NPN Full Form in Hindi




NPN Full Form in Hindi - NPN की पूरी जानकारी?

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NPN Full form in Hindi

NPN की फुल फॉर्म “Negative Positive Negative” होती है. NPN को हिंदी में “नकारात्मक सकारात्मक नकारात्मक” कहते है.

इसमें एक अकेला अर्धचालक क्रिस्टल होता है, जिसके दोनों ओर N-टाइप अशुद्धि तथा बोच को एक पतली पते में P-टाइप अशुद्धि मिला देते हैं. बीच की पर्त को आधार (Base) कहते हैं. आधार के दोनों ओर N-टाइप अर्धचालक होते हैं जिन्हें क्रमशः उत्सर्जक (emitter) तथा संग्राहक (collector) कहते हैं. इसमें तीर की दिशा आधार (B) से उत्सर्जक (E) की ओर होती है. किसी भी प्रकार के टॉजिस्टर में उत्सर्जक व संग्रहक एक ही टाइप (PNP में P-टाइप तथा NPN में – N टाइप) के होते हैं, उत्सर्जक में अशुद्धि, संग्राहक की अपेक्षा कुछ अधिक मिलाते हैं क्योंकि उत्सर्जक ही ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाह के लिये बहुसंख्यक आवेश वाहको (majority charge carriers) की सप्लाई करता है. इसके अतिरिक्त संग्राहक को उत्सर्जक से कुछ चौड़ा (wider) बनाया जाता है. कोई भी ट्रांजिस्टर (PNP या NPN) सैद्धान्तिक रूप से दो PN-संधि डायोडों (Junction diodes) से मिलकर बना हुआ माना जा सकता है जिनमें से एक उत्सर्जक-आधार (emitter-base) संधि डायोड है जबकि दूसरा आधार-संग्राहक (base-collector) संधि डायोड है. उत्सर्जक-आधार संधि को सदैव अग्र-अभिनत (forward biased) करते हैं जबकि आधार-संग्राहक संधि को सदैव उत्क्रम अभिनत (reverse biased) करते हैं.

What Is NPN In Hindi

NPN,नकारात्मक, सकारात्मक, नकारात्मक के लिए खड़ा है. डूबने के रूप में भी जाना जाता है. एक आईओ मॉड्यूल पर, एक एनपीएन इनपुट, जब अनियंत्रित को कम स्थिति में खींचा जाता है, जीएनडी (या संदर्भ वोल्टेज स्तर जैसे वी-).

PNP का मतलब सकारात्मक, नकारात्मक, सकारात्मक है. सोर्सिंग के रूप में भी जाना जाता है. एक आईओ मॉड्यूल पर, एक पीएनपी इनपुट, जब अनियंत्रित को एक उच्च स्थिति तक खींचा जाता है उदा. +5वी.

एनपीएन या पीएनपी आमतौर पर डिजिटल सिग्नल से संबंधित है. सेंसर उन उपकरणों का एक उदाहरण है जो या तो एनपीएन या पीएनपी हो सकते हैं. सेंसर से कनेक्ट करने के लिए आपको डिवाइस द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिग्नल के प्रकार से मेल खाने में सक्षम होना चाहिए.

एनपीएन ट्रांजिस्टर में, एमिटर से कलेक्टर तक करंट प्रवाहित होता है. जब ट्रांजिस्टर के आधार पर पर्याप्त धारा की आपूर्ति की जाती है तो ट्रांसमीटर चालू हो जाता है. एक एनपीएन ट्रांजिस्टर जितना अधिक होगा उतना ही अधिक चालू होगा.

एक पीएनपी ट्रांजिस्टर विपरीत है, कलेक्टर से एमिटर तक करंट प्रवाहित होता है. जब ट्रांजिस्टर के आधार पर कोई करंट नहीं होता है तो ट्रांसमीटर चालू होता है.

