HEL Full Form in Hindi




HEL Full Form in Hindi - HEL की पूरी जानकारी?

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HEL Full form in Hindi

HEL की फुल फॉर्म “Helicopter” होती है. HEL को हिंदी में “हेलीकॉप्टर” कहते है. यह एक पंखा लगा विमान होता है और इसके टॉप पर पंखा लगा होता है और उसके जरिए ही यह उड़ पाता है. हेलिकॉप्टर को उड़ने के लिए किसी रनवे की जरुरत नहीं होती है और साइज में काफी छोटे होते हैं. हवाई जहाजों की तुलना में कम यात्रियों को ले जाने के लिए होते हैं.

हेलिकॉप्टर एक तरह का aircraft है, जो उड़ने के लिए rotating wings का इस्तेमाल करता है, जिन्हें blades कहा जाता है. Aeroplane के विपरीत, helicopter में wings इंजन की मदद से rotate करते हैं जो helicopter की उड़ान को संभव बनाते हैं. अपने rotating या spinning blades की मदद से helicopter वो सब कुछ कर सकता है जो हवाई जहाज में संभव नही है.

What Is HEL In Hindi

हेलीकॉप्टर एक प्रकार का विमान है जो उड़ने के लिए ब्लेड नामक पंखों को घुमाने, या कताई करने का उपयोग करता है. एक हवाई जहाज या ग्लाइडर के विपरीत, एक हेलीकॉप्टर में पंख होते हैं जो चलते हैं. गुब्बारे के विपरीत, एक हेलीकॉप्टर हवा से भारी होता है और उड़ने के लिए एक इंजन का उपयोग करता है. एक हेलीकॉप्टर के घूमने वाले ब्लेड, या रोटर, इसे उन चीजों को करने की अनुमति देते हैं जो एक हवाई जहाज नहीं कर सकता.

हेलिकॉप्टर को उड़ते हुए देखना किसे अच्छा नहीं लगता. बचपन में जब आसमान से उड़ते हुए हेलिकॉप्टर की आवाज सुनाई देती थी तब हम भाग कर घर से बाहर निकलते और उसे तब तक उड़ता हुए देखते थे जब तक वह दिखाई देना बंद नहीं हो जाता था. आज भी हम जब किसी Helicopter को उड़ता हुआ देखते हैं तो मन में ये सवाल जरुर आते हैं कि आखिर इतने वजन वाला यह Helicopter हवा में उड़ता कैसे है? कैसे helicopter बीच हवा में एक जगह मंडरा लेता है और pilots इसे मोड़ते कैसे हैं? आज के इस आर्टिकल में हम खास इन्ही विषयों पर चर्चा करेंगे और जानेंगे Helicopter के हवा में उड़ने के पीछे के विज्ञान के बारे में. जिसे पढ़ने के बाद आपको Helicopter के उड़ान से संबंधित सभी सवालों के जवाब एक ही जगह पर मिल जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं Helicopter कैसे उड़ता है के बारे में.

किसी भी object को उड़ान भरने के लिए एक upward force की जरूरत होती है, जिसे lift कहा जाता है. इस lift को wings द्वारा generate किया जाता है. यहाँ wings, lift पैदा करने के लिए Bernoulli Principle के आधार पर काम करते हैं. Bernoulli’s Principle बताता है कि कैसे हवा की speed और हवा का pressure एक दूसरे से संबंधित है. जब speed बढ़ती है तो pressure घटता है और जब speed घटती है तो pressure बढ़ता है. Wings को कुछ इस तरह से design किया जाता है कि उनका ऊपर का भाग curved रहता है जबकि नीचे का भाग flat होता है. Wings की इस shape को airfoil कहा जाता है. पंखों का यह shape अपने ऊपर से गुजरने वाली हवा की गति को, नीचे से गुजरने वाली हवा के मुकाबले बढ़ा देता है, जिससे ऊपर की हवा का pressure कम हो जाता है और नीचे की हवा का pressure बढ़ जाता है, जो wings को ऊपर उठने में मदद करता है.

दूसरा यहाँ newton’s third law of motion भी काम करता है. Wings आगे से curved होने के साथ-साथ पीछे की तरफ झुके हुए भी होते हैं. हवा तेज गति से curved surface से टकराने के बाद तेजी से पीछे नीचे की तरफ जाती है, साथ ही wings के नीचे flat हिस्से से टकराने वाली हवा भी नीचे की तरफ बहती है. इस तरह से wings एक downward force पैदा करते हैं जो Helicopter के weight से अधिक होता है. यह downward force wings को ऊपर की तरफ धकेलता है और ऊपर हवा का pressure कम होने की वजह से helicopter ऊपर उठने लगता है. यहाँ helicopter के rotating wings ठीक वैसे ही lift generate करते हैं, जैसे Aeroplane के wings करते हैं. इसे और विस्तार से समझने के लिए आप मेरा दूसरा आर्टिकल Aeroplane कैसे उड़ता है में पढ़ सकते हैं.

