलता ने 2007 में बाजार में दहशत पैदा कर दी. बैंकों ने महसूस किया कि वे उन उत्पादों या संपत्तियों की कीमत नहीं लगा सकते जो उनके पास अभी भी थीं. रातों-रात सीडीओ का बाजार गायब हो गया. बैंकों ने एक-दूसरे को पैसा उधार देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे बदले में अपनी बैलेंस शीट पर अधिक सीडीओ नहीं चाहते थे. यह संगीत की कुर्सियों के वित्तीय खेल की तरह था जब संगीत बंद हो गया, और परिणामस्वरूप घबराहट ने 2007 के बैंकिंग संकट का कारण बना.

सबप्राइम बंधक संकट में सीडीओ की भूमिका

गिरवी रखने वाले पहले सीडीओ बंधक-समर्थित प्रतिभूतियां थीं. जब 2006 में आवास की कीमतें गिरनी शुरू हुईं, तो 2005 में खरीदे गए घरों पर गिरवी रखना जल्द ही "उल्टा" हो गया, जिससे सबप्राइम गिरवी संकट पैदा हो गया. 10 फेडरल रिजर्व ने निवेशकों को आश्वासन दिया कि संकट आवास तक ही सीमित था. वास्तव में, कुछ ने इसका स्वागत किया और कहा कि आवास की कीमतें बुलबुले में थीं और उन्हें ठंडा करने की जरूरत थी. उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि डेरिवेटिव्स किसी बुलबुले के प्रभाव और बाद में किसी भी मंदी के प्रभाव को कैसे गुणा करते हैं. न केवल बैंक बैग पकड़े रह गए, बल्कि पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड और निगम भी थे. यह तब तक नहीं था जब तक कि फेडरल रिजर्व और ट्रेजरी ने इन सीडीओ को खरीदना शुरू नहीं किया था कि कामकाज की एक झलक वित्तीय बाजारों में लौट आई. 2010 के डोड फ्रैंक-वॉल स्ट्रीट रिफॉर्म एक्ट को उसी तरह के जोखिम को रोकने के इरादे से अपनाया गया था जिसके कारण संकट के दौरान कई बैंक ध्वस्त हो गए थे. यह संघीय कानून 2017 में कमजोर हो गया था, जब छोटे बैंकों को कवरेज से हटा दिया गया था, और ट्रम्प प्रशासन ने इसे पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की थी.