हमारी ईडी रेंज को प्रत्येक इनपुट पर एनपीएन या पीएनपी सिग्नल स्वीकार करने के लिए सेट किया जा सकता है. इन इनपुट्स को सेट करने के लिए बोर्ड पर जंपर्स की एक श्रृंखला होती है. इन्हें ईडी मैनुअल में भी दिखाया गया है.

जानिए ट्रांजिस्टर क्या है और कैसे यह काम करता है?

क्या आपने ऐसी सेमीकंडक्टर डिवाइस के बारे में सुना है जो इलेक्ट्रॉन्स और इलेक्ट्रिसिटी के मूवमेंट को कंट्रोल कर सकता है यह इलेक्ट्रिसिटी को स्टार्ट स्टॉप कर सकता है और यह करंट के अमाउंट को भी कंट्रोल कर सकता है जिसके कारण वह इलेक्ट्रॉनिक वेव पैदा कर सकता है. हाँ आपने बिलकुल सही सोचा इस डिवाइस का नाम है Transistor in Hindi जिसके बारे में हम इस ब्लॉग में पढ़ने वाले है कि ट्रांजिस्टर क्या है और कैसे काम करता है इसके कितने प्रकार है तथा Transistor in Hindi से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी. आइए सन 1951 में विलियम तथा उसके टीम द्वारा बेल की प्रयोगशाला में किए अविष्कार Transistor in Hindi के बारे में पढ़ते है.

ट्रांजिस्टर क्या है और कैसे काम करता है?

ट्रांजिस्टर एक सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) डिवाइस है जो कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को एम्प्लॉय या स्विच करने के काम आता है. यह (सेमीकंडक्टर) अर्धचालक पदार्थ से बना होता है जिसे बनाने के लिए ज्यादातर सिलिकॉन और जेर्मेनियम का प्रयोग किया जाता हैं. इसके 3 टर्मिनल होते हैं. जो इसे किसी दूसरे सर्किट से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं .इन टर्मिनल को बेस, कलेक्टर और एमिटर कहा जाता है.

कंडक्टर क्या है?

कंडक्टर वे पदार्थ होते हैं जिनमें चालन के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं. इनमें इलेक्ट्रिक करंट आसानी से पास किया जा सकता है आपकी जानकारी के लिए बता दें सभी धातुएं धारा का गुड कंडक्टर होती है और चांदी सबसे अच्छा गुड कंडक्टर माना जाता है.

डीइलेक्ट्रिक क्या है?

डीइलेक्ट्रिक वे पदार्थ होते हैं जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या बहुत कम होती है. इसमें इलेक्ट्रिक करंट आसानी से प्रवाहित नहीं हो पाती है यानी कि इसमें करंट का प्रवाह बहुत कम होता है. इसके सबसे बेहतरीन उदाहरण लकड़ी, रबड़, प्लास्टिक आदि है.

सेमिकंडक्टर क्या है?

सेमिकंडक्टर वे पदार्थ है जिनमें करंट का प्रवाह इलेक्ट्रिकल प्रॉपर्टीज़, कंडक्टर तथा इलेक्ट्रिकल पेशेंट्स के बीच होता है.दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें सेमीकंडक्टर्स को सुगमता से कंडक्टर बनाया जा सकता है. इसके सबसे बेहतरीन उदाहरण सिलिकॉन तथा जर्मीनियम है.

ट्रांसिस्टर का अविष्कार कब और किसने किया

सबसे पहले एक जर्मन भौतिक विज्ञानी ‘युलियस एडगर लिलियनफेल्ड’ ने 1925 में फील्ड इफ़ेक्ट ट्रांसिस्टर (FET) के लिए कनाडा में पेटेंट के लिए प्रार्थना-पत्र दिया लेकिन किसी तरह के सबूत ना होने के कारण उसे स्वीकार नहीं किया गया. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक दुनिया को बदलकर रख देने वाले ट्रांजिस्टर का आविष्कार जॉन बारडीन, वॉटर ब्रटेन और विलियम शॉकले ने 1947 में बेल्ल लैब्स में किया था.