यहां हम आपको एक वेबसाइट में मौजूद रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मौजूद हेलीकॉप्टर की कीमत बताने जा रहे हैं. तो सबसे पहले नार्मल हेलीकॉप्टर के बारे में बताएँगे. बता दे रोबिनसन R-22 हेलीकॉप्टर का कीमत करीब 250,000 US डॉलर है. जो भारतीय रुपयों में करीब 1,71,23,750 रूपये होते है. यह दो सीट वाला हेलीकॉप्टर है जो काफी सस्ता परिचालन देता है. इसे दुनिया का सबसे किफायती हेलीकॉप्टर माना जाता है. परिचालन लागत कम होने के कारण इसका उपयोग अक्सर प्रशिक्षण जैसे कामों में किया जाता है. बात करे दूसरे हेलीकॉप्टर बेल बी 206 जेटरेंजर की तो इसकी कीमत 700,000 US डॉलर है. इसे भारतीय रुपयों में कन्वर्ट करे तो यह 4,79,11,500 रूपये बनता है. यह काफी लोकप्रिय वायुयान है जो पांच सीटों के साथ आता है. इसका उपयोग सेना और नागरिकों दोनों के लिए किया जाता है. इस तरह मॉडल के हिसाब से इनकी कीमत अलग अलग होती है लेकिन यहां आपको सभी की कीमत करोड़ों में देखने को मिलेगी.

साल 1939 में Sikorsky ने पहले प्रोटोटाइप हेलीकॉप्टर VS-300 का निर्माण किया था. इसे यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कारपोरेशन की सिक्यूरिटी डिवीज़न के अन्दर बनाया गया था. हालाकि इससे बहुत पहले फ्रांस में साल 1907 से हेलीकॉप्टर बनाने का प्रयोग शुरू कर दिया गया था. यदि हवा में हेलीकॉप्टर का इंजन किसी कारणवश बंद हो जाता है तो रोटर मशीन हेलीकॉप्टर को धीरे धीरे नीचे लाता है. कई हेलीकॉप्टर खराब मौसम में भी सुरक्षित होते है क्योंकि इनमे ऐसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया होता है जिससे यह धीरे धीरे जमीन पर आते हैं. अमेरिका एक ऐसा देश है जिसके पास सबसे ज्यादा वायुयान है. सिर्फ USA में 11,000 से अधिक सिविल हेलीकॉप्टर संचालित है जबकि दुनिया के 157 से अधिक देशों में महज 15,000 सिविल हेलीकॉप्टर संचालित हैं. यदि सैन्य वायुयान की बात करे तो दुनियाभर में 45,000 से अधिक सैन्य हेलीकॉप्टर हैं. अब आप जान गए होंगे हेलीकॉप्टर की कीमत कितनी है या कितना है. वैसे देखा जाए तो सबसे सस्ता हेलीकॉप्टर की कीमत भी लगभग 1.50 करोड़ है. ऐसे में इन्हें सिर्फ वहीं लोग खरीद सकते हैं जिनके पास करोड़ों रूपये होते है. भले ही आप इस विमान को खरीद नहीं सकते है लेकिन किराये में सफर तो कर ही सकते हैं. बड़े बड़े शहरों में हेलीकॉप्टर से शहर घुमाने की सुविधा मौजूद होती है. ऐसे में आप महज कुछ हजार रूपये का किराया देकर आसमान का सफर कर सकते हैं.

हेलीकॉप्टर कैसे काम करता है?