ट्रांजिस्टर के लाभ -

ट्रांजिस्टर तेज़ी से काम करते हैं

ट्रांजिस्टर सस्ते होते हैं इसलिए इसका उपयोग तकनीकी क्षेत्र में ज्यादा किया जाता है

ट्रांजिस्टर लंबी लाइफ प्रदान करते हैं और जल्दी खराब नहीं होते हैं तथा निरंतर कार्य करते हैं

एक ट्रांजिस्टर लो वाल्टेज पर अच्छा कार्य कर लेता है

ट्रांजिस्टर का उपयोग हम एक स्विच की तरह करते हैं

ट्रांजिस्टर का उपयोग एंपलीफायर में भी किया जाता है

ट्रांजिस्टर ज्यादा इलेक्ट्रॉनों की हानि नहीं होने देता है

माइक्रोप्रोसेसर में हर एक चिप में ट्रांजिस्टर शामिल होते हैं

ट्रांजिस्टर क्लासिफिकेशन और टाइप्स

जैसा कि आप जानते हैं ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉनिक दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव किया तो इसका जितना बड़ा बदलाव था उसी तरह इसे बहुत ज़्यादा श्रेणियों में बांटा गया नीचे आपको एक डायग्राम दिया गया है जिसकी मदद से आप इसे ज़्यादा आसानी से समझ पाएंगे. ट्रांजिस्टर के आविष्कार से पहले वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल वैक्यूम ट्यूब की जगह किया जा रहा है क्योंकि ट्रांजिस्टर आकार में बहुत मोटे और वजन में बहुत हल्के होते हैं और इन्हें ऑपरेट होने के लिए बहुत ही कम पावर की जरुरत पड़ती है. इसलिए ट्रांजिस्टर बहुत सारे उपकरण में इस्तेमाल किया जाता है जैसे एम्पलीफायर, स्विचन सर्किट, ओसीलेटरर्स और भी लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

N-P-N ट्रांजिस्टर क्या है?

जब P प्रकार के पदार्थ की परत को दो N प्रकार के पदार्थ की परतों के बीच में लगाया जाता है तो हमें N-P-N ट्रांजिस्टर मिलता है. इसमें इलेक्ट्रॉनों बेस टर्मिनल के ज़रिए कलेक्टर से एमिटर की ओर बहते हैं.

P-N-P ट्रांजिस्टर क्या है?

जब N प्रकार के पदार्थ की परत को दो P प्रकार के पदार्थ की परतों के बीच में लगाया जाता है तो हमें P-N-P ट्रांजिस्टर मिलता है. यह ट्रांजिस्टर के दोनों प्रकार देखने में तो एक जैसे लगते हैं लेकिन दिन में सिर्फ जो एमिटर पर तीर का निशान है उसमें फर्क है PNP में यह निशान अंदर की तरफ है और NPN में यह निशान बाहर की तरफ है तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कौन से ट्रांजिस्टर में तीर का निशान किस तरफ है. इसे याद करने की एक बहुत आसान सी ट्रिक है .

NPN – ना पकड़ ना :- यहां पर हम इनकी फुल फॉर्म ना पकड़ ना की तरह इस्तेमाल करेंगे इसका मतलब पकड़ो मत जाने दो तो इसमें तीर का निशान बाहर की तरफ जा रहा है.

PNP – पकड़ ना पकड़ :- यहां पर हम इनकी फुल फॉर्म पकड़ ना पकड़ की तरह इस्तेमाल करेंगे इसका मतलब पकड़ लो तो इसमें तीर का निशान अन्दर तरफ रह जाता है.

तो ऐसे आप इसे याद रख सकते हैं और ट्रांजिस्टर के 3 टर्मिनल होते हैं. जो इसे किसी दूसरे सर्किट से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इन टर्मिनल को बेस, कलेक्टर और एमिटर कहा जाता है.

केस कैसे खोलें जम्पर्स का पता लगाएं

पीला केस: उत्पाद के किनारों में धकेले गए एक छोटे से फ्लैट हेड स्क्रू ड्राइवर का उपयोग करके ईडी केस खोलें जो पीले ढक्कन को निचले मामले से जोड़ता है. पीसीबी को बाहर स्लाइड करें और इसके आगे पीएनपी और एनपीएन के साथ जंपर्स ढूंढें.

ग्रे केस: केस के किनारों में धकेले गए एक छोटे से फ्लैट हेड स्क्रू ड्राइवर का उपयोग करके ईडी केस खोलें जो ढक्कन को केस बेस से जोड़ता है और इसके बगल में पीएनपी और एनपीएन के साथ जम्पर ढूंढता है. एनपीएन या पीएनपी का उपयोग करना है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस दिशा में करंट प्रवाहित करना चाहते हैं.

ईडी इनपुट को 0V तक चलाने के लिए एक NPN सेंसर करंट को सिंक करता है.

एक पीएनपी सेंसर ईडी इनपुट को एक सकारात्मक वोल्टेज में चलाने के लिए वर्तमान स्रोत करता है.

एनपीएन और पीएनपी सेंसर का एक उदाहरण नीचे दिखाया गया है:

PNP और NPN ट्रांजिस्टर के बीच का अंतर

PNP और NPN ट्रांजिस्टर के बीच का अंतर PNP और NPN के बीच एक बड़ा अन्तर यह है की NPN ट्रांजिस्टर में Collector से Emitter के बीच करंट का प्रवाह तब होता है जब हम Base पर positive सप्लाई देते है. जबकि PNP ट्रांजिस्टर में Emitter से Collector के बीच करंट का प्रवाह तब होता है जब हम Base पर negative सप्लाई देते है. ट्रांजिस्टर में Collector और Emitter junction बड़ा होता है. जबकि base junction पतला और lightly doped होता है.

PNP और NPN ट्रांजिस्टर पर लिखे कोड से पता लगता है. की ट्रांजिस्टर किस सेमीकंडक्टर का बना हुवा है. और अंकित कोड से ही यह भी पता चलता है की ट्रांजिस्टर की ऑपरेटिंग फ्रीक्वेंसी रेंज क्या है. कोड के द्वारा ट्रांजिस्टर की पहचान केसे करते है यह जानने के लिए निचे दी गई पोस्ट को पढ़े .

PNP और NPN दोनों ही प्रकार के ट्रांजिस्टर bipolar ट्रांजिस्टर है. मुख्यतः ट्रांजिस्टर का उपयोग switching और सिगनल amplification के लिए किया जाता है. PNP ट्रांजिस्टर की अपेक्षा NPN ट्रांजिस्टर का उपयोग सर्किट्स में अधिक किया जाता है. क्योकि NPN ट्रांजिस्टर में electrons की संख्या अधिक होती है. इसीलिए NPN ट्रांजिस्टर का उपयोग सर्किट्स में अधिक किया जाता है. bipolar ट्रांजिस्टर के बारे में जानने के लिए निचे दी गई पोस्ट को पढ़े .

PNP और NPN ट्रांजिस्टर के बीच का मुख्य अंतर निचे दिये गये है

NPN ट्रांजिस्टर में दो n-type semiconductor materials होते है. जिन्हें एक पतली P-type semiconductor materials से अलग किया जाता है. जबकि PNP ट्रांजिस्टर में दो p-type semiconductor materials होते है. जिन्हें एक पतली n-type semiconductor materials से अलग किया जाता है.

NPN और PNP ट्रांजिस्टर के चित्र देखने में बिलकुल एक जेसे दिखते है. दोनों में तीन ही पिन होती है Base, Collector. Emitter, अन्तर केवल तीर चिन्ह (arrow) का होता है जो कि Emitter पर दर्शाया जाता है. NPN ट्रांजिस्टर में Emitter पर arrow का चिन्ह बहार की ओर होता है जबकि PNP ट्रांजिस्टर में Emitter पर arrow का चिन्ह अन्दर की ओर होता है.