उड़ने के लिए, किसी वस्तु को ऊपर की ओर ले जाने वाला बल "लिफ्ट" होना चाहिए. लिफ्ट आमतौर पर पंखों द्वारा बनाई जाती है. बर्नौली सिद्धांत नामक रिश्ते के कारण पंख लिफ्ट बनाते हैं. बर्नौली सिद्धांत बताता है कि हवा की गति और हवा में दबाव कैसे संबंधित हैं. जब गति बढ़ती है, तो दबाव कम हो जाता है और विपरीत भी सच है. पंख ऊपर की तरफ घुमावदार होते हैं और नीचे की तरफ चपटे होते हैं. इस आकार को एयरफोइल कहा जाता है. वह आकार नीचे की तुलना में ऊपर की ओर हवा का प्रवाह तेज करता है. नतीजतन, पंख के ऊपर हवा का दबाव कम होता है; यह चूषण का कारण बनता है और पंख को ऊपर ले जाता है. एक हेलीकॉप्टर के रोटर ब्लेड पंख होते हैं और लिफ्ट बनाते हैं. लिफ्ट प्रदान करने के लिए अपने पंखों पर पर्याप्त हवा ले जाने के लिए एक हवाई जहाज को तेजी से उड़ना चाहिए. एक हेलीकॉप्टर अपने ब्लेड को घुमाकर अपने रोटर के ऊपर से हवा चलाता है.

एक हेलीकाप्टर क्या कर सकता है?

एक हेलीकॉप्टर के रोटार इसे उन चीजों को करने की अनुमति देते हैं जो एक हवाई जहाज नहीं कर सकता. एक हवाई जहाज के विपरीत, एक हेलीकॉप्टर को लिफ्ट करने के लिए हवा के माध्यम से जल्दी से आगे बढ़ने की आवश्यकता नहीं होती है. इसका मतलब है कि यह सीधे ऊपर या नीचे जा सकता है. अधिकांश हवाई जहाज ऐसा नहीं कर सकते. एक हेलीकॉप्टर बिना रनवे के उड़ान भर सकता है या उतर सकता है. यह उन तरीकों से हवा में घूम सकता है जैसे हवाई जहाज नहीं कर सकते. एक हवाई जहाज के विपरीत, एक हेलीकॉप्टर पीछे या किनारे पर उड़ सकता है. यह बिना हिले-डुले हवा में एक स्थान पर मंडरा भी सकता है. यह हेलीकॉप्टर उन चीजों के लिए आदर्श बनाता है जो एक हवाई जहाज नहीं कर सकता. उदाहरण के लिए, एक हेलीकॉप्टर किसी चिकित्सकीय समस्या वाले व्यक्ति को उठा सकता है जहां कोई रनवे नहीं है. यह तब एक अस्पताल के ऊपर एक छोटे से क्षेत्र में उतर सकता है.

हेलीकाप्टरों के उपयोग क्या हैं?

हेलीकाप्टरों का उपयोग कई चीजों के लिए किया जा सकता है. मरीजों को ले जाने के लिए उन्हें फ्लाइंग एम्बुलेंस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. बड़ी आग से लड़ने के लिए उन्हें पानी से भरा जा सकता है. सैन्य बल जमीन पर लक्ष्य पर हमला करने और सैनिकों को स्थानांतरित करने के लिए हेलीकाप्टरों का उपयोग करते हैं. जहाजों को आपूर्ति प्राप्त करने के लिए हेलीकाप्टरों का उपयोग किया जाता है. हेलीकॉप्टर का उपयोग बड़ी वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जा सकता है. हेलीकॉप्टर लोगों को दुर्गम स्थानों जैसे पहाड़ों या उबड़-खाबड़ समुद्र में बचा सकते हैं. टेलीविजन और रेडियो स्टेशन शहरों के ऊपर से उड़ान भरने और यातायात पर रिपोर्ट करने के लिए हेलीकाप्टरों का उपयोग करते हैं. हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल पुलिस और छुट्टी पर जाने वाले लोग करते हैं. ये उपयोग बहुत सी चीजों में से कुछ हैं जो हेलीकॉप्टरों से की जा सकती हैं.

नासा हेलीकॉप्टरों के साथ क्या करता है?

नासा हेलीकॉप्टरों को बेहतर बनाने के तरीकों पर शोध करता है. क्रैश टेस्ट हेलीकॉप्टरों को सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं. नासा अध्ययन करता है कि हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने पर नई सामग्री यात्रियों को कैसे सुरक्षित रख सकती है. पवन सुरंग परीक्षण यह निर्धारित करते हैं कि हेलीकॉप्टरों को शांत और अधिक ईंधन-कुशल कैसे बनाया जाए. नए विचार इंजीनियरों को बड़े, बेहतर और तेज हेलीकॉप्टर बनाने में मदद कर सकते हैं. किसी दिन हेलीकॉप्टर 100 लोगों को 300 मील या उससे अधिक की यात्रा पर ले जा सकता था. नासा ने यह भी अध्ययन किया है कि मंगल ग्रह पर हेलीकॉप्टर कैसे उड़ाए जा सकते हैं!