NPN ट्रांजिस्टर पर Electrons की संख्या अधिक होती है जबकि PNP ट्रांजिस्टर पर Hole की संख्या अधिक होती है.

NPN ट्रांजिस्टर पर Hole की संख्या कम होती है और PNP ट्रांजिस्टर पर Electrons की संख्या कम होती है.

PNP ट्रांजिस्टर में current का प्रवाह emitter से collector की ओर होता है. जबकि NPN ट्रांजिस्टर में current का प्रवाह collector से Emitter की ओर होता है. और base पर positive supply दी जाती है.

NPN ट्रांजिस्टर को ON करने के लिए base पर positive supply देते है. और PNP ट्रांजिस्टर को ON करने के लिए base पर negative supply देते है.

PNP ट्रांजिस्टर की अपेक्षा NPN ट्रांजिस्टर का switching time अधिक तेज होता है क्योकि NPN ट्रांजिस्टर पर Electrons की संख्या अधिक होती है.

Supply voltage के आधार पर अन्तर NPN ट्रांजिस्टर में Collector पर positive voltage जबकि PNP ट्रांजिस्टर में emitter पर positive voltage दिया जाता है.

NPN ट्रांजिस्टर की परिभाषा

Transistor एक ऐसा electronic switch है जो Amplification और स्विचिंग का कार्य कर सकता है इसमें कम से कम तीन सिरे होते है जिनमे से एक को base दूसरे collector तथा तीसरे को emitter कहते है सामान्य तौर पर जो transistor हम इस्तेमाल करते है वह बाइपोलर ट्रांसिस्टर कहलाते है बाइपोलर ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते है. NPN ट्रांजिस्टर में दो N-क्षेत्र होते है जिन्हें एक पतले P-क्षेत्र से अलग किया जाता है. NPN ट्रांजिस्टर में electrons की मात्रा अधिक होती है दोनों N-क्षेत्र highly doped होते है. जबकि P-क्षेत्र पतला और lightly doped होता है. जब NPN ट्रांजिस्टर को निचे दिये गये circuit के अनुसार जोड़ते है तो ट्रांजिस्टर में से करंट प्रवाह प्रारम्भ हो जाता है. करंट की दिशा हमेशा इलेक्ट्रान के विपरीत होती है.

PNP ट्रांजिस्टर की परिभाषा

PNP ट्रांजिस्टर भी NPN ट्रांजिस्टर की तरह बिलकुल समान होता है इसमें भी कम से कम तीन सिरे होते है जिनमे से एक को base दूसरे collector तथा तीसरे को emitter कहते है. अन्तर केवल इतना होता है की इसमे दो P-क्षेत्र होते है जिन्हें एक पतले N-क्षेत्र से अलग किया जाता है. दोनों p-क्षेत्र highly doped होते है. जबकि n-क्षेत्र पतला और lightly doped होता है. निचे दिये गये circuit के अनुसार जब ट्रांजिस्टर को जोड़ते है तो उसमे से से करंट प्रवाह प्रारम्भ हो जाता है.

हस्ताक्षरित संख्याओं के लिए नियम

धनात्मक और ऋणात्मक संख्याओं का उपयोग करते समय, आप हस्ताक्षरित संख्याओं के लिए नियमों का उपयोग करते हैं (संख्याएँ जिनके सामने धनात्मक या ऋणात्मक चिह्न होते हैं). हस्ताक्षरित संख्याओं के लिए संचालन के रूप में भी जाना जाता है, ये चरण आपको भ्रम से बचने और गणित की समस्याओं को जितनी जल्दी हो सके - और सही तरीके से हल करने में मदद कर सकते हैं. सकारात्मक और नकारात्मक संख्याओं को जोड़ने, घटाने, गुणा करने और विभाजित करने का सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करने के लिए इन नियमों का पालन करें. याद रखें, यदि कोई + या - चिह्न नहीं है, तो संख्या सकारात्मक है.